Nitish Kumar: बिहार की सियासत में नीतीश का दबदबा कायम, गिरिराज की मौजूदगी में हुई बैठक से मिले 5 बड़े संदेश!

बिहार राजनीति
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Nitish Kumar: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) की सरगर्मी के बीच सियासी हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Union Minister Giriraj Singh) की हिंदू स्वाभिमान यात्रा (Hindu Swabhiman Yatra) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के विरोध ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में असमंजस का माहौल बना दिया था। इस बीच, सोमवार (28 अक्टूबर) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के आवास पर हुई बैठक ने कई महत्वपूर्ण संदेश दिए और नीतीश (Nitish) ने एक बार फिर खुद को बिहार की राजनीति का ‘बॉस’ साबित कर दिया। आइए, नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अध्यक्षता में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक के 5 बड़े संदेशों पर नजर डालते हैं।

1. बिहार की राजनीति के ‘बॉस’ बने रहेंगे नीतीश कुमार

दरअसल, बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के भविष्य को लेकर चल रही चर्चाओं पर अब विराम लग गया है। नीतीश ने एनडीए (NDA) में वापसी के बाद अपने नेतृत्व को मजबूती से स्थापित किया है। बीजेपी (BJP) के अधिक सीटों के बावजूद मुख्यमंत्री (Chief Minister) पद के लिए नीतीश (Nitish) ही एनडीए (NDA) के चेहरे होंगे। इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि नीतीश कुमार ही बिहार एनडीए (NDA) के बॉस हैं।

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2. ‘NDA का मतलब बिहार में नीतीश कुमार’

बिहार में भले ही एनडीए (NDA) में सीटों के हिसाब से बीजेपी (BJP) का पलड़ा भारी हो, लेकिन नेतृत्व की बागडोर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के हाथों में है। बैठक के दौरान ‘2025 फिर से नीतीश’ का स्लोगन तय कर यह स्पष्ट कर दिया गया कि बिहार में एनडीए (NDA) का मतलब नीतीश कुमार हैं। यह स्लोगन न केवल उनके सीएम पद के उम्मीदवार होने की पुष्टि करता है, बल्कि आगामी चुनाव में एनडीए के भीतर नेतृत्व का रास्ता भी साफ करता है।

3. बिहार NDA में नीतीश की विचारधारा चलेगी

गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) की हिंदू स्वाभिमान यात्रा के बाद विचारधारा को लेकर भी एनडीए (NDA) में असमंजस की स्थिति बन गई थी। जेडीयू (JDU) के खुलकर विरोध के बाद बीजेपी (BJP) ने यात्रा से खुद को अलग कर लिया। बैठक में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बिना नाम लिए सांप्रदायिक सौहार्द पर जोर देते हुए यह संदेश दे दिया कि बिहार में उनकी विचारधारा ही चलेगी। भागलपुर दंगों के पीड़ितों को न्याय देने की बात उठाकर नीतीश ने साफ किया कि राज्य में उनकी विचारधारा ही प्रमुख होगी।

4. ‘LJP का मतलब है चिराग पासवान

एनडीए (NDA) के घटक दलों में सीटों को लेकर पशुपति पारस (Pashupati Paras) की महत्वाकांक्षा के बावजूद उन्हें इस बैठक में आमंत्रण नहीं दिया गया। बैठक में उनकी अनुपस्थिति ने यह संदेश दिया कि एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का चेहरा चिराग पासवान (Chirag Paswan) ही होंगे। दलित वोटों के मुद्दे पर चिराग की भूमिका को महत्व देकर एनडीए ने पशुपति पारस की राजनीतिक उम्मीदों पर विराम लगा दिया है।

5. NDA में एकजुटता का संदेश

गिरिराज सिंह की यात्रा के बाद एनडीए (NDA) में मतभेद की चर्चाओं के बीच नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की इस बैठक ने ‘ऑल इज वेल’ का संदेश दिया। गिरिराज सिंह को दूसरी पंक्ति में बिठाकर और नीतीश द्वारा एकजुटता की बात कहकर एनडीए के भीतर तनाव कम करने का प्रयास किया गया। यह रणनीति चुनावी सहयोग को मजबूत बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जिससे गठबंधन में स्थिरता बनी रहेगी।

इस बैठक के जरिए नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने अपने राजनीतिक कौशल और बिहार में अपनी पकड़ का एक बार फिर एहसास करा दिया है। एनडीए (NDA) की तरफ से यह साफ हो गया है कि आगामी चुनाव में नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे।