ज्योति शिंदे, एडिटर, खबरीमीडिया
रोटी, कपड़ा और मकान..कुछ इसी तर्ज पर 12 साल पहले खरीदारों को सब्जबाग दिखाकर फ्लैट बेचने वाले सुपरटेक ईकोविलेज1(Supertech Ecovillage-1) के हजारों फ्लैट खरीदार अभी भी रजिस्ट्री की राह देख रहे हैं। अपने फ्लैट की रजिस्ट्री कराने के लिए भटक रहे हैं।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का करीब 500 करोड़ रुपये बकाया होने के चलते 11000 से अधिक फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री अटकी हुई है। ये खरीदार इको विलेज वन, टू और थ्री परियोजना के हैं। प्राधिकरण, बिल्डर और खरीददारों के बीच बैठक इसे लेकर कई बार बैठक भी हो चुकी है लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। इको विलेज-1 के खरीददारों ने बिल्डर को पैसा तो दे दिया, लेकिन उनकी सभी रजिस्ट्री के लिए परेशान हो रहे हैं ।
सुपरटेक बिल्डर की मानें तो प्राधिकरण का 80 प्रतिशत पैसा जमा कर दिया है। वहीं प्राधिकरण की ओर से बताया गया कि तीनों परियोजनाओं में करीब 500 करोड़ रुपये बकाया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में ब्याज दर को लेकर मामला लंबित है। बिल्डरों को एमसीएलआर की दर से ब्याज देने का आदेश हुआ था। इस फैसले की समीक्षा के लिए प्राधिकरण अदालत गए हैं। यह फैसला आने के बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई हो सकेगी।
पूरा खेल समझिए
बिल्डर परियोजनाओं में एफएआर का बड़ा खेल है। पहले कम एफएआर पर परियोजना मंजूर होती है। बाद में एफएआर बढ़वा लिया जाता है। बिना एफएआर बढ़वाए भी बिल्डर फ्लैट बना देते हैं।
ऐसे में सुपरटेक ईकोविलेज-1 के फ्लैट खरीदारों से अपील है कि ज्यादा से ज्यादा नीचे दिए लिंक पर री-ट्वीट करके अपनी आवाज योगी सरकार तक पहुंचाएं।