Ram Mandir: राम मंदिर में रामलला की प्राण प्तिरामलला प्रतिष्ठा का आज दूसरा दिन है, आपको बता दें कि रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने वाले पहले यजमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) नहीं बल्कि डॉ अनिल मिश्र हैं। क्या आप जानते हैं कि डॉ अनिल मिश्र (Dr. Anil Mishra) कौन हैं, आइए इस खबर में हम आपको डॉ अनिल मिश्र के बारे में पूरी जानकारी देते हैं।
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आपको बता दें कि राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान डॉ अनिल मिश्र (Dr. Anil Mishra) 11 दिनों तक नियम-संयम का पालन करेंगे। इसी क्रम में वे 7 दिनों तक सिला हुआ सूती वस्त्र नहीं पहनेंगे। स्वेटर, ऊनी शॉल, कंबल का प्रयोग करेंगे। केवल फलाहार करेंगे। रात्रि आरती के बाद सात्विक भोजन, सेंधा नमक का खाने में प्रयोग करेंगे। जमीन पर कुश के आसन पर सोएंगे। अन्य कई कठोर नियमों का भी पालन करेंगे। बता दें कि उन्होंने यह नियम-संयम मकर संक्रांति से शुरू भी कर दिया है।
कौन है प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य यजमान
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य यजमान का सौभाग्य प्राप्त करने वाले डॉ अनिल मिश्र श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) के ही एक सदस्य हैं। वे 1979 से संघ में स्वयंसेवक हैं। मूलरूप से अंबेडकरनगर के ग्राम पतोना के रहने वाले हैं। जौनपुर के पीडी बाजार स्थित जयहिंद इंटर कॉलेज से माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त की है। फिर डॉ. बृजकिशोर होम्योपैथिक कॉलेज में पढ़ने फैजाबाद आ गए। डॉक्टरी की पढ़ाई में कुछ दिन ही बीते थे कि होम्योपैथी को एलोपैथी के समानांतर प्रतिष्ठा दिलाने का आंदोलन शुरू हो गया। अनिल मिश्र भी आंदोलन में कूद पड़े, जिसके चलते उन्हें जेल तक जाना पड़ा।
यह उस समय की बात है जब देश आपातकाल का दौर झेल रहा था। बंदी जीवन के ही दौरान अनिल मिश्र भी संघ के करीब आए। फिर क्या, उन्हीं से प्रेरित होकर डॉ. मिश्र ने भी अपना जीवन संघ को समर्पित करने का सोच लिया। मेडिकल की लड़ाई के चलते आठ माह बाद जेल से छूटे तो जीवन पूरा बदल चुका था। अब वे कॅरियर की बजाय राष्ट्र के लिए सोचना शुरु कर दिए थे। लेकिन उन्होंने होम्योपैथी की पढ़ाई जारी रखी, लेकिन केंद्र में संघ कार्य ही रहा। दोहरी जिम्मेदारी के बीच 1981 में उन्होंने होम्योपैथी से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली। नगर शाखा कार्यवाह और मुख्य शिक्षक की भूमिका में अपना कार्य किया। इस बीच चिकित्सा अधिकारी के तौर पर वह शासकीय सेवा में चयनित हो गए।
चिकित्सक (Doctor) की भूमिका में प्रभावी मौजूदगी दर्ज कराने वाले डॉ. मिश्र शहर में संघ के प्रतिनिधि के तौर पर स्थापित हुए। दो दशक पहले संघ में अवध प्रांत का गठन होने के साथ उन्हें प्रांतीय सह कार्यवाह का दायित्व भी मिल गया। साल 2005 में जब प्रांत कार्यवाह के चुनाव की बेला आई, तो डॉ. मिश्र सबकी पसंद बनकर उभरे। वे होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार भी रहे।
सरकारी नौकरी के अंतिम दौर में वह उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के रजिस्ट्रार पद पर भी रहे। मंदिर आंदोलन से जुड़े रहने और सरकारी नौकरी से वर्ष 2020 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह पूर्ण रूप से संघ के कार्यों के लिए लग गए हैं।