भारत में तेजी से H3N2 वायरस पैर पसारने लगा है. इस वायरस से अबतक हरियाणा और कर्नाटक दोनों ही राज्यों से एक व्यक्ति की जान जा चुकी है। ऐसे में इस नए वायरस का डर तो फैल ही रहा है साथ ही यह चिंता भी कि इससे किस तरह बचकर रहा जाए। ये वायरस बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी ख़तरनाक माना जा रहा है। यह एक तरह का इंफ्लुएंजा इंफेक्शन है. वहीं, इस वायरस के लक्षण कुछ-कुछ कोविड-19 की तरह ही हैं। वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि वायु प्रदूषण से यह वायरस और भी तेज़ी से फ़ैल सकता है.
क्या हैं H3N2 के लक्षण
- बुख़ार
- कफ़
- मितली
- उल्टी
- गले में दर्द
- शरीर में दर्द
- थकान
- आंतों में सूजन के साथ ख़ूनी दस्त
कैसे फैलता है H3N2 वायरस आईए जानते हैं:
- खांसते, छींकते या फिर बेहद करीब से H3N2 वायरस से संक्रमित व्यक्ति से बात करने पर इस वायरस के अंश या कहें ड्रॉप्लेट्स सामने वाले व्यक्ति तक पहुंचकर उसे संक्रमित कर सकते हैं.
- इसके अलावा, अगर इस वायरस के कण किसी सतह पर लगे हों तो ऐसी सतह को छूकर मुंह या नाक पर लगा लेने पर भी व्यक्ति इस वायरस की चपेट में आ सकता है.
- इस वायरस से संक्रमित होने का खतरा ज्यादातर गर्भवती महिला, बच्चों, वृद्धों और पहले से किसी बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को ज्यादा रहता है.
- H3N2 वायरस की चपेट में आने के बाद डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है. लेकिन, वायरस के कुछ शुरूआती लक्षण शरीर में दिखने लगें या खांसी-जुकाम (Cough-Cold) होने लगे तो कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखकर इससे बचा जा सकता है.
- ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना शुरू करें. इस बात का खास ख्याल रखना है कि शरीर में पानी की कमी ना हो जाए. शरीर में हाइड्रेशन बने रहना बेहद जरूरी है.
- वायरस से बचने के लिए अपने खानपान में उन चीजों को शामिल करें जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाने में मददगार साबित हों. संतरा, बेरीज, हल्दी और नींबू आदि इम्यूनिटी मजबूत बनाने में मददगार होते हैं.
- जिन लोगों को खांसी या जुकाम लगा हो उनसे बराबर दूरी बनाकर रखें. कोशिश करें कि बीमार व्यक्ति के करीब आप मास्क पहनकर रहें.
- अपने हाथों को किसी भी सतह को छूने के बाद साबुन से धोएं या सैनिटाइज करते रहें.
इनसे बचाव करना बेहतर:
- सार्वजनिक स्थानों पर थूकना.
- हाथ मिलाने से बचना.
- डॉक्टर की सलाह के बिना स्वयं दवा लेना और एंटीबायोटिक्स या कोई अन्य दवाएं लेना.
- अन्य लोगों के बगल में बैठकर भोजन करना.
- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association-IMA) ने डॉक्टरों से अपील की है कि संक्रमण की पुष्टि करने से पहले मरीजों को एंटीबायोटिक्स न दें. क्योंकि इससे प्रतिरोधकता पैदा हो सकता है. बुखार, खांसी, गले में खराश और शरीर में दर्द के अधिकांश मौजूदा मामले इन्फ्लूएंजा के मामले हैं. जिसके लिए एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है.