Greater Noida के इस गांव में खुदाई के दौरान मिला खजाना, लूट के लिए टूट पड़े गांव वाले
Greater Noida: ग्रेटर नोएडा से बड़ी और हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में दनकौर के राजपुर कला (Rajpur Kala) गांव की मिट्टी में खुदाई के दौरान काफी मात्रा में सफेद धातु के सिक्के और गहने मिले हैं। मिट्टी में दबे खजाने के बाहर आने के बाद ग्रामीणों में लूटने की होड़ मच गई। देखने में सिक्के और गहने चांदी के बने लग रहे हैं। यह खजाना किस काल का है इसकी जांच अभी होना बाकी है।
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इस गांव में मिला खजाना
हैरानी की बात यह है कि भारी मात्रा में मिट्टी में दबे खजाने के बाहर आने के बाद पुलिस प्रशासन को इसकी सूचना तक नहीं। जबकि गांव में बच्चे-बच्चे की जुबान पर खजाने की चर्चाए आम है। मिट्टी में मिले जेवर और गहने की जांच से गौतमबुद्ध नगर (Gautam Buddha Nagar) के इतिहास और यहां के समृद्धि का पुराना इतिहास सामने आ सकता है। सूत्रों के मुताबिक मिट्टी के नीचे से लगभग 18 से 20 किलो वजन के सिक्के और गहने मिले हैं।
राजपुर कला गांव के ग्रामीणों ने जानकारी दी कि रविवार की रात ग्राम प्रधान केली उर्फ कैलाश के खेत में जेसीबी से खुदाई चल रही थी। एक ग्रामीण उनके खेत से मिट्ठी उठावाकर निर्माणाधीन मकान का भराव करा रहा था। मिट्टी ट्रैक्टर ट्राली में भरकर लाई जा रही थी।
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मिट्टी में मिले सिक्के
सुबह होने पर ग्रामीणों को रास्ते में मिट्टी के साथ कुछ सिक्के गिरे हुए मिले। जैसे ही जमीन पर सिक्के मिलने की खबर गांव में पहुंची तो लोगों का हुजूम लूटने के लिए उमड़ पड़ा। ग्रामीण सड़क पर गिरी मिट्टी के सहारे खेत तक पहुंचे।
मिली जानकारी के अनुसार वहां पर भी ग्रामीणों को भारी मात्रा में सिक्के और सफेद धातु के जेवर प्राप्त हुए हैं। धातु की बनावट मुगल और अंग्रेजी शासनकाल के दौरान के होने का दावा किया जा रहा है। दूसरे दिन भी ग्रामीण सिक्कों की खोज में खेत के आसपास दिखाई दिए। इस बाबत ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन और पुरातत्व विभाग को कोई सूचना नहीं दी है।
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इतिहास से गौतमबुद्ध नगर का नाता
उत्तर प्रदेश का गौतमबुद्ध नगर दिल्ली से लगा हुआ है। यहां की इतिहास की अक्सर कहानी सुनने को मिलती है। बिसरख को त्रेता युग के रावण से भी जोड़ा जाता है। मान्यता है कि रावण का जन्म बिसरख क्षेत्र में हुआ था। दनकौर कस्बे के इतिहास को महाभारत काल से भी जोड़ते हैं। इसके साक्षी के रूप में द्रौण मंदिर में गुरु द्रोणाचार्य की वह मूर्ति मौजूद है। जिसके बारे में मान्यता है कि एकलव्य ने इसी मूर्ति के सामने धनुर विद्या में प्रवीणता प्राप्त की थी।
राजकुमारी निहालदे से लेकर मुगलकाल और अंग्रेजी हुकूमत में क्रातिकारियों की जन्मस्थली गौतमबुद्ध नगर के इतिहास को प्रमाणिकता अभी सामने नहीं आई है। पुरातत्व विभाग से इस उत क्षेत्र में खनन की कई बार मांग हो चुकी है। दनकौर के राजपुर कला गांव में मिले सिक्के और जेवर में इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि यहां उत खनन का क्षेत्र के इतिहास खंगालकर उसे प्रमाणित करने की जरूरत है।