महेंद्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
आरबीआई ने नवंबर 2016 में 2000 के नोट जारी किया था। इन नोट को आरबीआई ने कानून 1934 की धारा 24(1) के तहत जारी किया गया था। सरकार ने ये फैसला इसलिए लिया था ताकि उस समय बाजार में मौजूद 500 और 1000 रुपये की जो करंसी नोटबंदी के तहत हटाई गई थी,उससे अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सके।
ये भी पढ़ें: मोदी सरकार के 9 साल..कांग्रेस ने पूछे 9 सवाल
भारतीय रिजर्व बैंक ने 19 मई की शाम को घोषणा की कि 2000 रुपये के नोट को सर्कुलेशन से बंद किया जाएगा। हालांकि 2000 रुपये के नोट को बदलवाने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया गया है। 30 सितंबर तक 2000 रुपये का यह नोट वैध माना जाएगा। 2000 रुपये के नोट के बंद होने की घोषणा के बाद एक बार फिर राजनीति तेज हो गई है। क्योंकि विपक्षी दलों द्वारा केंद्र सरकार पर फिर से निशाना साधा जा रहा है और 2016 में नोटबंदी की याद दिलाया जा रहा है।
ये भी पढ़ें: नए संसद भवन में स्थापित होगा ऐतिहासिक ‘राजदंड’..Exclusive तस्वीर देखिए
इस बाबत कांग्रेस का कहना है कि जब नोटबंद ही करना था तो लेकर आए ही क्यों थे। विपक्षी दलों द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार निशाना साधा जा रहा है। वहीं भाजपा नेताओं द्वारा आरबीआई और सरकार के इस फैसले को सही बताते हुए इसका फायदा गिनाया जा रहा है। भाजपा नेताओं द्वारा इसे काले धन के खिलाफ एक्शन बताया जा रहा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अगर दो हजार रुपये के नोट को बंद ही करना है तो इसे क्यों लाए।
अशोक गहलोत ने कहा कि अगर दो हजार का नोट पहले से चलन में नहीं ता तो इसपर भी आपको जवाब देना चाहिए। अशोक गहलोत ने कहा कि पहले भी ऐसी गलती कर चुके हैं और फिर से गलती कर दी। इस बाबत भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने नोटबंदी के फैसले को सही बताते हुए कहा कि यह काले धन पर दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक है। वहीं उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस तरह के निर्णय राष्ट्रहित में होते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को 2000 रुपये के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने का एलान किया है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि 2000 रुपये के नोट की वैधता समाप्त होगी। फिलहाल 2000 रुपये के नोट चलते रहेंगे। रिजर्व बैंक के इस कदम से एक बार फिर नोटबंदी की यादें ताजा हो गई हैं।
2 हजार के नोट लाने का उद्देश्य पूरा हो गया। जब नोटबंदी हुई थी तब सरकार ने 2000 रुपये के नए नोट लाए थे। नोटबंदी में 500 और 1000 रुपये के नोट को बैन कर दिया गया था। बाजार में उतारने के बाद नोट चलन में लाने का उद्देश्य भी पूरा हो गया है। साल 2018-2019 में सरकार ने 2 हजार रुपये के नोट की छपाई बंद कर दी थी।
आरबीआई के मुताबिक 2000 रुपये के नोट आमतौर पर लेनदेन में बहुत ज्यादा इस्तेमाल में नहीं कर रहे हैं। आरबीआई की क्लीन नोट पॉलिसी के तहत यह फैसला लिया गया है कि दो हजार रुपये के नोटों को चलन से हटा लिया जाए। हालांकि, आपके पास पूरा समय होगा की आप बैंक जाकर अपने पास रखे 2 हजार रुपये के नोट को बदल सकते हैं।
2000 रुपए के नोट को वापस लिए जाने पर जनता की प्रतिक्रिया मिलीजुली रही है। कुछ लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है, क्योंकि उनका मानना है कि इससे भ्रष्टाचार और जालसाजी को कम करने में मदद मिलेगी। कई लोगों ने इस निर्णय की आलोचना की है, उनका मानना है कि यह असुविधाजनक होगा और लोगों के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। 2000 रुपये के नोट को वापस लेने से कैशलेस भारत में बदलाव की गति तेज होने की संभावना है। सरकार कई सालों से कैशलेस समाज को बढ़ावा दे रही है और 2000 रुपये के नोट को बंद करना इस दिशा में एक बड़ा और सराहनीय कदम है।