Hathras incident

Hathras: 3 मिनट में कैसे चली गई 113 लोगों की जान..पढ़िए सनसनीख़ेज़ ख़ुलासा

Trending उत्तरप्रदेश
Spread the love

Hathras Incident: उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए दर्दनाक हादसे ने सबको हैरान कर दिया है। साकार विश्वहरि भोले बाबा (Sakar Vishvahari Bhole Baba) के सत्संग में शामिल होने आने वाले भक्तों को तनिक भी अनुमान नहीं था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। पिछले कई दिन से चल रही तैयारियों के बीच 3 मिनट की भगदड़ ने 113 से भी ज्यादा लोगों की जान लेली। पुलिस प्रशासन (Police Administration) तो यह भी नहीं समझ पाया कि आखिर इतना बड़ा हादसा कैसे हुआ और क्या करना है। बस जिसको जहां जैसे जगह मिली, उसने शवों और घायलों को अस्पतालों भिजवाना शुरू कर दिया।
ये भी पढ़ेंः Haridwar: गंगा में लगाई डुबकी और सामने दिखा बड़ा सा सांप..देखिए वीडियो

Pic Social Media

हादसे के बाद वहां के जो हालात थे, वह देखते ही रौंगटे खड़े कर देने वाले थे। एक तो वहां लोग बिलखते हुए अपनों को खोज रहे थे। दूसरा पुलिस प्रशासन की तरफ से वहां ऐसा कोई इंतजाम नहीं था, जिससे उन्हें उनके अपनों तक पहुंचाया जा सके। देर शाम तक अव्यवस्थाओं का स्थिति ऐसी रही कि लोग अपने लोगों को खोज नहीं पा रहे थे।

जिस समय यह दर्दनाक हादसा हुआ, उस समय बस ट्रैफिक प्रबंधन के लिए नेशनल हाईवे यानि पुराने जीटी रोड पर सिकंदराराऊ पुलिस की ड्यूटी लगाई गई थी। भीड़ निकलने के दौरान सड़क पर किसी के साथ कोई हादसा न हो, इसके लिए यहां पुलिस की ड्यूटी लगाई थी। इसके कारण कानपुर की ओर से आने वाले ट्रैफिक को रोक कर रखा गया था। मंच स्थल से हाईवे तक बाबा के काफिले को निकालने के लिए एक बाइपास आयोजकों ने तैयार किया था।

भीड़ सड़क पर दोनों ओर जमा थी। कोशिश थी कि बाबा का काफिला जब निकलेगा तो वे उन्हें एक झलक देखकर प्रणाम कर सकेंगे और फिर काफिले की चरण धूल ले सकेंगे। उन्हें सेवादारों द्वारा नियंत्रित करने का काम भी किया जा रहा था। जैसे ही काफिला निकला। अचानक भीड़ अनियंत्रित हो गई। वहीं भगदड़ मच गई। इसके बाद जो हालात बने। वे सभी जान रहे हैं।
इसकी सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस (Police) ने एटा मेडिकल कॉलेज (Medical College Etah), ट्रामा सेंटर सिकंदराराऊ, जिला मुख्यालय हाथरस और मेडिकल कॉलेज अलीगढ़ लोगों को भिजवाया। उस समय तो स्थिति यह थी कि जो हाथ लग जाए या नजर आ जाए, उसे एंबुलेंस या वाहन में लादकर भेजा जा रहा था। वहां न उसकी पहचान पूछी जा रही थी और उसके किसी परिचित के आने का इंतजार हो रहा था।

ये भी पढ़ेंः नोएडा के जिला अस्पताल में अब फ्री में हो सकेगा फटाफट इलाज

Pic Social Media

दोपहर करीब 2 बजे हुई घटना के बाद शाम 5 से 6 बजे तक भी प्रशासन ने मौके पर कोई राहत या आपदा कैंप नहीं बनवाया गया था। न कोई ऐसा प्रतिनिधि वहां मौजूद था जो वहां अपनों को खोज रहे लोगों को संतुष्ट कर सके। ये बता सके कि आपका रिश्तेदार इस अस्पताल में है। सभी अपने हाल पर रो रहे थे। जैसे जो जानकारी मिल रही थी। वहां दौड़े चले जा रहे थे।

8 किलोमीटर तक वाहन ही वाहन

आपको बता दें कि इस कार्यक्रम की अनुमति फुलरई गांव निवासी वेदप्रकाश ने ली थी। अनुमति के लिए जो आवेदन किया गया था उसमें बताया गया था कि 20 हजार लोगों की भीड़ इस सत्संग में आ सकती है। अनुमति के लिए एसडीएम के यहां आवेदन किया गया। एसडीएम ने परीक्षण के बाद अनुमति दे दी लेकिन वहां व्यवस्थाओं को लेकर कोई इंतजाम नहीं किया गया। लेकिन जब हाईवे किनारे वाहनों की भीड़ से ट्रैफिक तक प्रभावित हो रहा था। वहां ट्रैफिक का भी कोई सिपाही तैनात नहीं किया गया था। जबकि कई प्वाइंट पर जाम की स्थिति थी।
इस आयोजन की तैयारियां बीते कई दिनों से चल रही थी। कुछ लोग तो दो दिन पहले ही यहां पहुंचकर डेरा जमा चुके थे। इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए लोग वाहनों से भी आए थे। छोटे बड़े मिलाकर 1000 वाहनों की भीड़ थी। हालात यह थे कि सड़क किनारे लगभग 8 किलोमीटर तक वाहनों की भीड़ नजर आ रही थी।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया आपबीती

बहराइच से आई रानी देवी ने बताया कि मैं बहराइच से अपनी जेठानी और जेठानी के बेटे के साथ आई हूं। अब न जेठानी का कोई पता लग पा रहा है औ न ही उनके बच्चे का।
लखीमपुर खीरी से आए राजा राम ने कहा कि मैं अपने रिश्तेदारों के साथ यहां आयोजन में सुबह ही आया था। दुर्घटना के समय वह खुद सड़क पर थे। उनके भाई और एक अन्य साथी गायब हैं।

नहीं देखा कभी ऐसा मंजर

जमीन पर चारो और लाशें ही लाशें, उनमें अपनों के चेहरों को पहचानने की कोशिश करते लोग दिखाई दे रहे थे। ऐसा मंजर की जिसने भी देखा, वह कांप उठा। ट्रॉमा सेंटर को जाने वाले रास्ते पर हर तरफ वाहन, एंबुलेंस, अपनों की तलाश में दौड़ते लोग। हर किसी की जुबां पर बस यही था कि ऐसा मंजर जीवन में कभी नहीं देखा है।

ट्रॉमा सेंटर में हर तरफ शव ही शव

आपको बता दें कि ट्रॉमा सेंटर के पूरे परिसर में हर तरफ चीत्कार मची हुई थी। स्थिति यह थी कि परिसर में बने ट्रॉमा सेंटर गैलरियों में शव बिछे हुए थे, जो भी व्यक्ति परिसर में पहुंचा, सबसे पहले वह शवों की गिनती करने लगा। गर्मी और घुटन के बीच हर व्यक्ति की जुबां पर बस यही था कि ऐसा मंजर तो कभी नहीं देखा।