एक निजी चैनल के कार्यक्रम में पंजाब के सीएम भगवंत मान ने नई शिक्षा प्रणाली का रोडमैप रखा. उन्होंने वन नेशन, वन एजुकेशन की वकालत करते हुए कहा कि पूरे देश में एक शिक्षा प्रणाली होनी चाहिए. उन्होंने शिक्षा प्रणाली के बारे में कहा कि शिक्षा वही होनी चाहिए जो जीवन में काम आये. इस समय शिक्षा प्रासंगिक नहीं है. उन्होंने अपने बचपन के किस्से सुनाते हुए अर्जी लिखने की बात कही. उन्होंने कहा कि वह पढ़ाई में बहुत होशियार थे और बचपन में शिक्षकों की नकल किया करते थे.
उन्होंने कहा कि उन्हें स्कूल में फीस माफी की अर्जी लिखने के लिए कहा गया. मैंने अर्जी लिखी तो प्रशंसा मिली, लेकिन उन्होंने पिता से कहा कि इसमें झूठ बातें हैं. उन्होंने कहा कि अगर गरीब नहीं लिखेगो, तो फीस नहीं माफ होगी. उस समय ही उन्होंने कहा था कि अगर उनके पास ऐसा पेन आ गया है, तो वह यह अर्जी बदल देंगे.
सीएम मान ने कहा कि हमारी सरकार ऐसा सिलेबस लेकर आ रही है, जिसमें कंटेंट पॉजिटिव रहेगा. उस अर्जी में कहा जाएगा कि मेरी फीस उधार कर दो. मैं वादा करता हूं कि मैं जज या बड़ा अफसर बनकर आऊंगा, तो फीस वापस कर दूंगा. इससे बच्चे के मन में पॉजिटिविटी आएगी
बच्चे तय करें, उन्हें क्या बनना है
उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल में आम जनता के बच्चे पढ़ते हैं. सिलेबस में माफियां मांगनी सिखाई जाती है. वही बड़े होकर बिजली माफ करने और कर्जा माफ करने की बात करते हैं. प्राइवेट स्कूल में फीस माफी की अर्जी है क्या.. वे तो दो लाख पहले ही ले लेते हैं. वन नेशन, वन एजुकेशन का नारा होना चाहिए. स्कूल ऑफ एमिनेंस खोल रहे हैं. जो बच्चा साइंस या अन्य विषय में जाना चाहता है. वह पहले ही तय हो जाएगा.
सीएम मान ने कहा कि पिता जो खुद नहीं बन सकते हैं. बच्चे को बनाना चाहते हैं. बच्चे से पूछ लो कि वो क्या बनना चाहता है. बच्चे से पूछ लो कि क्या करना है? मुझे स्टेज पर रूचि थी. मुझे ट्राफी बहुत खूबसूरत मिल गई है. एक बार मैंने एक प्रतियोगिता जीती, लेकिन ट्रॉफी घर नहीं लाया. मैं उस ट्रॉफी के साथ बस में खड़ा था, जो मैंने मालेरकोटला कॉलेज से जीती थी, क्योंकि उन्हें डर था कि पता चला तो उनकी फिर पिटाई होगी? ऐसी बहुत सारी ट्राफियां दे दी, जिसको मैं मिस करता हूं.
असफलता मिले तो भी हार नहीं माने
उन्होंने कहा कि जब मैं प्लस टू में पढ़ रहा था. कैसेट आती थी. सुपरहिट हो गया. पंजाब का बेस्ट कमेडियन का अवार्ड मिल गया. वही, पिताजी इंटरव्यू दे रहे थे कि मेरे बच्चे में टैलेंट हैं. लेकिन यह झूठ है.
उन्होंने कहा का कि यदि एक असफलता भी मिले, तो हार नहीं मानना चाहिए. भगवंत मान पहली इलेक्शन हार गया था. उसके बाद कई दिग्गजों को हराया था. न तो तरक्की या सपने-बुनने या चुनने की उम्र होती है.
देश के सबसे बड़े सम्मेलन में पहुंचे मुख्यमंत्री मान ने कहा था कि उन्होंने नहीं सोचा था कि वह कभी मुख्यमंत्री बनेंगे. उन्होंने कहा कि जीवन में कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है जिसके बारे में कभी सोचा नहीं होता.