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Pollution: बढ़ते प्रदूषण से बच्चों को कैसे बचाएं?

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Pollution: बढ़ते प्रदूषण से बच्चे हो रहे हैं बीमार, जानें क्या करें बचाव के उपाय

Pollution: राजधानी दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ा हुआ है। दीवाली के बाद पटाखों के कारण वायु प्रदूषण का स्तर और भी ज्यादा बढ़ गया। बढ़ते प्रदूषण (Pollution) के कारण सांस संबंधी बीमारियां बढ़ने लगी हैं। सांस से जुड़ी बीमारियों के साथ लोग हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। सांस संबंधी समस्याएं बच्चों (Respiratory issue in kids) को ज्यादा परेशान कर रही हैं। असल में प्रदूषण सांस से सम्बंधित समस्याओं का सबसे बड़ा कारण होता है। बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा करना और उन्हें प्रदूषण से बचाना जरूरी है। आज के इस खबर में हम आपको बच्चों की सांस संबंधी बीमारियों के कुछ सरल और प्रभावी उपाय बताने जा रहा हूं। आइए जानते हैं इन्हें…
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बच्चों को सांस संबंधी समस्याओं से बचाने के उपाय जान लीजिए

एयर प्यूरीफायर का करें इस्तेमाल

हो सके तो एयर प्यूरीफायर (Air Purifiers) का घर में भी प्रयोग करें। इन दिनों प्रदूषण से बचने के लिए घर में एयर प्यूरीफायर लगाना जरूरी हो गया है। खासकर बच्चों के सोने के कमरे में तो जरूर लगाएं। यह कमरे की हवा में मौजूद पोल्यूटेंट्स को फिल्टर कर सकता है और साफ हवा का प्रवाह सुनिश्चित करता है।

मच्छरों से रहें सावधान

इन दिनों मच्छरों से होने वाली बीमारी भी बढ़ जाती है। इससे बचने के लिए अकसर लोग घरों में मॉस्किटो रिपेलेंट और अन्य अगरबत्तियां जलाते हैं। ये सभी रेस्पिरेटरी सिस्टम के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। इन्हें तब लगाएं, जब कमरे में कोई न हो। खासतौर से बच्चों के सोते समय इन्हें न लगाएं।

बाहरी प्रदूषण से बचें

प्रदूषण के पीक समय में बाहर निकलने से बचें। खासकर शाम के समय, जब हवा में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है। उस समय बच्चों को घर के अंदर ही रखें। अगर बाहर जाना आवश्यक हो तो सुबह का समय चुनें, जब वायु गुणवत्ता सुबह बेहतर होती है।

मास्क का करें प्रयोग

अगर बच्चों को बाहर भेज रहे हैं तो उन्हें एन95 या फिर साधारण 3 प्लाई मास्क (Mask) पहनाएं । मास्क को हरदिन बदलें और दोबारा इस्तेमाल से बचें।

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नेजल सलाइन ड्रॉप्स

अगर बच्चों को नाक बंद की समस्या हो रही है तो उनकी नाक में सलाइन ड्रॉप्स डालें, जो कि नाक को साफ़ रखने में सहायक होता है। लेकिन, दवाइयों से बने ड्रॉप्स का प्रयोग बिना डॉक्टर की सलाह के न करें।

स्टीम इनहेलेशन भी बेहतर विकल्प

एक साल से बड़े बच्चों के लिए हल्का स्टीम इनहेलेशन करवाना अच्छा विकल्प है। इसके लिए एक हल्के स्टीम मशीन का प्रयोग करें और बच्चों को स्टीम देते समय सावधानी बरतें।

हाइड्रेशन और डिटॉक्सिफिकेशन के उपाय

समय समय पर पिएं पानी

बच्चों को समय समय पर पानी जरूर पिलाएं। नारियल पानी और हल्के हर्बल टी देने से उनके शरीर से पोलूटेंट्स आसानी से बाहर निकल पाते है। इससे उनके फेफड़ों और श्वसन तंत्र को भी आराम मिलता है।

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पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का करें सेवन

हल्का उबला हुआ सूप और हरी सब्जियां बच्चों के लिए खूब लाभकारी होती हैं। इनसे उन्हें ज़रूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को बढ़ाते हैं और प्रदूषण से होने वाली बीमारी का खतरा कम करते हैं।

अस्थमा या एलर्जी है तो यह करें उपाय

अगर बच्चे को अस्थमा या एलर्जी की बीमारी है तो डॉक्टर से परामर्श लेकर पहले से जरूरी दवाइयां और इंजेक्शन लें। इससे अस्थमा अटैक और एलर्जी के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

इमरजेंसी किट जरूर रखें

घर में एक इमरजेंसी किट जरूर रखें। इमरजेंसी किट में बच्चों के लिए इनहेलर और एलर्जी के लिए अन्य दवाइयां होनी चाहिए। इनका सही समय पर उपयोग श्वसन समस्याओं को तुरंत कम करने में मदद करता है।

प्रदूषित हवा में बाहर खेल-कूद करने करना नहीं है सही

प्रदूषित हवा में गहरी सांस लेने से फेफड़ों पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए, बाहर की गतिविधियों को कम करके घर में ही हल्की योग और सांस लेने के व्यायाम कराएं।
इन सभी उपायों से आप अपने बच्चों को प्रदूषण और उससे होने वाले श्वसन समस्याओं से बचा सकते हैं। इन उपायों का पालन करके बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रखें, जिससे वे त्यौहार के बाद भी खुश और उत्साहित रहें।

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसकी विषय सामग्री का ख़बरी मीडिया हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता है।