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Punjab: भूजल संरक्षण.. पानी की समस्या से छुटकारा दिलाने की पहल

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Punjab: भूजल संरक्षण की पहल..पंजाब में पानी की समस्या का हो रहा है समाधान

Punjab: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान (CM Bhagwant Singh Mann) ने राज्य में भूजल संरक्षण (Groundwater Conservation) की गंभीर समस्या को सुलझाने के लिए कई महत्वपूर्ण और बड़े कदम उठाए हैं। पंजाब, जो एक समय भारत का अनाज का कटोरा कहलाता था, वर्तमान समय में गंभीर भू जल संकट (Ground Water Crisis) का सामना कर रहा है। अत्यधिक भू जल दोहन और परंपरागत फसल चक्र की वजह से पंजाब में भूजल स्तर तेजी से नीचे चला गया है। भगवंत मान (Bhagwant Mann) की अगुवाई में सरकार ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए भूजल संरक्षण के लिए कई बड़ी योजनाएं लागू की हैं, जो राज्य के जल स्रोतों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
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धान और गेहूं के फसल चक्र में बदलाव

पंजाब के भूजल संकट (Ground Water Crisis) का एक प्रमुख कारण धान और गेहूं के पारंपरिक फसल चक्र पर निर्भरता है। धान की खेती में सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है, जिससे भूजल स्तर लगातार कम होता जा रहा है। पंजाब की सत्ता जब से भगवंत सिंह मान के हाथों में आई तब से उन्होंने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और किसानों को धान की जगह कम पानी वाली फसलों की ओर प्रेरित करने के लिए कई योजनाएं शुरू कीं।

मान सरकार (Mann Sarkar) ने किसानों को धान के बजाय मक्का, दाल, और अन्य कम पानी वाली फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके तहत सरकार ने किसानों को इन फसलों के लिए उचित बाजार मूल्य और सब्सिडी प्रदान की, जिससे वे बिना किसी आर्थिक नुकसान के फसल चक्र में बदलाव कर सकें। इससे न केवल सिंचाई में कमी देखने को मिल रही है, तो वहीं दूसरी ओर कृषि आय में भी वृद्धि हो रही है।

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ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक का प्रयोग

पंजाब के भूजल संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री मान (CM Bhagwant Singh Mann) की अगुवाई में सरकार ने सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों के प्रसार को प्राथमिकता दी है। ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी तकनीकों को भी मान सरकार बढ़ावा देने का काम कर रही है, जो कम पानी से ही सिचाई करने की एक तकनीक है। इन प्रणालियों से पौधों को सीधे जड़ में पानी पहुंचाया जाता है, जिससे जल का अधिकतम उपयोग हो सके और पानी की बर्बादी कम से कम हो।

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मान सरकार (Mann Sarkar) ने सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली (Micro Irrigation System) लगाने के लिए किसानों को अनुदान और तकनीकी सहायता भी प्रदान की है। इस योजना के तहत किसान अब अपनी फसलों के लिए कम पानी का उपयोग कर अधिक उत्पादन कर पा रहे हैं, जो कि भूजल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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नहरी जल को दूर दूर तक पहुंचाना

पंजाब (Punjab) में सिंचाई के लिए ज्यादातर किसान भूजल (Groundwater) पर ही निर्भर होते हैं, क्योंकि नहरों से पर्याप्त पानी की सप्लाई नहीं हो पाती है। किसानों की इस समस्या को हल करने के लिए मुख्यमंत्री मान ने नहरों और सिंचाई प्रणाली को और बेहतर बनाने का भी काम किया है। पंजाब की पुरानी और जर्जर नहरों का नवीनीकरण का काम भी हो रहा है, जिससे जल वितरण में सुधार हो और किसानों को भूजल के बजाय सतही जल का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
इसके साथ ही, सरकार ने जल वितरण में होने वाले विवाद को रोकने के लिए नहरों के किनारों पर पक्की दीवारें बनाने और उन्हें नियमित रूप से साफ करने के निर्देश दिए हैं। इस योजना से सतही जल का उपयोग बढ़ेगा और भूजल स्तर में भी सुधार देखने को मिलेगा।

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फाजिल्का में 35 साल बाद नहरी पानी पहुंचा

पंजाब के फाजिल्का (Fazilka) के गांव जानीसर में 35 वर्षों बाद जनवरी 2024 में नहरी पानी पहुंचा। पंजाब में कई ऐसी नहरें हैं, जहां आजादी के बाद से नहरी पानी पूरी तरह विलुप्त हो गया है, जिन्हें मान सरकार द्वारा जीवित कर उस क्षेत्र को हरा-भरा किया जा रहा है।

हर जिले के अंतिम छोर तक पहुंचाएंगे नहरी पानी: मान

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान (CM Bhagwant Singh Mann) ने कहा है कि प्रदेश के हर जिले में अंतिम छोर तक नहरी पानी पहुंचाया जाएगा। सरकार ने इसके लिए कई नए प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, जिसमें मालवा नहर प्रोजेक्ट और शाहपुर कंडी बांध योजना शामिल हैं। मान सरकार का कहना है कि हमारी प्राथमिकता है कि प्रदेश में गिरते भूजल स्तर की स्थिति को नहरी पानी की उपयोगिता को बढ़ाकर इस संकट को दूर किया जाए।

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पंजाब ने पानी की समस्या से निपटने के लिए मान सरकार ने फिर नहरी पानी पर भरोसा जताया है। पंजाब के सिंचाई विभाग के आंकड़े के अनुसार प्रदेश में कुल 17,184 नहरें हैं। इनमें से 4 हजार नहरों का पुनर्निमाण हो चुका है। शेष पर काम चल रहा है। इससे दो तरह से सीधा लाभ होगा, एक यह कि नहर के पानी का उपयोग केवल 20 प्रतिशत होता है और यह कीमती खजाना बर्बाद हो रहा है, उपयोग बढ़ने से नहर के पानी का व्यर्थ प्रवाह बंद हो जाएगा, दूसरा उपयोग है नहरी पानी के कारण ट्यूबवेल भी कम चलेंगे, जिससे भूमिगत जल की बचत होगी।

भूजल पुनर्भरण परियोजनाएं

भूजल स्तर को मेनटेन करने के लिए सीएम भगवंत सिंह मान ने कई रिचार्ज परियोजनाएं के तहत भी काम कर रहे हैं। वर्षा जल संग्रहण और इसके पुनर्भरण के लिए गांवों और शहरी क्षेत्रों में विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। बारिश के पानी को संरक्षण कर उसे भूजल भंडार में पुनर्भरित करने की दिशा में सरकार ने बड़ी पहल की है।
मान सरकार ने तालाबों और जलाशयों की साफ- सफाई और पुनर्निर्माण की योजना शुरू की है, जिससे वर्षा जल को संग्रहित कर भूजल स्तर को सही किया जा सके। इसके साथ ही, औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण के लिए सख्त नियम लागू किए गए हैं। इससे बड़े पैमाने पर जल की बचत हो रही है और भूजल स्तर को स्थिर करने में सहायता मिल रही है।

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फसल विविधीकरण को बढ़ावा

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने पंजाब के किसानों को धान गेंहू के अलावा दूसरी फसलों के लिए भी प्रेरित कर रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य जल-गहन फसलों से हटकर कम पानी की मांग वाली फसलों की ओर स्थानांतरित होना है। मक्का, बाजरा, और दलहनी फसलों जैसी वैकल्पिक फसलों की खेती को प्रोत्साहित मान सरकार द्वारा किया जा रहा है। इन फसलों को उगाने के लिए न केवल कम पानी की आवश्यकता होती है, बल्कि ये फसलें मिट्टी की उर्वरता को भी बरकार रखती हैं।
इसके साथ ही पंजाब सरकार किसानों को इन फसलों के लिए बाजार और आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रही है, जिससे वे धान और गेहूं जैसी फसलों पर निर्भरता कम कर सकें। फसल विविधीकरण योजना से भूजल के स्तर में सुधार आ रहा है और कृषि में स्थिरता आ रही है।

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जल संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान

पंजाब के भूजल स्तर को कम होने से रोकने और संरक्षण के लिए सिर्फ मान सरकार सिर्फ योजना ही नहीं बना रहा है बल्कि लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने का भी काम कर रही है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने राज्यभर में जल संरक्षण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किए हैं। किसानों, छात्रों, और आम नागरिकों के बीच जल के महत्व और इसके संरक्षण के तरीकों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
मान सरकार स्कूलों और कॉलेजों में जल संरक्षण पर आधारित विशेष कार्यक्रम आयोजित करवा रही है, जिससे छात्रों को जल के महत्व और उसके बचाव के तरीकों के बारे में जागरुक किया जा सके। साथ ही, किसानों के लिए प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें उन्हें जल की बचत करने वाली तकनीकों के बारे में जानकारी दी जा रही है।

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जल संरक्षण के लिए कानूनी उपाय

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सरकार ने जल संरक्षण को कानूनी रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए कई फैसले लिए हैं। जल के अत्यधिक उपयोग और बर्बादी को कम करने के लिए मान सरकार ने सख्त नियम भी बनाए हैं। औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों में जल की बर्बादी को रोकने के लिए मान सरकार ने कठोर नियम बनाए हैं, जिनका पालन न करने पर भारी जुर्माना लगाया जाता है।
इसके साथ ही, खेतों में ज्यादा जमीनी जल का प्रयोग रोकने के लिए किसानों को जल का कम से कम उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत ड्रिप सिंचाई और अन्य जल-बचत तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

जल गुणवत्ता सुधार

पंजाब में एक तरफ जहां तेजी से भूजल स्तर गिरता जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पंजाब के कई हिस्सों में भूजल की गुणवत्ता भी एक गंभीर समस्या है, जहां जल में फ्लोराइड, आर्सेनिक, और दूसरे हानिकारक तत्व पाए जाते हैं। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की सरकार ने इन समस्याओं के समाधान के लिए जल गुणवत्ता सुधार परियोजनाएं शुरू की हैं। इसके तहत गांवों और शहरों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए नई जल शोधन योजनाएं शुरू की गई हैं।
मान सरकार ने भूजल के परीक्षण के लिए विशेष लैब्स की भी स्थापना की है, जहां जल की गुणवत्ता की नियमित जांच होती है। अगर किसी क्षेत्र में जल की गुणवत्ता खराब पाई जाती है, तो वहां तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं, जिससे लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित जल मिल सके।

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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई में पंजाब सरकार ने भूजल संरक्षण के लिए जो कदम उठाए हैं, वे न केवल तत्काल जल संकट का समाधान कर रहे हैं, बल्कि भविष्य में भी राज्य को जल के स्थायी उपयोग की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं। फसल चक्र में बदलाव, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली, नहरों का पुनर्निर्माण, और जल पुनर्भरण योजनाएं जैसे ठोस प्रयास भूजल स्तर को स्थिर करने और राज्य के जल संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक साबित हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की दूरदर्शी सोच और सक्रिय नेतृत्व ने पंजाब को जल संरक्षण के क्षेत्र में एक नई दिशा दी है। उनकी योजनाएं न केवल राज्य के किसानों और नागरिकों के लिए लाभकारी हैं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों में भी योगदान कर रही हैं।