Toll Tax में होने जा रहा है बदलाव, GNSS-आधारित टोल सिस्टम होगा लागू
Toll Tax: टोल टैक्स में बहुत ही जल्द बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इस बदलाव के बाद आपको टोल (Toll) कट जाएगा और आपको पता भी नहीं चलेगा। दरअसल केंद्र सरकार ने संसद के सामने सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन सिस्टम (Satellite-Based Navigation System) की सहायता से टोल टैक्स वसूली के लिए किए गए एक पायलट अध्ययन के बारे में जानकारी सामने रखी। राज्यसभा में एक लिखित जवाब में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने इसको लेकर कहा कि इस कॉन्सेप्ट को बंगलूरू-मैसूर खंड राष्ट्रीय राजमार्ग-275 और पानीपत-हिसार खंड राष्ट्रीय राजमार्ग-709 (पुराना राष्ट्रीय राजमार्ग-71ए) पर पायलट आधार पर लागू कर दिया गया था।
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नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने उच्च सदन को सूचित किया कि केंद्र सरकार ने मौजूदा FASTag (फास्टैग) सुविधा के साथ ही नेशनल हाईवे के चुनिंदा सेक्शन पर ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ETC) सिस्टम को शुरू में पायलट आधार पर लागू करने का निर्णय लिया है। GNSS, GPS (जीपीएस) और GLONASS (ग्लोनास) जैसी उपग्रह-आधारित नेविगेशन प्रणालियों के लिए एकसाथ में प्रयोग किया जाने वाला शब्द है।
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सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी ने इससे पहले कहा था कि NHAI का फास्टैग इकोसिस्टम के साथ GNSS-आधारित ETC सिस्टम को इंटीग्रेट करने की तैयारी है। जिसके शुरुआती चरण में एक हाइब्रिड मॉडल का प्रयोग किया जाना है। जिसमें RFID-आधारित ETC और GNSS-आधारित ETC दोनों एक साथ संचालित होंगे।
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नितिन गडकरी ने संसद को यह भी जानकारी दी कि परियोजना में GNSS-आधारित ETC का प्रयोग करने वाले वाहनों के लिए स्वतंत्र रूप से गुजरने के लिए डेडिकेटेड लेन का प्रस्ताव है। जैसा कि जीएनएसएस-आधारित ईटीसी ज्यादा व्यापक हो जाता है। सभी लेन आखिरकार जीएनएसएस लेन में बदल जाएंगे। समाचार एजेंसी एएनआई ने एक रिपोर्ट में इसके बारे में बताया गया है।
जानिए क्या है GPS-आधारित टोल कलेक्शन के लाभ
आपको बता दें कि GNSS-आधारित टोल कलेक्शन एक बाधा रहित टोल टैक्स वसूली का तरीका है। जिससे यात्रियों से उस विशेष हाईवे सेक्शन पर निर्धारित की गई दूरी के आधार पर शुल्क लिया जाएगा।
भारत में GNSS-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के कार्यान्वयन से नेशनल हाईवे पर वाहनों के सुगम आवागमन की सुविधा होने की उम्मीद है। इसमें हाईवे यूजर्स को बहुत फायदा देने की तैयारी है। जिसमें बाधा रहित, फ्री-फो टोलिंग शामिल है, जो दूरी-आधारित होगा।
कैसे काम करेगा जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन
जीपीएस-आधारित टोल कलेक्शन के तहत, सभी वाहनों को जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) तकनीक से लैस होना जरूरी होगा। इसमें वाहनों में तीसरी पीढ़ी (3जी) और जीपीएस कनेक्टिविटी वाले माइक्रो-कंट्रोलर लगाना शामिल होगा, जिससे सरकार उनकी गतिविधियों पर नजर रख सकेगी और उनके द्वरा सफर किए गए मार्गों और टोल गेटों से गुजरने के आधार पर टोल टैक्स निर्धारित कर सकेगी।
अभी आमतौर पर सड़क या परियोजना के किसी विशिष्ट खंड के अंत में टोल टैक्स वसूला जाता है, जिसमें लगभग 60 किलोमीटर की दूरी के लिए निश्चित दरें लागू होती हैं। हालाँकि, नई प्रणाली वास्तविक यात्रा की गई दूरी के आधार पर अधिक सटीक टोल कलेक्शन हो सकेगा।