महेंद्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
यूपी की बस्ती लोकसभा सीट में इस बार का मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। हालांकि इस सीट पर बीजेपी की तरफ से हरीश द्विवेदी चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन सपा सरकार में मंत्री रह चुके राजकिशोर सिंह के बीजेपी का दामन थामने की वजह से पार्टी में नई जान आ गई है। जिससे ना सिर्फ हरीश द्विवेदी बल्कि बीजेपी को भी बड़ा फायदा मिलने वाला है। इसके पीछे की वजह जान लीजिए।
अयोध्या रामभूमि से सटी यूपी की बस्ती सीट में राजकिशोर सिंह का बड़ा दबदबा माना जाता है। यहां के हर वर्ग में राजकिशोर सिंह की अलग पकड़ है। राजकिशोर सिंह का व्यक्तिगत व्यवहार ऐसा कि वो हर जाति-धर्म के बीच लोकप्रिय हैं। ऐसे राजकिशोर सिंह का जनाधार, बीजेपी के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है।
बस्ती लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के 80 संसदीय सीटों में से एक है। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को बस्ती सीट पर जीत मिली थी। हरीश द्विवेदी यहां से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने में सफल हुए थे। इस बार भी बीजेपी ने हरीश द्विवेदी को टिकट दिया है। लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में सीट हारने की वजह से बीजेपी कुछ समय पहले तक टिकट को लेकर पशोपेश में थी। लेकिन अब बीजेपी का ये संकट दूर हो गया है।
क्योंकि पूर्वांचल के बाहुबली नेता माने जाने वाले राजकिशोर सिंह ने अपने भाई बृज किशोर सिंह के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। इससे ना सिर्फ हरीश द्विवेदी को राहत मिली है बल्कि ये बीजेपी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है।
सपा के करीबी रह चुके हैं राजकिशोर सिंह
सपा, कांग्रेस और फिर बसपा में रहकर राजनीति का लंबा सफर तय करने के बाद राजकिशोर सिंह का राजनीतिक करियर पिछले 8 साल से ग्रहण में लगा हुआ था। चाचा शिवपाल के करीबी माने जाने वाले राजकिशोर सिंह को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने साल 2016 में राजकिशोर सिंह को मंत्री पद से हटा दिया। बाद में अखिलेश यादव ने राजकिशोर सिंह के भाई का टिकट 2017 विधानसभा चुनाव में काट दिया था । बाद में इन्होंने बसपा ज्वाइन किया और बसपा से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा और वे हार गए।
हालांकि एक हफ्ते पहले ही हरैया सीट से तीन बार के विधायक रहे राजकिशोर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। लखनऊ में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी डिप्टी सीएम बृजेश पाठक सहित अन्य शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में राज किशोर सिंह ने बीजेपी की सदस्यता ली।
राजकिशोर सिंह का परिचय
राजकिशोर सिंह ने एपीएनपीजी डिग्री कॉलेज में छात्र राजनीति शुरू की. फिर साल 2002 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य बने. फिर साल 2002 में हर्रैया से चुनाव लड़ा और जीत गए. साल 2003 में बसपा छोड़ कर गए और सपा में कैबिनेट मंत्री बने. साल 2007 में राजकिशोर सिंह दूसरी बार विधायक बने.
2012 में सपा की सरकार आई तो विधायक बने और अखिलेश सरकार में मंत्री पद संभाला. राजकिशोर सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद जिले की राजनीति में नई चर्चा शुरू हो गई है इस तरीके से राज किशोर सिंह का जनाधार और कद है। उससे जिले के वर्तमान सियासी समीकरण में बहुत कुछ नया देखने को मिलेगा। साथ ही ये यह देखना दिलचस्प होगा कि साल 2024 के बस्ती लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी हरीश द्विवेदी के चुनाव पर इसका कितना असर पड़ेगा.