भारत विकास परिषद ने की फेलोशिप देने की घोषणा
JNU: रविवार को सीनियर, मित्र, शिक्षक, नेतृत्वकर्ता प्रोफेसर रविशंकर सिंह (Professor Ravi Shankar Singh) जी की तीसरी पुण्य तिथि थी। जिसको लेकर जेएनयू (JNU) में प्रोग्राम का आयोजन किया गया। प्रो. रवि न सिर्फ BHU के भूगोल विभाग (Geography Department) के अन्यतम प्रोफेसर थे बल्कि जेएनयू के हर दिल अजीज एल्युमना भी थे। गंभीर शोधकर्ता, कुशल नेतृत्वकर्ता, प्रभावी वक्ता,स्नेहिल, सौम्य व्यक्तित्व के पुरस्कर्ता के रूप मे उनकी छवि को कौन भूल सकता है।
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इस अवसर पर 90 के दशक में ABVP के विभाग संगठन मंत्री रहे और वर्तमान समय में भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन जी आए। उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके नेतृत्व को याद किया।
उनके मित्रों में प्रोफेसर बृजबिहारी सिंह, प्रोफेसर जयंत त्रिपाठी, प्रोफेसर मजहर आसिफ, प्रेमनाथ झा, आईएएस आदित्य पटेल आदि ने अपने विचारों को स्मृतियों को साझा किया। प्रोफेसर रवि शुक्ला, डॉ. नसीब अली के साथ सीएसआरडी के प्रोफेसर, उनके मित्र, विद्यार्थी के साथ उनके हित परिचितों की बड़ी संख्या उपस्थित रही। जो मित्र नहीं आ पाए उन्होंने संदेश के जरिए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया। तंजानिया से उनके सहपाठी रहे मृत्युंजय मोहन झा निरंतर उनके स्मृति कार्यक्रम को लेकर साकांक्ष बने रहे। एनई में प्रांत प्रचारक के रूप मे भूमिका निभा रहे। हम सब के प्रिय मित्र सुनील मोहंती जी ने दूर से ही अपने संदेश को भेजा। ओडिशा BJP में अब महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे जतिन मोहंती जी, अस्वस्थ्ता के बावजूद सुरेश सिंह जी ने उन्हें याद करते हुए अपने संदेश में उनके जुझारू व्यक्तित्व को याद किया। रश्मि दास जी,प्रमोद जी, पुष्कर जी, रण विजय जी, दिलीप जी ,राकेश श्रीवास्तव ,सुजीत कुमार दास , सरोज कुमार दास,रंजन कुमार गौतम,डॉ मनमथ जैसे अभिन्न मित्रों ने अपने संदेश भेजे।
प्राइम न्यूज के एमडी मोहसिन खान ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की और श्रद्धांजलि अर्पित की। दिल्ली के अनेक मीडियाकर्मी बंधुओं ने प्रमुखता से स्मृति सभा को कवरेज दिया।
उनके छोटे भाई प्रिय प्रेमशंकर सिंह जी सपरिवार उपस्थित रहे। उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति ने सबको जोड़ा है।
प्रोफेसर राणा पी बी सिंह जी के उद्गार ने सबों को भावुक कर दिया। रवि शंकर जी के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। भारत विकास परिषद की ओर से घोषणा करते हुए आदरणीय सुरेश जी ने उनकी स्मृति में फेलोशिप देने की घोषणा की और इसकी जिम्मेदारी मजहर भाई और मुझे सौपा। जन्म और मृत्यु तो सत्य है लेकिन उदात्तता, मानवीयता और कम समय मे शानदार विरासत को छोड़ जानेवाले हम सब के प्रिय रवि शंकर जी सदैव उपस्थित रहेंगे। ऊर्जा बनकर, भारत माता के भाव बनकर।