नीलम सिंह चौहान, ख़बरीमीडिया
Delhi News: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवार(Arvind Kejriwal) ने बड़ा फ़ैसला लिया है। फ़ैसला स्कूलों में मोबाइल फोन बैन का। सीएम केजरीवाल का साफ़ कहना है कि मोबाइल का इस्तेमाल जितना फायदेमंद है उतना ही नुकसानदायक भी, इसलिए दिल्ली सरकार ने भी सभी प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के क्लासरूम में मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है।
अब टीचर्स को पढ़ाने के दौरान स्मार्टफोन का यूज न करने को लेकर के कहा गया है। दिल्ली सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि स्मार्टफोन आज के समय सबसे ज्यादा यूज किए जाने वाले गैजेट में एक है, चाहे वो छात्र हो या शिक्षक। इसलिए हमारे लिए टेक्नोलॉजी के निर्भरता पर विचार करना बेहद जरूरी है, इसके पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों कारण हो सकते हैं। स्मार्टफोन ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से डिप्रेशन, चिंता, सोशल आइसोलेशन, हाइपर टेंशन , आंखों का कमजोर हो जाना जैसे परिणाम हो सकते हैं।
मोबाइल फोन को सीखने की प्रक्रिया पर हो सकता है नकारात्मक असर
स्मार्टफोन के इस्तेमाल को लेकर जारी एडवाइजरी में ये कहा गया है “ये सीखने की प्रक्रिया में नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न कर सकता है और एकेडमिक प्रदर्शन, फेस टू फेस बातचीत और लोगों के रिश्तों के बीच में नेगेटिव असर डालता है।
पेरेंट्स और अभिभावकों से भी की गई अपील
अभिभावकों से अपील की गई कि वो इस बात का ध्यान रखें उनके बच्चे स्कूल परिसर में स्मार्ट फोन लेकर न आएं। वहीं, क्लासरूम में तो फोन के इस्तेमाल का सख्ती से मना होना चाहिए। एडवाइजरी में ये भी कहा गया है कि स्कूल परिसर में स्मार्ट फोन के यूज को निश्चित रूप से रेगुलेट करने की जरूरत है। ऐसे में सभी छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों को मोबाइल फोन का कम से कम इस्तेमाल कर अपनी सहमति बनाने की जरूरत है। ताकि क्लास में ज्यादा कुछ सीखा जा सके।
NCR पैरेंट्स एसोसिएशन के फाउंडर सुखपाल सिंह तुर ने इसे सही क़दम बताया है। उनका कहना है कि मोबाइल फोन हमारी स्मरण शक्ति को कमज़ोर कर रहा है। ऐसे में मोबाइल फोन बैन से टीचर और बच्चे दोनों को फ़ायदा होगा।
ANSPA के महासिचव के अरुणाचलम ने कहा है कि आजकल टीवी, डिजिटल मीडिया की वजह से बच्चे मोबाइल पर डिपेंड हो गए हैं। ऐसे में उनकी विद्या-बुद्धि भी संकुचित होती जा रही है। इस तरह से क़दम से बच्चों के बौद्धिक विकास में मदद मिलेगी।
रिटायर्ड एयरफोर्स अधिकारी शशिभूषण साह का कहना है कि जरुरत से ज्यादा मोबाइल बच्चों को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है, उनकी बौद्धिक क्षमता पर इसका असर डाल रहा है। ऐसे में बच्चों को जितना मोबाइल से हो सके दूर ही रखना चाहिए..
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