आग से तबाह नहीं होंगे उत्तराखंड के जंगल..सांसद अनिल बलूनी ने कर दी पहल 

उत्तराखंड राजनीति
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अनिल बलूनी की पहल पर वनाग्नि रोकथाम के लिए नीति आयोग बनाएगा ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप

नीति आयोग, पर्यावरण और वन , वित्त और ग्रह मंत्रालय मिलकर करेगा वृहद अध्ययन

Jyoti Shinde,Editor,Khabrimedia.com

नई दिल्ली: 12 जून, बुधवार। भारत में मौसम के लिहाज से अप्रैल से जून का महीना जंगलों के लिए ‘फायर सीजन’ कहा जाता है. और यही आग, शोलों में तब्दील होकर उत्तराखंड के जंगलों को अपनी चपेट में लेने लगती है। नतीजा हजारों हेक्टेयर जंगल तबाह। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। क्योंकि पौड़ी गढ़वाल से बीजेपी के लोकसभा सांसद और  राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने इसकी पहल शुरू कर दी है।

आज बुधवार को नई दिल्ली में नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी से मुलाकात कर हिमालयी राज्यों के वनों में, खासकर उत्तराखंड में, बार-बार आग लगने की समस्या और इससे होने वाले भारी नुकसान को लेकर बड़ी चिंता जताई। नीति आयोग ने भरोसा दिया कि वो पर्यावरण और वन, वित्त और गृह मंत्रालयों के साथ मिलकर एक ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप बना कर इस समस्या का समाधान निकालने की पूरी कोशिश करेगा।

अनिल बलूनी ने श्री सुमन बेरी के साथ बातचीत में हाल ही में एक बार फिर उत्तराखंड ने जंगलों में आग लगने की भयावह घटना और इससे होने वाले भारी नुकसान पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा कि जंगल उत्तराखंड की खूबसूरती की बुनियाद हैं. इसी पर यहां का पूरा सांस्कृतिक, आर्थिक और पूरा सामाजिक ढांचा टिका है. लेकिन आग की धधकती घटना के आगे हर कोई बेबस नजर आता है। उत्तराखंड के पहाड़ों में भीषण गर्मी से जंगलों में आग लग रही है. खासकर गर्मियों के मौसम में उत्तराखंड के बादल कब आग बनकर जंगलों को तबाह करने लगे ये कोई नहीं जानता।

बलूनी ने आगे कहा कि उत्तराखंड सहित तमाम पर्वतीय इलाकों में हमेशा इस तरह की घटना सामने आती रहती है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि वन्य जीवन को भी इस त्रासदी का सामना करना पड़ता है। साथ ही, जान-माल की व्यापक हानि होती है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान पहुंचता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस समस्या की रोकथाम के लिए योजनाओं में दूरदर्शी व दूरगामी नीतियां बनाने की जरूरत है। साथ ही, पर्वतीय राज्यों हेतु बजट में भी इसके लिए अलग से प्रावधान करने की जरूरत है ताकि पहाड़ और जंगल का संतुलन बना रहे और पर्यावरण असंतुलित न हो। उन्होंने कहा इसके लिए केंद्र से सहयोग एवं समन्वय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग को प्रभावित राज्यों के साथ–साथ गृह , वित्त एवं पर्यावरण मंत्रालय के साथ–साथ विशेष समन्वय करके योजनाओं और बजट में इसके लिए अलग से प्रावधान करने की जरूरत है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी ने बीजेपी सांसद अनिल बलूनी की बातों को ध्यान से सुनने के पश्चात विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि इस तरह की समस्याएं और उसके निराकारण करने के लिए विदेशों में क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं, उसका अध्ययन कर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए और उसे जल्द से जल्द प्रस्तुत किया जाय।

उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि उत्तराखंड समेत पर्वतीय राज्यों में इस तरह की समस्या की रोकथाम के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय समेत प्रदेश की सरकार के साथ समन्वय स्थापित की जाए। सुमन बेरी ने आश्वस्त करते हुए कहा कि पर्वतीय प्रदेशों में जंगल में आग लगने से बचाव करने के लिए हर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, दूरगामी नीतियाँ और योजनाएं बनायी जाएगी ताकि ऐसी घटनाओं की रोकथाम की जा सके और राज्य ऐसी समस्याओं से बेहतर तरीके से निपट सकें।