नोएडा-ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसायटी सुपरटेक और CHD डेवलपर्स के होमबायर्स के एक समूह को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने साफ तौर पर कह दिया है लोन चुकाने के लिए बैंक ग्राहकों को परेशान नहीं करेंगे।
क्या है मामला ?
ये वो होमबायर्स हैं जिन्होंने बिल्डरों के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू होने से पहले एक सबवेंशन स्कीम के तहत बैंकों के लोन चुकाने में नाकाम रहे। रियल एस्टेट में सबवेंशन स्कीम का मतलब बैंकों के जरिए बिल्डर की तरफ से दिए गए लोन से होता है। कोर्ट में सुपरटेक और CHD डेवलपर्स के नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में हाउसिंग प्रोजेक्ट्स से जुड़े कई होमबायर्स ने अपील की थी। इस अपील पर जस्टिस अनिरुद्ध बोस और संजय करोल की अवकाश पीठ ने कहा- हाईकोर्ट द्वारा दी गई राहत अगले आदेश तक जारी रहेगी।
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने जनवरी 2022 में बैंकों या गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों द्वारा होमबायर्स पर किसी भी कठोर कार्रवाई से बचाने के लिए एक आदेश पारित किया था।
क्या है याचिका में ?
होमबायर्स ने अपनी याचिका में दावा किया था कि गलती बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी की ओर से की गई थी। इन्होंने रिजर्व बैंक द्वारा जारी 2015 के एक सर्कुलर का उल्लंघन करते हुए बिल्डरों को पूरी ऋण राशि जारी की थी। सर्कुलर में बैंकों को निर्माण के चरण के अनुपात में लोन जारी करने की आवश्यकता थी।
बिल्डरों और बैंकों/एनबीएफसी के साथ होमबॉयर्स द्वारा हस्ताक्षरित सबवेंशन स्कीम के तहत, बिल्डरों को कब्जे के समय तक हर महीने बैंकों को ईएमआई चुकानी पड़ती थी। याचिका के मुताबिक शुरुआत में बिल्डरों ने रकम चुका दी, लेकिन 2019 से भुगतान करने में चूक कर गए।
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है कि होमबायर्स के मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन हुआ है। अपने घर और आश्रय से वंचित हो गए हैं और उन्हें हर महीने भारी ईएमआई का भुगतान करना होगा। कोर्ट में इससे सुरक्षा की गुहार लगाई गई है।