अमितराव पवार, देवास, MP
अक्सर यह कहा जाता है,कि मेहनत कर के ही सफलता हासिल की जा सकती है! बिना मेहनत करे यदि सफलता मिल जाए तो उसके कुछ मायने नहीं होते। पर देश की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए आज यह कहां जा सकता है,कि जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया,जो अपनी मातृभूमि के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूले जिन्होंने कई संघर्ष के बाद हमें आजादी दी उनके सारे बलिदानों को हम शायद भूल गए!
सालों तक हम भारतीयों को मुगलों और अंग्रेजों ने अपना गुलाम बना कर रखा था। कई युद्ध,संघर्ष,आंदोलन,प्रदर्शन,रैली असंख्य बलिदानों के बाद हमें जो आजादी मिली | हम इस आजादी के मायने ही नहीं समझ पा रहे हैं। जिन क्रांतिकारियों-शहीदों ने सुनहरे भारत की कल्पना की थी,यदि वे आज जिंदा होते तो उन्हें भी अफसोस होता,कि हम किसके लिए लड़े और क्यों ?
देश की दशा को देखते हुए कहा जा सकता है,कि उन्नति तरक्की तो तेज रफ्तार से देश में हो रही है।पर राष्ट्र व क्षेत्रों की राजनीति से देश दिन पर दिन कमजोर होता जा रहा है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने पार्टी का ही बखान करते नजर आते हैं। देश की चिंता किसी को न के बराबर है!
कई जुल्म-ज्यादतियों व यातनाओं के बाद हमारे पूर्वजों ने हमें आजादी प्रदान की है,और हम इस आजादी को पचा ही नहीं पा रहे। इस बात को नकारा नहीं किया जा सकता,कि देश में समस्या नहीं। लेकिन प्रश्न यह आता है कि क्या हम15अगस्त को समस्याओं का जिक्र ही करते रहेंगे ? और 26 जनवरी को अधिकारों की बात,या फिर हम भी देश के लिए कुछ करने का मन रखेंगे । आजादी का मतलब अधिकारों का मांगना व उसके लिए प्रदर्शन करना ही नहीं,वरन अपने सकारात्मक अधिकारों के प्रति कर्तव्य को निभाना भी है। माना कि अभी हमें बहुत जगह आजाद होना बाकी है।
जैसे अपने नकारात्मक विचारों से आजादी,शिक्षा,बेरोजगारी आदि। पर हमारे भी मातृभूमि और देश के प्रति कुछ कर्तव्य बने हैं। हम 15 अगस्त को उन कर्तव्य को कभी याद करने,उनको दोहराने का प्रयास भी करते हैं,उन पर विचार या कभी सोचा है। शायद हम खुद से ही आजाद नहीं हो पा रहे हैं। तो देश के लिए कर्तव्य की सकारात्मक आजादी हम कैसे सोच पाएंगे ?
बढ़ते अपराध इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। वर्तमान स्थिति में साधारण और सच्चा व्यक्ति आज के दौर में अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है। किंतु एक अपराधी प्रवृत्ति का व्यक्ति बेखोफ रहता है। सत्ता की लालसा में अनेक नेताओं को देश के प्रति अपने मूल कर्तव्यों से भटका दिया, अपनी सही भूमिका-जिम्मेदारी से अंधा बना दिया है। एक फिल्म आई थी,जिसमे नाना पाटेकर जी कहते है,कि “इस तिरंगे को वही हाथ लगाए जिसने जीवन मे कभी रिश्वत न ली हो और अपने कर्तव्य से मुँह नही मोड़ा हो”,वहां उपस्थित जितने लोग थे,वे एक भी आगे नही आये।
इसका अर्थ साफ दिखाई पड़ता है कि देश की हालत 76 साल बाद भी क्या है ? क्या इसलिए हमारे पूर्वज आजादी की 200 सालों से लड़ाई लड़ रहे थे? की व्यग्तिगत हित के कारण अपने ही देश के लोग अपने ही राष्ट्रीय ध्वज को छू न सके।आज देश विश्व मे काफी आगे हो चला है,और ये बात तय है कि,एक दिन विश्व गुरु बनने वाला भी है। पर इसमे आम नागरिक होने के नाते हमारा कोई कर्तव्य या जिम्मेदारी नही बनती है।
आज देश की युवा पीढ़ी के मन मे देश के प्रति भावनाओं को जगाना होगा। आज भी आजादी के 76 वर्षों बाद देश में कई ऐसी गम्भीर समस्याएं है जो देश को मजबूती के बजाये कमजोर करती दिखाई दे रही है। जातिवाद,भष्टाचार, बेरोजगारी,आतंकवाद,मूलभूत चिकित्सा ,अशिक्षा,बढ़ती जनसंख्या,मंहगाई,भूखमरी, राजनीतिक लोगों का कहि न कहीं किसीभी बिंदु पर हस्तक्षेप,आतंकवाद आदि ऐसी समस्याए है,जो देश को खोखला करती नजर आ रही है!
आजादी के कई सालों बाद भी इन समस्याओं से देश घिरा तथा निकलते दिखाई नहीं दे रहा है। इन समस्याओं के आगे हम आंख बंद क्यों करते हैं जो लोग जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं,अपने ही हाल में मस्त है कुछ जनप्रतिनिधि तो ऐसे चुनकर आ रहे है,जिन्हें योजनाओं की सही जानकारी तक नही।
कभी -कभार सदन और विधानसभा में भी गाली-गलोच लात-घुसे चल जाते हैं,जो गरिमा के अनुरुप नहीं है,यह लोग आपस में ही उलझ कर रह रहे हैं। देश और राष्ट्र की किसी को परवाह नहीं।ऐसे में कोई अच्छा व्यक्ति समाज की तरक्की के लिए कार्य करता है,तो उसे भी राजनीति और बाहुबल के द्वारा डराया -धमकाया या दबाया जाता है।और हमारी पुलिस व कानून के शिकंजे में उलझ कर रह जाता है।क्योंकि वह देश के जिम्मेदार नागरिक है,यदि ऐसे ही हालत रहे,तो हम आने वाली पीढ़ी को कैसा भारत देगें? जो हमे आजाद भारत दिया गया,वह इस प्रकार था जैसा दिख रहा है| नहीं,इससे कई गुना बेहतर-सुंदर स्वच्छ दलगत राजनीति से परे भारत देश के लिए समर्पित व्यक्ति एक साथ सभी त्यौहार मनाने वाले लोग।
हमें भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिलाना है तो हम सबको इमानदारी से अपने काम-कर्म के प्रति सजग रहकर अपना योगदान देना होगा और राजनेताओं को अपना हित छोड़ देश के लिए समर्पित होना होगा।किसी समय समाज में सेवा भाव के लिए राजनीति होती थी पर वर्तमान में अनेक राजनीति पार्टी के कुछ लोगों ने उनकी कार्यशैली के कारण समाज ने इसे दुकानदारी की संज्ञा दे दी है।जिससे राजनीति शब्द और पार्टी दोनों ही बदनाम हो रहे हैं।
कई समस्याओं से आज हमारा घर भारत घिरा हुआ है।गंदगी घर में आती है तो उसे घर वाले ही साफ करते हैं, हम तब तक पूर्ण रुप से असली मायनो में आजाद नहीं होंगे !जब तक दोनों समय का भोजन समाज के हर एक व्यक्ति को न मिल पाए,पर्याप्त मात्रा में शिक्षा उपलब्ध हो,कोई बेरोजगार न हो, भ्रष्टाचार,आतंकवाद ख़त्म हो राजनेता दलगत राजनीति व सत्ता की लालसा छोड़ देश के लिए समर्पित होगा। तब जाकर हम असली मायनो में आजाद होंगे
इन समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उन पर अमल करने का समय आ गया है !इसके लिए समाज के हर वर्ग हर उम्र के लोगों का योगदान आवश्यक है।जो अपनी भूमिका निर्वाह देश के लिए करें इतनी समस्याओं और परेशानियों के बावजूद हमें गर्व है कि इस मातृभूमि ने अनेक योद्धा को जन्म दिया इस भूमि पर अनके अमर गाथाएं लिखी गई और आज भी यहां का नागरिक संघर्ष करता दिखाई देता है।आज 76 वी आजादी के पर्व पर लोगों को तिरंगा फहराते समय देश की उन्नति,प्रगति,विकास और सुनहरे स्वणिम भारत के लिए संकल्प लेना होगा ..। तभी आजादी सही सार्थक होगी।
जय हिंद ।