उत्तराखंड के पौड़ी में कमल खिलाने वाले अनिल बलूनी के बारे में जानिए

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Lok Sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजे भी आ चुके हैं और तीसरी बार मोदी के नेतृत्व में NDA की सरकार भी बन चुकी है। उत्तराखंड में बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए सभी 5 की पांच लोकसभा सीटों पर कब्जा जमा लिया है। जिसमें सबसे हॉट सीट पौड़ी-गढ़वाल की थी जिसे भाजपा ने फिर जीत लिया। इस जंग में बेशक 13 उम्मीदवारों ने ताल ठोकी थी, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस के गणेश गोदियाल और भाजपा के अनिल बलूनी के बीच था। लेकिन बाजी अनिल बलूनी के हाथ ही लगी। बलूनी ने ये सीट 1 लाख 60 हजार से ज्यादा मतों से जीत ली।

चुनाव जीतने के बाद अनिल बलूनी ने कहा कि मैं गढ़वाल के सम्मानित मतदाताओं का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। अब पसीना बहाने की बारी मेरी है। मैंने गढ़वाल लोस क्षेत्र के विकास के लिए जो वादे किए हैं, उन्हें पूरा करने के लिए मैं जुट जाऊंगा। मैं पौड़ी गढ़वाल को देश की नंबर सीट बनाने के लिए पूरी कोशिश करुंगा।

उत्‍तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों में पौड़ी को सबसे हॉट सीट माना गया। यहां बीजेपी ने जीत दर्ज की। अनिल बलूनी उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद रहे चुके हैं। भाजपा के उम्‍मीदवार अनिल बलूनी ने कांग्रेस प्रत्‍याशी गणेश गोदियाल को भारी मतों से हराया। आईए आपको अनिल बलूनी के बारे में थोड़ी जानकारी देते हैं

कौन हैं अनिल बलूनी?

  • अनिल बलूनी को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है। वह पीएम मोदी के चुनावी कैंपेन संभाल चुके हैं।
  • अनिल बलूनी उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद रहे चुके हैं।
  • वह बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी भी हैं।
  • अनिल बलूनी पौड़ी जिले के नकोट गांव के रहने वाले हैं।
  • उन्‍होंने अपने राजनीति जीवन की शुरूआत भी पौड़ी से ही की।
  • उत्‍तराखंड के अलग राज्‍य के रूप में अस्तित्‍व में आने के बाद 2002 में पहले विधानसभा चुनाव हुए। जिसमें अनिल बलूनी ने भी चुनाव लड़ा।
  • उन्‍होंने बीजेपी के टिकट पर कोटद्वार विधानसभा से नामांकन भरा, लेकिन उनका नॉमिनेशन रद्द कर दिया गया। इसे लेकर वह हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए।
  • उन्हें राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई।
  • अनिल बलूनी को 10 मार्च 2018 में उत्तराखंड से राज्यसभा भेजा गया।
  • साल 2024 में राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्‍होंने पौड़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

जब गढ़वाल लोकसभा सीट पर हुआ उपचुनााव बना बहुगुणा बनाम इंदिरा

गढ़वाल मंडल में आने वाली पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से इस समय तीरथ सिंह रावत सांसद हैं। तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। 2014 से पहले ये कांग्रेस के वर्चस्व वाली सीट मानी जाती थी। यहां अब तक हुए 16 आम चुनाव और दो उपचुनावों में कांग्रेस ने 7 चुनाव जीते। 1982 के उप चुनाव में यह सीट पूरे देश के लिए सियासत का केंद्र बन गई क्योंकि उस समय हेमवती नंदन बहुगुणा के इस्तीफा देने के बाद यह सीट खाली हो गई। उपचुनाव बहुगुणा बनाम इंदिरा बन गया था।

इस चुनाव में भारतीय लोक दल के उम्मीदवार जगन्नाथ शर्मा ने बाजी मारी और पहली बार गढ़वाल सीट पर पार्टी का खाता खोला लेकिन भारतीय लोक दल सिर्फ लोकसभा चुनाव तक ही सिमट कर रह गया। इसके बाद 1980 के चुनाव में हेमवती नंदन बहुगुणा ने कांग्रेस की दमदार वापसी करवाई। 1984 में चंद्र मोहन सिंह ने एक बार फिर चुनाव लड़ा और लोक दल के प्रत्याशी को हराकर कांग्रेस का का विजय रथ आगे बढ़ाया। चंद्र मोहन सिंह नेगी 1989 में कांग्रेस को छोड़कर जनता दल में चले गए और वहां से लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार के तौर पर मैदान पर उतरे।


पौड़ी गढ़वाल को क्‍यों कहते हैं 52 गढ़ों वाली सीट?

पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट को 52 गढ़ों वाली सीट भी कहा जाता है। तीर्थ स्थल बद्रीनाथ धाम से शुरू होकर इस सीट की यात्रा केदारनाथ धाम के साथ ही सिखों के पवित्र हेमकुंड साहिब से होते हुए मैदान की ओर उतरती है और तराई में रामनगर, कोटद्वार तक जाकर खत्म होती है। इस लोकसभा सीट को चमोली, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग जिलों के इलाकों को मिलाकर बनाया गया है। गढ़वाल संसदीय सीट में 14 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। यह क्षेत्र तिब्बत और नेपाल देश से भारत की सीमाओं से लगता है। गढ़वाल को भी दो भागों पौड़ी और टिहरी गढ़वाल में बांटा गया है। चांदपुर किला, श्रीनगर, बद्रीनाथ मंदिर, पांडुकेश्वर, जोशीमठ के निकट ही देवलगढ़ मंदिर इसी क्षेत्र में आते हैं।