Jyoti Shinde,Editor
Uniform Civil Code यानी समान नागरिकता कानून (UCC) क्या है अचानक क्यों छिड़ गई इसपर बहस और ये कहां कहां लागू है आइये विस्तार से समझते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गये एक बयान के बाद UCC के मुद्दे पर बहस छिड़ गई है । विपक्षी दल इसको लेकर अपनी अपनी राय देने में जुट गये हैं । लोकसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया है जिसपर वे सरकार को घेरना चाहते हैं । आखिर ऐसा क्या है इस समान नागरिक संहिता यानी UCC में आइये सरलतम भाषा में समझने की कोशिश करते हैं ।
UCC क्या है
UCC का फुल फार्म है Uniform Civil Code जिसका हिंदी पर्याय होता है – समान नागरिक संहिता यानी एक देश और एक कानून । जिस भी देश में UCC लागू है वहाँ फिर धर्म के आधार पर बनाये गये कानून का अस्तित्व सवत: समास्प हो जाता है। जो भी कानून बनाया जायेगा वो सभी धर्म के नागरिकों को समान रूप से स्वीकार करना होता है। UCC लागू होते ही विवाह, तलाक , संपत्ति में बँटवारे से लेकर अन्य सभी विषयों को लेकर जो भी कानून बनाये गये हैं उनका समान रूप से पालन करना अनिवार्य हो जाता है। वर्तमान में भारत में धर्म के आधार अलग – अलग कानून लागू हैं ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को भविष्य में लागू किया जाता है तो भारतीय संसद द्वारा देश में सभी धर्मों के लिए वही कानून लागू होगा।
कहां लागू है UCC :
वर्तमान में गोवा भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ UCC लागू है ।भारतीय संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है , इसे गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है , वहाँ हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई सभी जाति और धर्म के लोगों को एक ही फैमिली लॉ है. इस कानून के तहत गोवा में कोई भी ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता है. रजिस्ट्रेशन कराए बिना शादी कानूनी तौर पर मान्य नहीं होगी. शादी का रजिस्ट्रेशन होने के बाद तलाक सिर्फ कोर्ट के जरिए ही हो सकता है. संपत्ति पर पति-पत्नी का समान अधिकार है. इसके अलावा पैरेंट्स को कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल हैं. गोवा में मुस्लिमों को 4 शादियां करने का अधिकार नहीं है, जबकि कुछ शर्तों के साथ हिंदुओं को दो शादी करने की छूट दी गई है।
उत्तराखण्ड में UCC की स्थिति :
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बनी कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. समिति ने कहा, हम लोगों ने ड्राफ्ट बना लिया है. बहुत जल्द सरकार को सौंप देंगे. देश के कायदे कानून का हम लोगों ने अघ्ययन किया है.
इस ड्राफ्ट को तैयार करते वक्त विशेषज्ञ समिति ने इस मसले में संपर्क अभियान के दौरान सीमांत गांव माना से लेकर दिल्ली में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंड के निवासियों से भी इस मुद्दे पर विचार किया.
समिति ने आगे कहा, 2 लाख 31 हजार लोगों ने इस मामले पर हमें लिखित सुझाव दिए और 20,000 लोगों से व्यक्तिगत रूप उपस्थित हो कर अपने सलाह दिए. हमें इस दौरान सपोर्ट भी मिला और कुछ विरोध भी दर्ज कराए गए. वैसे तमाम तथ्यों पर ध्यान दिया गया है जो देश की राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा.
UCC पर विपक्षी दलों का समर्थन :
प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा दांव खेल दिया है कि विपक्षी दलों में फूट पड़ती दिखाई दे रही है । जहाँ कांग्रेस इसके विरोध में है वहीं आम आदमी पार्टी और जनतादल यूनाइटेड UCC के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि पीएम ने लोकसभा चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया है ।
कुछ महीने पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी केंद्र सरकार से UCC के क्रियान्वयन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था।
UCC पर आदिवासियों का विरोध क्यों :
आदिवासियों का मानना है कि UCC आने के बाद देश में उनकी पहचान समाप्त हो जायेगी । वे इस मुद्दे पर आंदोलन शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले 30 से अधिक आदिवासी नागरिक संगठनों के प्रतिनिधि नागरिक संहिता कानून के खिलाफ एकत्रित हुए और मीटिंग किये । आदिवासी समन्वय समिति के सदस्य देव कुमार धन ने कहा कि बैठक में हमने विधि आयोग को पत्र लिखकर यूसीसी के विचार को वापस लेने का आग्रह करने का फैसला किया है, क्योंकि इससे देश भर में आदिवासियों की पहचान खतरे में पड़ सकती है।उन्होंने कहा कि हम राज्यपाल से यूसीसी के विचार को वापस लेने के लिए केंद्र से अनुरोध करने का आग्रह करेंगे।
बीजेपी कब लागू करेगी भारत में UCC :
हालांकि यह अभी भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है लेकिन ऐसी खबर है कि मोदी सरकार अगस्त के मानसून सत्र में Uniform Civil Code का प्रस्ताव पेश कर सकती है। जानकारी के मुताबिक, नए संसद भवन में मानसून सत्र 17 जुलाई से शुरू हो सकता है और 10 अगस्त तक चलने की संभावना है. संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति (CCPA) की बैठक जुलाई महीने की शुरुआत में हो सकती है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सीसीपीए की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।