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FASTag में बैलेंस का झंझट खत्म, RBI ने बना दिया नया नियम

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FASTag को लेकर RBI ने बनाया नया नियम, अब बैलेंस का झंझट हुआ खत्म

FASTag: फास्टैग यूजर्स के लिए बड़ी और खुश कर देने वाली खबर है। आपको बता दें कि अब फास्टैग में बैलेंस को लेकर झंझट खत्म हो जाएगा। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने फास्टैग और नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (National Common Mobility – NCMC) को ई-मेंडेट (e-mandate) फ्रेमवर्क में शामिल कर दिया है। इससे इन दोनों पेमेंट इंट्रूमेंट्स में अमाउंट निर्धारित लिमिट से कम होते ही ग्राहकों के खाते से पैसे निकलकर इसमें जुड़ जाएगा। इसके लिए यूजर को बार-बार फास्टैग का रिचार्ज नहीं करना होगा। कुल मिलाकर अब ग्राहकों फास्टैग रिचार्ज (Fastag Recharge) करने का काम समाप्त हो जाएगा। पर्याप्त बैलेंस नहीं होने पर भी गाड़ी टोल प्लाजा पर नहीं रुकेगी। आसानी से पार कर जाएगी। ई-मैंडेट (E-Mandate) फ्रेमवर्क को साल 2019 में तैयार किया गया था। इसका मकसद ग्राहकों को उनके अकाउंट्स से होने वाले डेबिट की जानकारी देकर उनके हितों की रक्षा करना है।
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Pic Social media

RBI ने एक प्रेस रिलीज (Press Release) जारी कर कहा है कि फास्टैग और NCMC के तहत पेमेंट की कोई तय समय सीमा नहीं होती है। कभी भी पेमेंट करने की आवश्यकता पड़ सकती है। लिहाजा बिना किसी निश्चित तय समय सीमा के पैसे खाते से क्रेडिट हो जाएंगे।

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प्री डेबिट का नोटिफिकेशन जरूरी

हालांकि इसके लिए यूजर्स को प्री-डेबिट (Pre-Debit) का नोटिफिकेशन देना आवश्यक नहीं होगा। इसके तहत ई-मेंडेट फ्रेमवर्क के बाकी सभी नियम और दिशा निर्देश समान रहेंगे। पहले यूजर को अपने खाते से पैसे डेबिट करने के लिए कम से कम 24 घंटे पहले प्री-डेबिट की नोटिफिकेशन (Notification) भेजना होता था। RBI ने 7 जून 2024 को मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक में ई-मेंडेट फ्रेमवर्क के तहत फास्टैग और NCMC के लिए रिकरिंग पेमेंट्स को भी शामिल करने की घोषणा कर दी थी। वर्तमान समय में ई-मैंडेट ढांचे के तहत ग्राहक के खाते से पैसे निकालने से कम से कम 24 घंटे पहले इसकी सूचना देने की जरूरत होती है। RBI ने कहा कि देश में फास्टैग और NCMC जैसे पेंमेंट इंट्रूमेंट्स का चलन लगातार बढ़ रहा है। पहले फास्टैग और NCMC वॉलेट में पैसे कम हो जाते थे तो पेमेंट करने में परेशानी होती थी।

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जानिए क्या है फास्टैग

आपको बता दें कि फास्टैग एक तरह का टैग या स्टिकर होता है जो वाहन की विंडस्क्रीन पर लगता है। फास्टैग रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन या RFID तकनीक पर काम करता है। इस तकनीक के माध्यम से टोल प्लाजा पर लगे कैमरे स्टिकर के बार-कोड को स्कैन कर लेते हैं। टोल फीस अपनेआप फास्टैग के वॉलेट से काट जाती है। एक बार खरीदा गया फास्टैग स्टिकर 5 साल के लिए वैलिड होता है। यानी 5 साल बाद आपको स्टीकर बदलवाना या इसकी वैलिडिटी बढ़वानी पड़ती है।