उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Noida News: जेवर एयरपोर्ट में निवेश करने वालों के लिए अच्छा मौका है। बता दें कि जेवर एयरपोर्ट (Jewar Airport) का रनवे, यात्री टर्मिनल और हवाई यातायात नियंत्रण टावर सभी का काम तेजी से हो रहा है। इस एयरपोर्ट के निर्माण में 7,000 श्रमिक लगे हुए हैं। टेस्ट फ्लाइट 2024 के मध्य के लिए निर्धारित हैं और एक रनवे, एक टर्मिनल और सालाना 12 मिलियन यात्रियों की क्षमता के साथ कमर्शियल ऑपरेशन 2024 के अंत के लिए निर्धारित हैं। फेज 4 तक, एयरपोर्ट सालाना 70 मिलियन यात्रियों को संभालने में सक्षम होगा।
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आगामी नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (Noida International Airport) के भारत के सबसे बड़े हवाई अड्डों में से एक होने की पूरी सम्भावना है, और इसका आसपास के क्षेत्र पर पहले से ही महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है। इसी को लेकर रियल एस्टेट विकास में तेजी आई है, और जेवर का हलचल भरा शहर, जहां हवाई अड्डा स्थित है, बदल गया है। गोदामों, होटलों, विश्वविद्यालयों और यहां तक कि बॉलीवुड अभिनेताओं और निर्माताओं सभी ने अपना ध्यान इस क्षेत्र की ओर केंद्रित कर दिया है।
एटीएस, ओएसिस और गौर ग्रुप जैसे डेवलपर्स रेजिडेंशियल कॉलोनियां तैयार
यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने आगामी नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगे हुए क्षेत्र को विकसित करने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। इन योजनाओं में रेजिडेंशियल, कमर्शियल, इंडस्ट्रियल, शिक्षा और फिल्म सिटी क्षेत्र शामिल हैं। अगस्त में शुरू की गई ऐसी ही एक स्कीम में 1,184 प्लॉट के लिए 200,000 से ज्यादा आवेदन आए।
भले ही बहुत सारे प्रोजेक्ट का काम अभी शुरू नहीं हो सका है लेकिन एटीएस, ओएसिस और गौर ग्रुप जैसे डेवलपर्स की कुछ ऊंची रेजिडेंशियल कॉलोनियां तैयार हैं, और कुछ बिक भी चुकी हैं। इससे पता चलता है कि आगामी नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास के क्षेत्र में रहने में लोगों को खास रुचि है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के कार्यकारी निदेशक-उत्तर, मुदस्सिर ज़ैदी बताते हैं कि, उत्तर प्रदेश सरकार उम्मीद कर रही है कि आगामी नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देगा, जो इसे गुरुग्राम की तरह एक प्रमुख आर्थिक केंद्र में बदल देगा। हालांकि, यमुना एक्सप्रेसवे और अन्य प्रमुख प्रोजेक्ट के बावजूद, यह क्षेत्र अभी तक आगे नहीं बढ़ पाया है।
जेवर के आसपास भूमि की कीमतों में बढ़ोत्तरी
बालाजी रियल एस्टेट के मालिक गौतम सिंह बताते हैं कि, 2017 के बाद से, जब नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को सैद्धांतिक मंजूरी दी, जेवर के आसपास भूमि की दरें तेजी से बढ़ी हैं। उनका ऑफिस जेवर-खुर्जा रोड पर है, जो Noida International Airport के लिए एक लिंक बनेगा। इससे पता चलता है कि हवाई अड्डे और क्षेत्र में इससे होने वाले विकास को लेकर काफी उम्मीदें हैं।
दुबई और अमेरिका से भी आ रहे खरीदार
रामवीर सिंह, जिनकी श्री बांके बिहारी जी प्रॉपर्टीज बालाजी के सामने स्थित है, का कहना है कि दुबई और संयुक्त राज्य अमेरिका से अंतरराष्ट्रीय खरीदार भी आ रहे हैं। YEIDA द्वारा अप्रूव्ड रेजिडेंशियल क्षेत्रों, जैसे 18 और 20, और कमर्शियल भूमि क्षेत्रों से दूर, यह एक अनौपचारिक बाजार है जो किसानों से प्लॉट और कृषि भूमि की खरीद की सुविधा प्रदान करता है। एक रियल एस्टेट एजेंट ने बताया कि YEIDA नहीं चाहता कि लोग सीधे किसानों से जमीन खरीदें। लेकिन किसानों को बेहतर कीमत मिलती है अगर वे YEIDA के माध्यम से जाने के बजाय सीधे प्राइवेट संस्थाओं को बेचते हैं। जमीन की कीमतें कितनी बढ़ी हैं, इस पर हर किसी का अपना-अपना नजरिया है।
जेवर से 7 किमी आगे टप्पल में विमान विहार रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट के साइट प्रमुख प्रदीप सिंह कहते हैं कि जब उनका आखिरी प्रोजेक्ट, रॉयल सिटी, 2021 के मध्य में लॉन्च किया गया था, तो मांग दर 8,000 रुपये प्रति वर्ग गज थी। उन्होंने आगे बताया कि दिसंबर 2022 में जब यह बंद हुआ, तब तक दर 18,000 रुपये प्रति वर्ग गज तक बढ़ गई थी।
इन्फ्रास्ट्रक्टर के मामले में नोएडा और ग्रेटर नोएडा गुरुग्राम से आगे निकले
नाइट फ्रैंक के जैदी का मानना है कि इन्फ्रास्ट्रक्टर के मामले में नोएडा और ग्रेटर नोएडा धीरे-धीरे गुरुग्राम से आगे निकल गए हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार हुआ है। लेकिन एक शहर आर्थिक गतिविधियों के कारण विकसित और फलता-फूलता है, जब लोग वहां रहना और काम करना शुरू करते हैं। क्या हवाईअड्डा उस प्रकार की आर्थिक गतिविधि को आकर्षित करने में सक्षम है जो ऑफिस हब बना सकता है, यह एक सवाल है जिसका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है।
एनारॉक ग्रुप के वाइस चेयरमेन संतोष कुमार ने कहा कि कई डेवलपर्स ने हवाई अड्डे की आधिकारिक घोषणा होने के पहले ही जमीन के बड़े हिस्से खरीद लिए थे। उन्होंने आगे कहा, वे इंतजार करेंगे और इसकी प्रगति देखेंगे और उसके बाद ही नई परियोजनाएं लॉन्च करेंगे, क्योंकि इस क्षेत्र में और इसके आसपास पर्याप्त मात्रा में बिना बिके आवासीय फ्लैट हैं। कुमार कहते हैं, हालांकि, दिसंबर 2019 और सितंबर 2023 के बीच नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कुल बिना बिके स्टॉक में 52 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। औसत कीमतें 26 से 29 फीसदी के बीच बढ़ी हैं।
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