AajTak Kannauj News: इत्र की खुशबू से दुनिया को अपना दीवाना बनाने वाला कन्नौज और इसकी सिसायत उत्तर प्रदेश से लेकर देश की राजनीति में बड़ा महत्व रखता है। कन्नौज (Kannauj) संसदीय सीट उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की हाई प्रोफाइल सीटों शामिल है। समाजवादी पार्टी के नेता और आदर्श राम मनोहर लोहिया (Ram Manohar Lohia) के साथ-साथ 3 पूर्व सीएम भी कन्नौज से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। 3 में से 2 तो मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) हैं जो यहां से सांसद बने थे।
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सपा का गढ़ मानी जाने वाली कन्नौज में लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने सेंध लगाने में सफलता पाई थी। पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी और सपा की प्रत्याशी डिंपल यादव को हार का मुंह देखना पड़ा था।
लोकसभा चुनाव 2024 में यह सीट फिर चर्चा में आ गयी जब समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने यहां से नामांकन किया। इस बार यहां से पूर्व सीएम अखिलेश यादव मैदान में हैं तो वहीं बीजेपी ने कन्नौज लोकसभा से सुब्रत पाठक को एक बार फिर से मैदान में उतारा है।
इस बार कन्नौज की जनता किसके सिर पर जीत का सेहरा सजाना चाह रही है और किसके झोली में हार डालने का मन बनाई है इसे जानने के लिए आजतक की टीम सीनियर एंकर अंजना ओम कश्यप के साथ पहुंची कन्नौज।
कन्नौज में जब एंकर अंजना ओम कश्यप ने शुरू किया सवालों का सिलसिला तो जनता ने जवाब से सब कुछ साफ कर दिया। इस कार्यक्रम में आए एक व्यक्ति ने कहा कि नामांकन जरूर अखिलेश यादव ने किया है लेकिन चुनाव पूरी कन्नौज की जनता लड़ रही है। इस बार अखिलेश यादव यहां से जीत रहे हैं। तो वहीं दूसरे ने कहा कि अखिलेश यादव ने कन्नौज का खूब विकास किया है इस बार फिर से कन्नौज की जनता उनको वोट कर सांसद बनाएगी।
तो वहीं अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को लेकर कुछ लोग हमला बोलते हुए भी दिखाई दिए है कहा कि रमजान में रोजा खोलवाने के लिए उनके यहां जाते हैं उन्हें नवरात्रि में क्यों नहीं बुलाते। प्रोग्राम में आए एक बीजेपी नेता ने कहा अखिलेश जी को डर था इस बार कन्नौज की तेज प्रताप की जमानत भी नहीं बचने देगी, इसलिए तेजप्रताप का टिकट काटकर खुद मैदान में आ गए हैं।
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तो इस पर हमला बोलते हुए एक शख्स ने कहा कि बीजेपी का यूपी में 80 सीट जीतने का लक्ष्य है अगर यूपी से 40 सीट भी जीत जाते हैं तो कहना। इसपर पलटवार करते हुए एक दूसरे व्यक्ति ने कहा कि अखिलेश यादव जी से पूछना चाहता हूं कि हिन्दुओं पर इतना अत्याचार क्यों करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि डिंपल यादव ने कन्नौज की जनता के लिए कोई काम नहीं किया कोई उनके 5 काम भी नहीं गिना सकता जो कन्नौज की जनता के लिए किए हों।
तो इस प्रोग्राम में आई जनता ने कहा कि अखिलेश यादव के मैदान में आते ही यहां अत्याचार शुरू हो गया है। मोदी जी राम का स्वरूप हैं और हमारे सांसद हनुमान का स्वरूप हैं। 12-17 तक गुड़ाराज था कोई भी व्यापारी सुरक्षित नहीं था।
जानिए इत्र की नगरी कन्नौज को
कन्नौज गंगा नदी के किनारे बसा हुआ यूपी का एक जिला है। यह जिला 18 सितंबर 1997 को फर्रुखाबाद जिले से अलग होकर बनाया गया था। उत्तर प्रदेश का कन्नौज इत्र नगरी के साथ-साथ सियासी रूप में भी देशभर में अपना स्थान रखता है। कन्नौज संसदीय सीट के तीन जिलों की पांच विधानसभा सीटों से बनी है। इनमें कन्नौज जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र कन्नौज, तिरवा और छिबरामऊ शामिल हैं। इसके साथ ही कानपुर देहात की रसूलाबाद और औरेया जिले की बिधूना विधानसभा सीट कन्नौज लोकसभा सीट में ही आती है।
कन्नौज से सांसद बनने के बाद तीन कद्दावर नेताओं ने मुख्यमंत्री भी बने। 1994 में सांसद बनीं शीला दीक्षित दिल्ली की तीन बार सीएम रहीं तो वहीं नब्बे के दशक में 1999 में जीते मुलायम सिंह यादव और 21वीं सदी की शुरुआत में चुने गए अखिलेश यादव यूपी के सीएम बने।
कन्नौज में कई मंदिर हैं जो ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। राजा हर्ष के समय में यह भारत का राज्य था। कन्नौज अपने इत्र के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इसका उल्लेख इत्र के शहर के रूप में किया जाता है।
2019 का परिणाम
लोकसभा चुमाव 2019 में कन्नौज सीट से बीजेपी के उम्मीदवार सुब्रत पाठक ने सपा की डिंपल यादव को हराते हुए 5,63,087 वोटों से जीत हासिल की थी। वहीं डिंपल यादव 5,50,734 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही और निर्दलीय नेता प्रत्युष पाठक 3,883 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर थे।
2014 का परिणाम
2014 के चुनाव में कन्नौज सीट से सपा की डिंपल यादव 4,89,164 वोटों से जीत दर्ज की थी। बीजेपी के सुब्रत पाठक 4,69,257 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और बसपा के निर्मल तिवारी 1,27,785 वोटों के साथ तीसरे नंबर रहे थे।