नोएडा के DPS School के लंच को लेकर जारी नोटिस से बढ़ा विवाद
Noida News: नोएडा के DPS स्कूल (DPS School ) से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। नोएडा के DPS स्कूल में स्टूडेंट्स को लंच में नॉनवेज नहीं लाने के लिए भेजे गए सर्कुलर (Circular) की वजह से विवाद बढ़ गया है। आपको बता दें कि नोएडा सेक्टर 132 में स्थित DPS स्कूल ने एक सर्कुलर भेजा है, जिसमें पैरेंट्स (Parents) से अनुरोध किया गया है कि वे छात्रों के लंच बॉक्स में नॉन-वेज खाना न दें। इस सर्कुलर से विवाद बढ़ने पर प्रिंसिपल ने कहा कि यह सिर्फ एक अपील थी। सेक्टर 132 में दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारा अपैरेंट्स को बुधवार को भेजे गए इस सर्कुलर की पैरेंट्स और छात्रों ने जमकर आलोचना की है। उनका कहना है कि यह खान-पान संबंधी आदतों में हस्तक्षेप करना है।
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जानिए पूरा मामला
आपको बता दें कि DPS स्कूल के सर्कुलर में कहा गया था कि हम छात्रों से सम्मानपूर्वक अनुरोध करते हैं कि वे स्कूल में नॉन-वेज खाद्य पदार्थ (Non-veg food items) न लाएं। इसके लिए दो प्रमुख विचार दिए गए हैं। पहला- उपशीर्षक स्वास्थ्य और सुरक्षा के तहत कहना है कि जब दोपहर के भोजन के लिए मांसाहारी भोजन (Non-vegetarian food) सुबह पकाया जाता है उसके खराब होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। अगर इसे ठीक से नहीं पैक किया जाता है तो यह गंभीर बीमारी का भी खतरा पैदा कर सकता है। दूसरा उपशीर्षक समावेशीपन और सम्मान में इस बात पर जोर दिया गया है कि स्कूल विविधता को महत्व देता है और समावेशिता की संस्कृति को बढ़ावा देता है। शाकाहारी भोजन के माहौल को बनाए रखने से सभी छात्र सम्मानित और सहज महसूस करते हैं।
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प्रिंसिपल ने रखी अपनी बात
स्कूल की प्रिंसिपल सुप्रीति चौहान इस मामले को लेकर कहीं कि यह सिर्फ अनुरोध है। ज्यादातर अभिभावकों ने भी प्रतिबंध से मना किया। स्कूल की ओर से जारी नोटिस में लिखा है कि हम छात्रों से सम्मानपूर्वक अनुरोध करते है कि वह स्वास्थ्य और समावेशिता को देखते हुए स्कूल में मांसाहारी खाद्य पदार्थ न लाए। लोग पक्ष-विपक्ष में अपनी राय रख रहे हैं।
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पैरेंट्स ने कही ये बात
इसको लेकर कुछ पैरेंट्स ने कहा कि वे सम्मान और मांसाहारी भोजन के बीच संबंध को नहीं समझ पा रहे। इसके साथ ही इस बात को भी नजरअंदाज कर दिया कि सुबह पकाए जाने और देर शाम खाने पर कोई भी भोजन खराब होने का खतरा रहता है। एक पैरेंट्स ने कहा कि नोटिस में सम्मान और विविधता की बात कही गई है मुझे समझ में नहीं आता कि किसी के भोजन का विकल्प दूसरों का अनादर कैसे कर सकता है। कोई भी शाकाहारियों को मांसाहारी चीजें खाने के लिए विवश नहीं कर रहा है, या उनके भोजन विकल्पों में प्रतिबंध नहीं लगा रहा है, फिर मांसाहारियों पर ऐसी चीजें क्यों थोपी जा रही है।
शाकाहारी भोजन भी हो सकता है खराब
एक दूसरे पैरेंट्स ने इसको लेकर कहा कि बच्चे अपना अधिकांश दिन स्कूल में बिताते हैं। दोपहर का भोजन ही एकमात्र उचित भोजन है, जो वे उन घंटों में खाते हैं। दोपहर का भोजन पोषक तत्वों और खाद्य मूल्यों से भरपूर होना ही चाहिए। अगर वे अंडे जैसे प्रोटीन युक्त भोजन नहीं खाते हैं, तो उन्हें सभी पोषक तत्व कैसे मिलेंगे। सर्कुलर का विरोध करने वाले एक पैरेंट्स ने कहा कि शाकाहारी भोजन भी कुछ घंटों में खराब हो सकता है। मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाना गलत है। इसके साथ ही एक बच्चे को पौष्टिक भोजन देना माता-पिता का फैसला है और स्कूलों को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।