अब मरीजों को AIIMS में इलाज के लिए नहीं करना होगा इंतजार, पढ़िए पूरी खबर
AIIMS News: दिल्ली एम्स से जुड़ी बड़ी और अच्छी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि अब दिल्ली एम्स में इलाज कराने के लिए मरीजों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। दिल्ली को आने वाले दिनों में एक और ट्रामा सेंटर (Trauma Centre) मिलने जा रहा है। हादसा पीड़ित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एम्स ट्रामा सेंटर (Trauma Centre) के साथ ही अतिरिक्त सेंटर बनाने की योजना है। इस सेंटर में 250 बेड की क्षमता होगी। संबंधित सेंटर के प्रस्ताव को स्वास्थ्य मंत्रालय के पास भेज दिया गया है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद एम्स परिसर में ही नए ट्रामा सेंटर का निर्माण होगा।
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विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली (Delhi) में बड़ी संख्या में हादसा पीड़ित दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) के साथ पड़ोसी राज्यों से भी मरीज आते हैं। वर्तमान समय में बेड के अभाव में कई मरीजों को ट्रामा सेंटर में जगह नहीं मिल पाती है। नया ट्रामा सेंटर बनने के बाद हादसा पीड़ितों के लिए अतिरिक्त बेड (Extra Bed) की सुविधा लगभग दोगुनी हो जाएगी। मौजूदा समय में यहां 265 बेड की सुविधा है।
एम्स ट्रामा सेंटर के प्रमुख डॉ. कमरान फारूकी के अनुसार ट्रामा सेंटर के विस्तार की योजना तैयार की गई है। इसे प्राथमिक मंजूरी भी मिल गई है। प्रस्ताव की फाइल को मंत्रालय के पास भेजा गया है। मंजूरी का इंतजार है।
दिल्ली में है 2 बड़े ट्रामा सेंटर
आपको बता दें कि दिल्ली में हादसा पीड़ितों के लिए 2 बड़े ट्रामा सेंटर हैं। इनमें से 1 केंद्र सरकार का एम्स ट्रामा सेंटर हैं। वहीं दूसरा दिल्ली सरकार का सुश्रुत ट्रॉमा सेंटर है। दिल्ली सरकार के ट्रामा सेंटर में 49 स्वीकृत बेड हैं। इसके साथ ही विभिन्न विभागों में प्रवेश के लिए 21 अतिरिक्त बेड की सुविधा मौजूद है। वहीं डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भी एक ट्रामा सेंटर को बनाया गया है। यह इमरजेंसी सुविधा से संबंधित है। हालांकि यहां एम्स ट्रामा सेंटर या सुश्रुत की तरह समर्पित सुविधा नहीं मिलती।
265 बेड का है अभी ट्रामा सेंटर
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के पास बना एम्स का मौजूदा ट्रामा सेंटर 265 बेड का है। इस सेंटर में गंभीर से गंभीर मरीज के इलाज के लिए आधुनिक सुविधाएं से लैस है। यहां हर दिन दिल्ली-एनसीआर के साथ ही पड़ोसी राज्यों से हादसा पीड़ित गंभीर मरीज इलाज के लिए यहां आते हैं। अस्पताल में अभी 2 और 1 इमरजेंसी ओटी की सुविधा है। अक्टूबर महीने से यहां पर 5 अतिरिक्त मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर भी शुरू हो जाएंगे।
हर दिन आते हैं इतने मरीज
अभी ट्रामा सेंटर में हरदिन 175-200 हादसा पीड़ित इलाज के लिए आते हैं। इनमें से 20-25 मरीजों को सर्जरी की आवश्यकता होती है। ट्रामा सेंटर के आंकड़े बताते हैं कि यहां हर माह लगभग 650 मरीजों की सर्जरी होती है। साल 2022-23 में ट्रामा सेंटर की ओपीडी में 60,430 मरीज देखे गए थे व 8,001 मरीजों की सर्जरी हुई थी।
इमरजेंसी मेडिसिन सुविधा को भी अपग्रेड किया जाएगा
विशेषज्ञों के अनुसार यहां मरीजों के लिए सुविधा का विस्तार करने के साथ डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को इमरजेंसी मेडिसिन सुविधा के लिए अपग्रेड किया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें हादसा पीड़ितों के इलाज की आधुनिक विधि भी बताई जाएगी। इसकी कोशिश से दूसरे राज्यों में भी इन्हें भेजकर उक्त राज्यों के मरीजों को वहीं सुविधा देने की कोशिश होगी। डॉक्टरों का कहना है कि हादसा पीड़ितों को गोल्डन ऑवर में इलाज देने से मरीज की रिकवरी काफी बेहतर होती है।