ज्योति शिंदे, संपादक, ख़बरीमीडिया
ख़बर आपको बताएं उसके पहले आपको थोड़ा पीछे लिए चलते हैं। 1 जून 2023 ही वो तारीख़ थी जब सुपरटेक इकोविलेज-1(Supertech Ecovillage-1) में चला आ रहा 40 दिनों का आंदोलन ख़त्म हुआ था। ख़ास मौके पर पुलिस के तमाम आला-अधिकारी मौके पर मौजूद थे। आंदोलन शुरू होने से लेकर ख़त्म होने तक निवासियों का पूरा जमावड़ा आंदोलन स्थल पर मौजूद रहा।
और कुछ इस तरह बिना हो-हंगामे के सुपरटेक इकोविलेज-1 के निवासियों ने आंदोलन ख़त्म कर दिया। मैनेजमेंट की तरफ से कुछ मांगें मान ली गई..कुछ पेंडिंग है। ब्रैकग्राउंडर इसलिए भी बताना जरूरी था ताकि लोग समझे कि पीछे हुआ क्या था।
अब मुद्दे पर आते हैं। 40 दिनों के आंदोलन में सुपरटेक इकोविलेज-1 के तमाम स्थानीय निवासियों के साथ रंजना सूरी भारद्वाज और विजय चौहान ने अहम भूमिका निभाई। हालांकि आंदोलन कर रहे तमाम साथियों पर अलग-अलग तरह से दबाव बनाए गए..लेकिन किसी ने झुकना मंजूर नहीं किया। इसी दौरान प्रशासन की तरफ से आंदोलनकारियों को एक नोटिस दिया गया..जिसमें रंजना सूरी भारद्वाज और विजय चौहान का नाम उल्लेखित था। दोनों को नोटिस भेजकर 17 अगस्त 2023 यानी कल पेशी के लिए बुलाया गया। यही नहीं 1 लाख रुपए का बॉन्ड भरने के लिए कहा गया है।
पूरे मामले पर जब ख़बरीमीडिया ने रंजना सूरी भारद्वाज से बात की तो उनका कहना था- ये आंदोलन सुपरटेक इकोविलेज-1 की बेहतरी के लिए था। निवासियों के हक के लिए था। 40 दिनों तक बिना किसी शोर-शराबे का हमारा शांतिपूर्ण प्रदर्शन चलता रहा। फिर नोटिस किस बात की। जब हमने कोई अपराध ही नहीं किया है तो पेशी कैसी और बॉन्ड कैसा ?
विजय चौहान ने भी नोटिस को सरासर गलत बताया..उन्होंने कहा कि अगर आम जनता के हक में आवाज़ उठाना गुनाह है तो ये गुनाह बार-बार होगा। क्योंकि ये जनमानस की आवाज़ है..जो शांत हो सकती है लेकिन ख़ामोश नहीं। सोसायटी के एक और निवासी अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है कि पुलिस-प्रशासन की तरफ से इस तरह का नोटिस..सुपरटेक इकोविलेज-1 की यूनिटी को कमजोर करने और बिल्डर लॉबी को मजबूत करने के लिए है।
वहीं सुपरटेक इकोविलेज-1 के निवासी सुमित सक्सेना ने इसे एकतरफा कार्रवाई बताया है। कहा है कि पुलिस-प्रशासन को दोनों पक्ष को सुनना चाहिए था। एक पक्ष को नोटिस भेजना ये फ्रीडम ऑफ स्पीच के खिलाफ है। प्रशासन को इस पर फौरन संज्ञान लेना चाहिए।
बड़ा सवाल यही है कि जब शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ आंदोलन..शांतिपूर्ण तरीके से ख़त्म हो गया फिर नोटिस और बॉन्ड जैसी बातें भी ख़त्म होनी चाहिए। शायद यही जनमानस और सुपरटेक-1 के हित में भी है।