कुमार विकास, ख़बरीमीडिया
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है और इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्रियों को मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार करने के लिए भेजना शुरू कर दिया है। अब इसके पीछे का मकसद भी समझ लीजिए।
सीएम शिवराज सिंह चौहान भले ही 18 साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन फिर भी पिछले चुनाव के नतीज़ों को देखते हुए दिल्ली में बैठे बड़े नेता कोई इस बार रिस्क नहीं लेना चाहते है। और इसीलिए इसबार चुनाव प्रचार की बागडोर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हाथों में दे दी गई है। बीजेपी ने पिछले महीने नरेंद्र सिंह तोमर को चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक नियुक्त किया था और बाद में विवाद शुरू होने के बाद इस समिति के सदस्यों की सूची में सीएम चौहान का भी नाम शामिल किया गया था।
तोमर को केंद्र बिंदु बनाने पर कांग्रेस नेता कमलनाथ ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी को अभी से ही हार का डर सताने लगा है और उन्हें शिवराज सिंह के 18 सालों के किये गए कामों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है इसीलिए प्रतिदिन दिल्ली से किसी न किसी बड़े नेता को मध्यप्रदेश भेजा जा रहा है और बीजेपी सीएम चौहान का नाम आगे नहीं कर रही है ताकि बीजेपी के अंदर ही फुट न पड़ जाये।
नरेंद्र तोमर पर क्यों जताया भरोसा
दरअसल नरेंद्र सिंह तोमर प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से बहुत ही करीब हैं इसके अलावा वो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी खास माने जाते हैं और उनका मध्यप्रदेश के सभी नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते भी हैं।जिसे देखते हाई कमान उनको मध्यप्रदेश भेजा है ताकि जिस नेता के भी अंदर थोड़ा बहुत मनमुटाव है सरकार को लेकर उसे वो चुनाव से पहले ही दूर कर लें। ताकि इसका असर वोट पर न पड़े। केंद्रीय मंत्री तोमर दो कार्यकालों के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे और उन्होंने 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों में संगठन का नेतृत्व किया था। जिसका फायदा इस बार चुनाव में भी देखने को मिल सकता है।
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