Noida: डूब क्षेत्र में फ्लैट-प्लॉट लेने वाले ख़बर ध्यान से पढ़ें

दिल्ली NCR नोएडा
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उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Noida News: नोएडा के डूब क्षेत्र में फ्लैट-प्लॉट लेने वाले लिए यह खास ख़बर है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने डूब क्षेत्र में जमीन की खरीद-बिक्री पर लगाई गई रोक को अब हटा दी है। अब जमीनों को बेचने के लिए किसानों को अब प्राधिकरण या जिला प्रशासन से एनओसी (NOC) लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि अब खातेदार को एक ही बार में खाते में दर्ज पूरी जमीन बेचनी होगी। साथ ही जमीन खरीदने के बाद उस पर किसी तरह का पक्का निर्माण करने की अनुमति नहीं होगी। यदि सहखातेदारों में से एक किसी को जमीन बेचनी है तो उनको प्रशासनिक समिति से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) लेना होगा। जमीन की खरीद-बिक्री के लिए प्रशासन ने समिति का गठन कर दिया है।

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यमुना और हिंडन नदी (Hindon River) के डूब क्षेत्र में बड़ी संख्या में अवैध कॉलोनियां बन गई हैं। डूब क्षेत्र में जारी अवैध निर्माण रोकने के लिए डीडीएमए ने अक्तूबर 2020 में आदेश जारी कर डूब क्षेत्र की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी। लेकिन इससे क्षेत्र के किसानों को परेशानी होने लगी। वह अपनी जमीन नहीं बेच पा रहे थे। जिसके बाद संबंधित प्राधिकरण से एनओसी लेने के बाद ही रजिस्ट्री कराने की शर्त लगा दी गई थी। हालांकि अब डीडीएमए ने नियमों में बदलाव कर केवल असल किसानों को राहत देने का प्रयास किया है।

अधिकारियों के अनुसार डूब क्षेत्र की जमीन का एक खाता नंबर होता है। किसान अब प्राधिकरण या प्रशासन की अनुमति लिए बगैर खाता नंबर में दर्ज पूरी जमीन बेच सकेंगे। यदि, खाता नंबर के अलग गाटा संख्या या किसी सहखातेदार में से किसी को एक जमीन बेचने के लिए जिला प्रशासन से एनओसी हासिल करना होगा। इसके लिए जिला स्तर पर पांच सदस्यीय समिति का गठन हुआ है। समिति में संबंधित एसडीएम, सिंचाई विभाग, संबंधित प्राधिकरण का नोडल अधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सर्वे विभाग का एक-एक अधिकारी शामिल किए गए हैं। समिति किसान आवेदन पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। जिसके बाद ही रिपोर्ट को देखते हुए सब रजिस्ट्रार को रजिस्ट्री कराने के संबंध में निर्देशित किया जाएगा।
भूमाफिया ने निकाल लिया था रोक का तोड़
साल 2020 में डूब क्षेत्र में रजिस्ट्री पर रोक लगने के बाद भी अवैध कॉलोनी बनाने का काम जारी था। भूमाफिया ने रजिस्ट्री कराने के लिए करेक्शन डीड का सहारा ले रहे हैं। भूमाफिया आसपास के गांवों के आबादी के खसरा नंबर में रजिस्ट्री कराते हैं। बाद में करेक्शन डीड के माध्यम से आबादी के खसरा नंबर की जगह डूब क्षेत्र का खसरा नंबर डाल दिया जाता है। इसी तरह के एक मामले में प्रशासन ने दादरी कोतवाली में एक माफिया पर मामला भी दर्ज कराया था।
डूब क्षेत्र का सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करेगी टीम
एडीएम वित्त एवं राजस्व ने जानकारी दी कि गठित टीम डूब क्षेत्र की स्थिति, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण, अनधिकृत रूप से आबादी के लिए प्रयोग हो रही जमीन का सर्वे करेगी। उसकी रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। उधर संबंधित सभी विभागों को निर्देश दिए गए है कि अब डूब क्षेत्र में किसी भी तरह का निर्माण रोकना होगा।
डूब क्षेत्र में 22 माह बाद हुई रजिस्ट्री
रोक लगने के करीब दो साल बाद यानि कि 22 माह बाद सेक्टर गामा दो स्थित सब रजिस्ट्रार कार्यालय में डूब क्षेत्र की पहली रजिस्ट्री हुई है। रजिस्ट्री करने की एनओसी यमुना प्राधिकरण ने जारी की थी। अट्टा गुजरान गांव में कृषि भूमि की रजिस्ट्री हुई थी। जमीन का उपयोग केवल कृषि कार्य करने के लिए एनओसी दी गई है। अपर जिलाधिकारी अतुल कुमार ने बताया कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने डूब क्षेत्र में रजिस्ट्री कराने के नियमों में बदलाव किया है। डूब क्षेत्र का पूरा खाता नंबर बेचने के लिए एनओसी लेने की जरूरत नहीं होगी। वहीं अगर गाटा संख्या बेचना है तो समिति के समक्ष आवेदन करना होगा। समिति जांच के बाद उस पर फैसला लेगी।
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