नीलम सिंह चौहान, ख़बरीमीडिया
Term Plan Tips: बीमा यानी कि Insurance आजकल के लाइफ में एक अहम हिस्सा हो गया है. वहीं बीमा भी एक नहीं बल्कि कई तरह के होते हैं जैसे कि हेल्थ इंश्योरेंस, वहीं फैमिली के लिए टर्म प्लान आदि. लेकिन क्या आपको पता है कि Term Plan को लेते हुए कुछ जरूरी चीजों को ध्यान में रखना बेहद आवश्यक होता है, क्योकि Term Insurance के बारे में ये समझना बेहद जरूरी होता है कि इसको हर तरह के डेथ को कवर नहीं किया जा सकता है.
Term Insurance असल में जीवन बीमा:
Term Insurance, असल में जीवन बीमा पॉलिसी होता है. जो मदद करता है कि यदि पॉलिसीधारक की मौत हो जाए तो उसके पूरे परिवार को वित्तीय परेशानियों से दूर रख सके. वहीं, यदि पॉलिसी के टेन्योर पीरियड के दौरान ही पॉलिसीधारक मर जाता है, तो डेथ कवर उसके नॉमिनी को दे दिया जाता है.
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प्लान लेते समय हर एक चीज में करें खासतौर में गौर:
यदि आप Term Plan लेने का मन बना रहे हैं तो आपको इससे जुड़े हर नियम के बारे में जानकारी होना चाहिए. क्योकि इसमें पॉलिसीधारक की मृत्यु पर क्लेम की राशि फैमिली को तभी मिलती है, जब व्यक्ति की मौत डेथ प्लान में शामिल किये गए कारणों के चलते होती है. Term Insurance के अंतर्गत नेचुरल डेथ, हेल्थ इश्यू के चलते मौत या फिर एक्सीडेंटल डेथ होने पर बीमा कंपनी क्लेम देती है. वहीं ये भी जानिए कि ऐसे कौन से 8 कारण होते हैं जिनके चलते कवर नहीं दिया जाता है.
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पहला कारण
टर्म प्लान के चलते मौत होने के जिन मामलों को कवर नहीं किया जाता है, उनमें से एक है कि यदि पॉलिसीधारक एक औरत है और बच्चे को जन्म देने के दौरान उसकी मौत हो गई है तो इस स्थिति में इस बात की सम्भावना रहती है कि नॉमिनी को क्लेम की राशि नहीं मिलेगी, इसके पीछे की मुख्य वजह है कि आम टर्म पॉलिसी में इसे कवर नहीं किया जाता है.
दूसरा कारण
यदि टर्म प्लान लेने वाला इंसान किसी भी आपराधिका गतिविधि में फंसा है और बीमा कंपनी को इसके बारे में नहीं पता है तो ऐसे में IRDA के तहत व्यक्ति को क्लेम की राशि नहीं मिल पाती है.
तीसरा कारण
टर्म प्लान के तहत किसी भी नेचुरल आपदा के चलते पॉलिसीधारक की मौत हो जाती है, तो ऐसे मामलों में बीमा कंपनियां नॉमिनी को क्लेम की राशि नहीं देती है.
चौथा कारण
यदि आप Term Policy ले रहे हैं, तो किसी भी गंभीर बीमारी को गलती से भी न छुपाएं, क्योकि ज्यादातर लोग किसी बीमारी के बारे में शेयर करने के लिए इसलिए अवॉयड करते हैं क्योकि पॉलिसी लेने में उन्हें कोई समस्या न आए. क्योकि पॉलिसी लेते हुए इसकी जानकारी बीमा कंपनी को नहीं दी तो उस बीमारी से मौत होने पर Insurance Company क्लेम रिजेक्ट कर सकती है.
पांचवा कारण
दरअशल, टर्म प्लान को परचेस करते वक्त व्यक्ति को नॉमिनी बताना होता है, जिससे उसकी मौत के बाद कवर की राशि पूरी हो जाती है. ऐसे में पॉलिसी अवधि के दौरान अगर Policy Holder की हत्या हो जाती है और इसकी पुलिस जांच के दौरान मामले में नॉमिनी का हाथ होना साबित होता है या फिर नॉमिनी पर हत्या का आरोप सिद्ध होता है, तो फिर इस मामले में कंपनी टर्म प्लान की क्लेम रिक्वेस्ट को तब तक के लिए रोक देती है.
छठा कारण
यदि टर्म प्लान को लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु स्टंट या खेल के दौरान हो जाती है, तो क्लेम की अमाउंट फंस सकती है. इनमें कार बाइक रेसिंग, स्काई ड्राइविंग, बंजी जंपिंग जैसे स्टंट शामिल हैं.
सातवां कारण
यदि पॉलिसीधारक को शराब या फिर अन्य किसी तरह के ड्रग्स की लत लग गई है और इस कारण से उसकी मौत हो जाती है. तो फिर बीमा कंपनी टर्म प्लान की क्लेम राशि देने से मना कर सकती है.
आंठवा कारण
टर्म प्लान लेने वाले व्यक्ति को एक्सीडेंट डेथ कवर दिया जाता है, पर ये उन मामले में नहीं माना जाता है, जब पॉलिसी धारक की किसी भी तरह के नशे की हालत में ड्राइविंग के दौरान मृत्यु हो जाती है.