gurmeet singh

पंजाब में धान की सीधी बिजाई को बढ़ावा,15% क्षेत्रफल बढ़ा: गुरमीत सिंह

पंजाब राजनीति
Spread the love

अब तक दो लाख एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में हुई धान की सीधी बिजवाई

डी.एस.आर. तकनीक अपनाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 1500 रुपए की वित्तीय सहायता देने के लिए 50 करोड़ रुपए रखे: गुरमीत सिंह खुड्डियां

* वित्ती सहायता प्राप्त करने के लिए किसान 15 जुलाई तक कर सकते है पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन

चंडीगढ़, 4 जुलाई:

मुख्य मंत्री स. भगवंत सिंह मान द्वारा राज्य के किसानों को धान की सीधी बिजाई ( डी.एस.आर.) अपनाने के लिए किए प्रयासों को बढ़ावा

मिला है। खरीफ की फ़सल की बिजाई का आधा सीजन बाकी रहने के बावजूद पानी की बड़े स्तर पर बचत करने वाली डी.एस.आर. तकनीक अधीन क्षेत्रफल में पिछले साल के मुकाबले 15 फ़ीसद विस्तार दर्ज किया गया है। इस बार दो लाख एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में धान की सीधी बिजाई हो चुकी है, जो कि पिछले साल पूरे खरीफ की फ़सल सीजन दौरान 1.72 लाख एकड़ था।

ये भी पढ़ें: Jalandhar By Election: जालंधर के लोगों को CM मान का वादा..बोले आपको कहीं भटकने की जरूरत नहीं

पंजाब के कृषि और किसान भलाई मंत्री स. गुरमीत सिंह खुड्डियां ने इसको एक बड़ी सफलता बताते हुए कृषि विभाग द्वारा निश्चित लक्ष्य अनुसार इस सीजन में डी.एस.आर. तकनीक अधीन 5 लाख एकड़ क्षेत्रफल में धान की सीधी बिजाई होने की आशा अभिव्यक्त की है।

उन्होंने कहा कि मुख्य मंत्री स.भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार द्वारा किसानों को डी.एस.आर. तकनीक अपनाने के लिए उत्साहित करने के लिए 1500 रुपए प्रति एकड़ वित्तीय सहायता दी जा रही है। कृषि और किसान भलाई विभाग द्वारा 2024- 25 दौरान इस तकनीक को अपनाने वाले किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 50 करोड़ रुपए रखे गए है।

स. गुरमीत सिंह ने बताया कि पंजाब सरकार ने साल 2023- 24 दौरान डी.एस.आर. तकनीक अपनाने वाले 17,116 किसानों को 20. 33 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी।

पंजाब सरकार द्वारा धरती निचला पानी बचाने के लिए किए जा रहे यत्नों का हिस्सा बनने की अपील करते राज्य के अन्य किसानों को धान की सीधी बिजाई करने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने धान की सीधी बिजाई की है, उनको वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए 15 जुलाई, 2024 तक पोर्टल agrimachinerypb.com पर रजिस्टर करना होगा।

कृषि मंत्री ने कहा कि डी.एस.आर. तकनीक न केवल पानी की संभाल में सहायक होती है, बल्कि इससे मज़दूरी की लागत भी कम होती है और ज्यादा झाड प्राप्त होता है।