Vastu Tips: कलावा बाधने का सही नियम जान लीजिए
Vastu Tips: हिंदू धर्म में हाथ में कलावा बाधना बहुत ही शुभ माना जाता है। यही कारण है कि सभी मांगलिक कामों में मौली या कलावा बांधा जाता है। मौली बांधने की परंपरा सनातन धर्म (Sanatana Dharma) में बहुत पुरानी है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मौली को रक्षा सूत्र के रूप में बांधने की परंपरा तब से शुरू हुई, जब असुरों के राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। कलावा (Kalawa) कच्चे धागे (सूत) से तैयार किया जाता है। यह हिंदू धर्म के धार्मिक आस्था और शुभता का प्रतीक माना जाता है। कलावा का कुछ समय के बाद रंग उतरने लगता है और ज्यादा पुराना कलावा पहनना अच्छा भी नहीं माना जाता है। वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) के एक्सपर्ट बताते हैं कि मौली बांधते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो जातक को इसके नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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मौली बांधने के नियम जान लीजिए
वास्तु एक्सपर्ट बताते हैं कि काफी समय तक कलावा/मौली बांधने से व्यक्ति को नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इसलिए कलावे को 10 से 11 दिन से ज्यादा नहीं पहनना चाहिए। इसके बाद नया कलावा पहल लेना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, एक बार कलावा उतारने के बाद दोबारा उसी कलावे को नहीं पहनना चाहिए। इससे लाइफ में नेगेटिविटी बढ़ने लगती है। इसलिए उतारे हुए कलावे को नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
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वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। वहीं, मैरिड फीमेल्स को बाएं हाथ में कलावा बांधना शुभ होता है।
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वास्तु के जानकार मानते हैं कि मंगलवार और शनिवार के दिन पुरानी मौली को उतारकर नई मौली को बांधना अच्छा होता है। इसके साथ ही पर्व-त्योहार,मांगलिक कार्यों और विशेष मौकों पर भी मौली बांध सकते हैं।
मौली बांधते समय इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि कलावे को केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए।
Disclaimer: यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसकी विषय सामग्री का ख़बरी मीडिया हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता है।