भारतीय ज्ञान की सर्वोच्च विरासत है योग साधन: डॉ चिन्मय पण्ड्या
भारत सहित अमेरिका, कनाडा, इंग्लैण्ड आदि देशों में शांतिकुंज के योगाचार्यों ने योग कराया
हरिद्वार 21 जून। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में 10वाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया। योगाभ्यास कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ कार्यकर्त्ता श्री शिवप्रसाद मिश्र, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या आदि ने किया। इस अवसर पर गायत्री विद्यापीठ के विद्यार्थियों, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के युवा, आचार्य, अधिकारियों सहित शांतिकुंज के अंतेवासी कार्यकर्त्ताओं को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार डॉ राम अवतार पाटीदार ने योगाभ्यास कराया।
योग दिवस के मौके पर अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने दैनिक जीवन में योग को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि नियमित योगाभ्यास करने से तन, मन सुदृढ़ रहता है। इस अवसर पर युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि मां गायत्री अजपा हैं, जो योगियों, संतों और साधकों को मोक्ष देती हैं। साधना का यह सर्वोच्च पथ है। भारतीय ज्ञान की सर्वोच्च विरासत योग साधना है। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व योग की गंगा में स्नान कर रहा है। इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों ने सुमधुर गीतों से उपस्थित साधकों, योगाचार्यों के तन मन को योगाभ्यास हेतु मानसिक रूप से तैयार किया।
शांतिकुंज मीडिया सेल के अनुसार देवसंस्कृति विश्वविद्यालय एवं शांतिकुंज परिवार के योगाचार्यों ने उत्तराखण्ड सहित कई राज्यों के सामूदायिक भवनों, गायत्री शक्तिपीठों, जोन संगठन कार्यालय, उपजोनों में योगाभ्यास कराया। अमेरिका में प्रो. विश्वप्रकाश त्रिपाठी, सुरेन्द्र वर्मा, इंग्लैण्ड में परमानंद द्विवेदी, डॉ शिवनारायण प्रसाद, दिलथीर यादव तथा कनाडा में प्रमोद भटनागर, ओंकार पाटीदार ने योगाभ्यास कराया। तो वहीं आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, वियतनाम, रसिया, मॉरीशस, चीन, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में देसंविवि व शांतिकुंज से प्रशिक्षित योगाचार्यों ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार योगाभ्यास कराया।