Pushkar Dhami: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने शुक्रवार (1 नवंबर) को केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में पूजा-अर्चना कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया। केदारनाथ धाम के कपाट इस वर्ष रविवार, 3 नवंबर को सुबह 8:30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इस पावन धाम के कपाट इस वर्ष 25 अप्रैल को श्रद्धालुओं के लिए खुले थे। केदारनाथ, उत्तराखंड के प्रसिद्ध चार धामों (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) में से एक है, जो हर साल करीब छह महीने के लिए श्रद्धालुओं के लिए बंद रहता है।
चार धाम यात्रा में उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब, 40 लाख से अधिक पहुंचे इस वर्ष
चार धाम यात्रा, जो यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ में समाप्त होती है, इस वर्ष बेहद सफल रही। इस बार यात्रा 10 मई से आरंभ हुई थी और 14 अक्टूबर को 27,789 तीर्थयात्रियों ने चार धाम के दर्शन किए। इनमें से सबसे अधिक 11,309 श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे, जबकि बद्रीनाथ में 6,644, गंगोत्री में 2,406 और यमुनोत्री में 3,290 तीर्थयात्री आए।
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मुख्यमंत्री कार्यालय की जानकारी के अनुसार, इस वर्ष अब तक 40 लाख से अधिक श्रद्धालु चार धाम यात्रा में शामिल हो चुके हैं, जो राज्य की अर्थव्यवस्था और पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण योगदान है।
चार धाम यात्रा के संचालन पर सीएम धामी का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चार धाम यात्रा को सुचारू और सुरक्षित बनाना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि चार धाम यात्रा न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा, “श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यात्रा व्यवस्था को और विस्तारित करना आवश्यक है, ताकि अधिक से अधिक लोग सुरक्षित और आरामदायक तरीके से दर्शन कर सकें।”
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पिछले वर्षों की बात करें तो, 2022 में 46.29 लाख तीर्थयात्री और 2019 में 34.77 लाख तीर्थयात्री चार धाम यात्रा में पहुंचे थे। कोविड महामारी के दौरान, वर्ष 2020 और 2021 में तीर्थयात्रियों की संख्या में काफी कमी आई थी, जो क्रमशः 3.30 लाख और 5.29 लाख रही।
सीएम धामी ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने यात्रा की बेहतर व्यवस्थाओं के लिए व्यापक तैयारी की थी, जिसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों को सुगम, सुरक्षित और व्यवस्थित यात्रा अनुभव देना था।