UP News: इस एक्सप्रसवे के किनारे यूपी में 40 फीसदी जमीन (Land) की कीमत बढ़ी है। पिछले साल की तुलना में जमीन की कीमत (Price) लगभग 30 से 40 फीसदी बढ़ी है। पढ़िए पूरी खबर…
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आपको बता दें कि जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Jewar International Airport) अलीगढ़ से 23 किमी की दूरी पर बन रहा है। जिससे यमुना एक्सप्रेसवे और अलीगढ़ पलवल हाईवे से जुड़ी टप्पल और खैर की जमीन की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। पिछले साल की तुलना में जमीन की कीमत लगभग 30 से 40 फीसदी बढ़ी है।
अलीगढ़-पलवल हाईवे पर तेजी से बढ़ती जमीनों की कीमत
जेवर एयरपोर्ट का इलाका टप्पल से सटा हुआ है। इसके आस-पास होटल, रेस्टोरेंट, आईटी कंपनियां, ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं बढ़ रही हैं। अलीगढ़-पलवल हाईवे (Aligarh-Palwal Highway) पर जमीन मिलना मुश्किल हो गया हैं। इसी हाईवे पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय, ट्रांसपोर्ट नगर, डिफेंस कॉरिडोर आदि का निर्माण कार्य जारी है।
एसडीएम की ओर से ग्रेटर अलीगढ़ आवासीय योजना शुरू हो रही है। जिससे दिल्ली-एनसीआर के लोग यहां जमीन खरीद रहे हैं। सड़क किनारे की जमीन सर्किल रेट के दोगुने दामों तक में बिक रही है। बीते 2 साल में जमीन लगभग 40 प्रतिशत तक ज्यादा महंगी हो गई है। डिफेंस कॉरिडोर के आस-पास की जमीनों की बिना एनओसी बिक्री पर रोक है।
प्रशासन की सख्ती से लगा था प्रतिबंध
टप्पल (Tapple) के किसान नेताओं की शिकायत पर प्रशासन ने 25 नवंबर 2022 को तत्कालीन एसडीएम अनिल कटियार (Anil Katiyar) के नेतृत्व में राजस्व टीम से जमीनों के फर्जीवाड़े की जांच कराई। जिसमें खुलासा हुआ कि दिल्ली और नोएडा के भू माफिया ने ग्राम समाज की भूमि पर कब्जा कर वहां अवैध रूप से कॉलोनी बनाते हुए महंगे दामों में प्लॉट बेच डाले।
इसमें खैर से जुड़े दलालों की भी भूमिका थी। इसमें कई बिल्डरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। टप्पल के ही लालपुर एवं आसपास के गांवों की करीब 560 बीघा भूमि पर भी कुछ भू माफिया ने अवैध कब्जा कर लिया था। जिसे अब राजस्व अभिलेखों में ग्राम पंचायत की जगह के रूप में दर्ज किया गया है।
विवादित जमीन से हो रही परेशानियां
कोर्ट में मामला जाने के बाद जमीन विवादित हो जाती है। जमीन पर स्टे के कारण निर्माण कार्य नहीं हो सकता। न बैंक से लोन मिल सकता है न ही बेच सकते हैं। जमीन से बेदखली एवं पुलिस की कार्रवाई भी संभव। कृषि भूमि पर प्लाटिंग कराने पर सडक़, बिजली, पानी आदि सुविधाओं की कोई विधिक गारंटी नहीं होती। भू-रूपांतरण और नियमन नहीं होने से पट्टों और रजिस्ट्री में भी परेशानी होती है।
मास्टर प्लान (Master Plan) अनुमोदित नहीं होने से कई बार नक्शा बदल कर धोखा दिया जा सकता है। ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 55 में उल्लेख किया गया है कि यह खरीदार की जिम्मेदारी है कि वह संपत्ति खरीदने से पहले उसकी पूरी जांच कर लेना चाहिए।