Punjab के किसानों के लिए अच्छी खबर, इस योजना से दो गुना तक बढ़ जाएगी आय
Punjab News: पंजाब के किसानों के लिए बड़ी और खुश कर देने वाली खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि पंजाब की मान सरकार (Mann Sarkar) ने कहा है कि वह अपने खुद के लेबल के तहत पंजाब में निर्मित रेशम उत्पादों (Silk Products) को बाजार में उतारेगी। राज्य स्तरीय रेशम दिवस समारोह के मौके पर पंजाब सरकार में बागवानी मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा (Chetan Singh Jauramajra) ने रेशम उत्पादों के लिए विभाग का लोगो जारी किया। इस दौरान उन्होंने यह घोषणा कि साल 2025 के आखिरी तक पंजाब में रेशम उत्पादन को दोगुना करने के हर संभव प्रयास किया जाएगा। जौरामाजरा ने आगे कहा कि वर्तमान समय में गुरदासपुर, होशियारपुर, पठानकोट और रूपनगर के उप-पहाड़ी जिलों के लगभग 230 गांवों में रेशम उत्पादन किया जाता है।
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पंजाब में अभी होता है 2 प्रकार का रेशम
बागवानी मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा (Chetan Singh Jauramajra) ने कहा कि पंजाब में प्रमुख रूप से दो प्रकार के रेशम (Silk) का उत्पादन करता है- बाइवोल्टाइन शहतूत (Bivoltine Mulberry) और दूसरा एरी रेशम। मंत्री के अनुसार यह व्यवसाय मुख्य रूप से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों, भूमिहीन व्यक्तियों या छोटी जोत वाले लोगों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अभी, एक रेशम किसान की वार्षिक आय 40,000 से 50,000 रुपये है, जिसे अपर्याप्त माना जा रहा है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए रेशम उत्पादों के उचित मूल्य के मामले को उठाते हुए, मंत्री जौरामजरा ने कहा कि पंजाब सरकार कोकून को संसाधित करने के लिए अपनी रीलिंग इकाइयाँ स्थापित करेगी, जिससे यह तय हो सकेगा कि रेशम किसानों को उनके उत्पाद के लिए ज्यादा मूल्य मिल सके। पठानकोट (Pathankot) में कोकून को रेशम धागे में बदलने के लिए एक रीलिंग इकाई लगाई जा रही है।
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2 गुना तक बढ़ेगी किसानों की आय
मंत्री चेतन सिंह जौरामाजरा ने आगे बताया कि इस इकाई के शुरू होने के बाद किसानों के आय में 1.5 से 2 गुना वृद्धि हो सकती है। उन्होंने उत्पादन लागत को कम करने और किसानों को सस्ती दरों पर बीज उपलब्ध कराने के लिए डलहौजी (Himachal Pradesh) में राज्य के एकमात्र रेशम बीज उत्पादन केंद्र को फिर से सक्रिय करने के महत्वपूर्ण कदम का भी उल्लेख किया।
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इस दौरान विशेष मुख्य सचिव (बागवानी) के ए पी सिन्हा ने बताया कि पंजाब में 13 सरकारी रेशम उत्पादन फार्म हैं और इन फार्मों में स्थापित बुनियादी ढांचे के साथ, विभाग का तकनीकी स्टाफ रेशम किसानों को जरूरी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। इन सुविधाओं में वृक्षारोपण सहायता, रेशमकीट के अंडों का वितरण, युवा रेशमकीटों का पालन और कोकून विपणन के लिए सहायता आदि चीजें शामिल है।