CM Mohan Yadav

कांग्रेस पर CM मोहन यादव का बड़ा हमला..आपात काल को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया

मध्यप्रदेश राजनीति
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CM Mohan Yadav: मध्य प्रदेश के सीएम मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने इमरजेंसी की बरसी पर कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला है। सीएम मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने कहा कि इमरजेंसी (Emergency) का दौर लोकतंत्र पर धब्बा है। यह एक ऐसा समय था जिसे देश आज भी याद करके सिहर उठता है। कांग्रेस को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए। इमरजेंसी में कई परिवार तबाह हो गए।
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Pic Social Media

सीएम डॉ मोहन यादव (CM Dr Mohan Yadav) ने आगे कहा कि बीजेपी ने संविधान की रक्षा को अपनी निष्ठा मान लिया है। बीजेपी के सारे नेता इमरजेंसी में जेल गए। लोकतंत्र के उस काले कार्यकाल के लिए ये सारे के सारे लोग जवाबदार हैं, जो आज नकली संविधान लेकर बचाने की बात कर रहे हैं। लोकतंत्र का काला अध्याय है इमरजेंसी। जो प्रतीक है असफलता की कुंठा से उपजे अहंकार और दमन के कुचक्र का। साल 1975 में आज ही के दिन इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) जी की सरकार ने देश में इमरजेंसी लगा दिया, तब मां भारती की साहसी संतानों ने ही कड़ा प्रतिरोध किया और यातनाएं सहकर भी लोकतंत्र को पुनर्स्थापित किया। लोकतंत्र के लिए समर्पित सभी विभूतियों को शत्-शत् नमन करता हूं।

मुख्यमंत्री मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर विश्वास रखने वाले और देश के संविधान की गरिमा के प्रति समर्पित लोग, 25 जून को कभी भी भुला नहीं सकते हैं। आपातकाल में जेल गए लोकतंत्र सेनानियों की मार्मिक कहानियां सुनकर आज भी हृदय में पीड़ा के निशान उभर आते हैं।

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एमपी (MP) के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर कहा कि 25 जून 1975 का दिन भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक ऐसा काला अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। दंभ से भरी निरंकुश कांग्रेस सरकार ने संविधान की मर्यादा को तार-तार किया, अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटा।

जानिए कब तब चली थी इमरजेंसी

आपको बता दें कि देश में इमरजेंसी 25 जून 1975 से शुरू होकर 21 मार्च 1977 तक चली थी। यह समय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार की मनमानियों का समय था। देश में 25 जून की आधी रात को इमरजेंसी लगाया गया था और अगली सुबह यानी 26 जून 1975 को विपक्ष के कई बड़े नेता हिरासत में ले लिए गए। यहां तक कि कांग्रेस में अलग सुर अलापने वाले चंद्रशेखर भी हिरासत में लिए गए नेताओं की जमात में शामिल किया। कई इतिहासकारों का कहना है कि इमरजेंसी का उपयोग इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को मजबूत करने और विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया था। यह घटना भारतीय लोकतंत्र पर एक गहरा आघात थी और इसने देश के राजनीतिक इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी।