Greater Noida ZETA-2 के आवेदकों ने यूपी के सीएम योगी से लगाई मदद की गुहार
फ्लैट हो या प्लॉट खरीदार..अगर पैसा देने के बाद भी कब्जा नहीं मिले तो दर्द छलकना लाजिमी है। कुछ ऐसी कहानी उन Greater Noida Zeta2 के सैंकड़ों फ्लॉट आवेदकों के साथ हुई जिन्होंने प्लॉट के बदले पूरा पैसा जमा करवा दिया लेकिन अभी तक कब्जा नहीं मिला। इसके लिए आवेदकों ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार लगाई है।
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पार्थी से जानिए क्या है पूरा मामला ?
हम सभी आवंटीगण ग्रेटर नौएडा प्राधिकरण (GNIDA) द्वारा 2010 में लाई गई आवासीय भूखंड योजना RPS02, सेक्टर ZETA-2 के आवंटी है जिसमें हम सभी आवंटी पूरा पैसा जमा कर चुके हैं और वर्ष 2013 में हमें आवंटित भूखंडों का भौतिक कब्जा दिया जाना था किंतु पूरी धनराशि जमा करने के बावजूद भी आज तक ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने हमें आवंटित प्लॉट का कब्जा नहीं दिया है।
कुछ आवंटी Agreement to Lease भी करा चुके हैं और कुछ आवंटी 64 प्रतिशत अतिरिक्त प्रतिकर के व्यायभार के मद में प्राधिकरण द्वारा मांगी गई अतिरिक्त धनराशि भी जमा कर चुके हैं। वर्ष 2019 में प्राधिकरण ने उक्त योजना कैंसिल कर दी जिसके विरुद्ध हम आवंटी माननीय इलाहाबाद हाई कोर्ट गए जहां से हाई कोर्ट द्वारा स्टे दिया गया और आवंटियों के लिए वैकल्पिक भूखण्ड देने की संभावनाओं पर विचार करने का निर्देश दिया गया। लेकिन अथॉरिटी ने वैकल्पिक भूखण्ड के लिये कोई ऑफर नहीं दी।
उक्त आदेशों के अनुक्रम में प्राधिकरण द्वारा दिसंबर 2022 में 128वीं बोर्ड मीटिंग में आवासीय भूखंड योजना RPS02, सेक्टर ZETA-2 को पुनः बहाल करने का निर्णय लिया गया किंतु आवंटर दर रुपये 11550 से बढ़कर 34000 प्रतिवर्गमीटर कर दी गई। जिसके (बढ़ी हुई आवंटन दर रुपये 34000 sq. mtr.) के विरुद्ध हम आवंटी फिर से हाईकोर्ट गए तब हाई कोर्ट ने प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाते हुए हम आवंटियों की समस्याओं का 3 महीने में निस्तारण करने का आदेश दिया। किंतु प्राधिकरण ने आवंटियों की समस्याओं का निस्तारण करने के बजाय उक्त आदेश की व्याख्या अपनी सुविधा अनुसार करते हुए हम आवंटियों को प्लॉट का कब्जा न देकर हमारे पैसे वापस करने का निर्णय लेते हुए आवंटियों को पैसे वापसी के लिए एक हफ्ते में दो लेटर जारी कर दिए जिसके विरुद्ध हम आवंटी पुनः हाईकोर्ट गए जहां से हाईकोर्ट ने पैसे वापसी पर स्टे लगा दिया है।
प्राधिकरण के वकील द्वारा हाईकोर्ट में यह तथ्य निर्विवाद रूप से स्वीकार किया जा चुका है कि उक्त भूमि प्राधिकरण के पास उपलब्ध है व कब्जा देने में कोई विधिक अड़चन नहीं है और कब्जा न देने का कारण सिर्फ और सिर्फ बढ़ी हुई आवंटन दर है।
हम सभी आवंटी अलॉटमेंट लेटर के अनुसार मांगी गई मूल आवंटन दर रुपये 11550/- रु० प्रति वर्गमीटर के अनुसार आवंटित भूखंड की पूरी राशि पहले ही जमा कर चुके हैं। प्राधिकरण को हमें वर्ष 2013 तक कब्जा देना था किंतु प्राधिकरण की अपनी गलती के कारण आज तक भी हमें कब्जा नहीं मिल पाया है। और अभी भी प्राधिकरण बढ़ी हुई आवंटन दर की मांग करके भूखंडों का कब्जा देने में अनावश्यक देरी कर रहा है जबकि प्राधिकरण के योजना ब्रोशर में आवंटन दर को बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है और मा० हाईकोर्ट इलाहाबाद व सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी आनंद कुमार वाले केस में पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि प्राधिकरण मूल आवंटन दर को बढ़ा नहीं सकता। किंतु इसके बावजूद भी प्राधिकरण हाईकोर्ट से 3 माह में निस्तारण के आदेश होने के उपरांत भी हमें आवंटित भूखंडों का कब्जा नहीं दे रहा है।
उक्त भूखंड हम आवंटियों ने अपनी जिंदगी भर की खून पसीने की गाढ़ी कमाई व बचत इत्यादि से खरीदे हैं और इसकी पूरी राशि हम पहले ही जमा कर चुके हैं किन्तु 14 वर्ष बीतने के बावजूद भी हम आवंटियों को भूखंड का कब्जा नहीं दिया जा रहा है। इन 14 वर्षों में कुछ आवंटियों का तो भूखंड का सपना देखते-देखते स्वर्गवास भी हो चुका है व कुछ 80 वर्ष के ऊपर की आयु के आवंटी भी हैं जो अपने भूखण्ड की लीज डीड व कब्जे के लिए ग्रे०नो० प्राधिकरण जाते हैं तो वहां अधिकारी उनसे व हमसे असभ्य व्यवहार करते हैं और वरिष्ठ अधिकारियों ने तो यहां तक कहा दिया कि आपकी 7 पुश्तें (पीढ़ियां) भी हमसे भूखण्ड नहीं ले पाएंगी। शीर्ष अधिकारियों द्वारा अति वरिष्ठ नागरिकों व आवंटियों के प्रति इस तरह का व्यवहार अत्यंत निराशाजनक व हतोस्ताहित करने वाला है।