Indian Railway: बिहार आने-जाने वाले यात्रियों के लिए खुश कर देने वाली खबर आ गई है। आपको बता दें कि पटना जंक्शन (Patna Junction) से चलने वाली ट्रेनों की स्पीड को बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। पटना से लंबी दूरी की ट्रेनें जल्द ही पटरियों पर 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी क्योंकि उन्हें अब वंदे भारत कोच (Vande Bharat Coach) के मानकों में बदला जाएगा। इसके कोचों को अधिकतम 160 से 200 किमी प्रति घंटे की गति से चलने के लिए तैयार किया गया है।
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ऐसे में अब संपूर्ण क्रांति, राजेंद्र नगर-लीती, दानापुर-पुणे, पाटलिपुत्र-लीती, विक्रमशिला, मगध, इस्लामपुर-हटिया, दानापुर जनसाधारण, श्रमजीवी, पटना-कोटा, पंजाब मेल, अर्चना, हरिद्वार हावड़ा-कुंभ, से खुलेंगी. राजेंद्र नगर जंक्शन पर दुर्गा और विभूति एक्सप्रेस समेत कई ट्रेनों के कोच को बदला जाएगा जिससे उन ट्रेनों की स्पीड बढ़ जाएगी।
अभी कोच को 110 किमी/घंटा की स्पीड के लिए किया है तैयार
अभी तक मेल और एक्सप्रेस दोनों तरह की ट्रेनों में, दशकों पुराने लोहे से बने आईएसएफ कोचों (ISF Coach) को 110 किमी/घंटा की गति से चलने के लिए तैयार किया गया था। लेकिन स्पीड बढ़ाने के आधुनिक प्रयोगों को देखते हुए रेलवे ने अब वंदे भारत लाइन पर ट्रेनों के कोच बदलने का निर्णय लिया है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, रेलवे बोर्ड ने दानापुर मंडल समेत पूर्व मध्य रेलवे की 250 से ज्यादा ट्रेनों समेत देशभर की लगभग 2200 मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के पुराने आईसीएफ कोच बदलने का निर्णय लिया है।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के जानकारी दी कि यात्री डिब्बों का निर्माण दशकों पहले तमिलनाडु (Tamil Nadu) के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) चेन्नई में हुआ था। इसलिए, इस कोच को ICF कोच भी कहते हैं। लोहे से बना होने के कारण इस कोचों का वजन काफी ज्यादा होता है और इसमें एयर ब्रेक होते हैं। इसलिए, ICF कोच डिज़ाइन की अधिकतम गति 110 किमी/घंटा है। उच्च रखरखाव लागत के साथ, बैठने की क्षमता भी इन कोचों मे कम है (स्लीपर में 72 और सीट तीन में 62)। जबकि जिन ट्रेनों में एलएचबी नहीं होती, दुर्घटना की स्थिति में उनके डिब्बे एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं, जिससे जान-माल का भी नुकसान होता है। पूर्व मध्य रेलवे में लगभग 04 हजार ICF कोच हैं और पूरे भारतीय रेलवे में लगभग 40 हजार ICF कोच हैं।
पूमरे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि रेलवे ट्रेनों की गति बढ़ाने की दिशा में लगातार तेजी से लगा हुआ है। स्वचालित सिग्नल प्रणाली और पटरियों के आधुनिकीकरण सहित कई नए अनुप्रयोग बनाए गए हैं। इससे ट्रेन की स्पीड बढ़ जाएगी। इसी क्रम में कोच भी बदले जायेंगे। उन्होंने आगे बताया कि वंदे भारत कोच स्टेनलेस स्टील से बना है। इससे वे हल्के और मजबूत हो जाते हैं। इसके कोचों को अधिकतम 160 से 200 किमी प्रति घंटे की गति से चलने के लिए तैयार किया गया है। कोच में स्वचालित दरवाजे होते हैं, जो मेट्रो के दरवाजे की तरह खुलते हैं। यात्रियों की सुरक्षा के लिए दरवाजे केवल तभी खुलते हैं जब ट्रेन रुकती है।