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Branded Ghee: ब्रांडेड घी की आड़ में आपकी जान से खिलवाड़!

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Branded Ghee से जुड़ी यह खबर पढ़कर हो जाएंगे हैरान

Branded Ghee: त्यौहारों की सीजन चल रहा है। दिवाली (Diwali) का पर्व भी करीब आ गया है। ऐसे में मिठाई मिठाई, गुजिया और अलग-अलग तरीके के नमकीन बनाए जाते हैं। मिठाइयों के स्वाद और बेहतर बनाने के लिए ज्यादातर लोग घी में इन्हें बनाते हैं, इस वजह से दिवाली के समय देशी घी (Desi Ghee) की बिक्री कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में एक प्राइवेट मीडिया चैनल ने बाजार में ब्रांडेड कंपनियों (Branded Companies) के डिब्बे में बेचे जा रहे नकली घी के खिलाफ एक स्टिंग ऑपरेशन किया है।

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Pic Social media

मीडिया की इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि किस तरह पैसे कमाने के लालच में लोगों की हेल्थ (Health) के साथ खिलवाड़ हो रहा है। पूरा मामला उत्तर प्रदेश के हाथरस में बड़े घी निर्माण केंद्रों का है।

फेमस ब्रांड के डुप्लिकेट कार्टन मिले

मीडिया चैनल के इस ऑपरेशन को अंजाम देने जा रही टीम ने तय किया कि दुकानदार बनकर घी निर्माताओं के पास पहुंचेंगे। ऐसा ही हुआ और एक चेन सिस्टम के माध्यम से टीम हाथरस (Hathras) के घी निर्माता विष्णु वार्ष्णेय के पास पहुंची। उन्होंने निर्माताओं से कहा कि हम थोक में घी खरीदना चाह रहे हैं। शुरुआती बाचतीत में ही विष्णु (घी निर्माता) ने टीम को भरोसा दिया कि वह अपने घी को ज्यादातर फेमस ब्रांड के डुप्लिकेट कार्टन में पैक कर सकता है। अब आइये आपको बताते हैं कि विष्णु और मीडिया टीम के बीच क्या बात हुई।

विष्णु: आपको अमूल टिन चाहिए है न?

रिपोर्टर: हां, हमें अमूल वाला घी चाहिए।

विष्णु: आपको अमूल टिन मिल जाएगा।

रिपोर्टर: ठीक है, और इसकी कीमत क्या है?

विष्णु: एक किलो के कार्टन की लगभग 240 रुपए होगी।

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विष्णु की बातों पर मीडिया टीम को हैरानी हुई, क्योंकि आमतौर पर ब्रांडेड कंपनी का घी 600 रुपये किलो से ज्यादा में महंगा है। लेकिन विष्णु जैसे लोग इसे 240 रुपए किलो कैसे बेच रहे हैं? बता दें कि भारत में घी व्यवसाय 3 लाख करोड़ से ज्यादा का है। इसमें प्रॉफिट-मार्जिन भी बहुत ही ज्यादा है। आइए जानते हैं कि भारत में इतनी बड़ी तादाद में नकली घी के कारोबार की वजह क्या है?

हाथरस में नकली या मिलावटी घी की कीमत 240-260 रुपये प्रति किलोग्राम है।
मानक देसी घी की कीमत लगभग 500 से 700 रुपये प्रति किलोग्राम है।
भारत में घी का कारोबार 3.2 लाख करोड़ रुपये (2023) का है।
2032 तक घी का कारोबार 6.9 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है।

मीडिया टीम से बातचीत करते हुए ही विष्णु अंदर जाकर एक कटोरी में घी का नमूना लेकर आ गया। जब उससे पूछा गया कि ये घी कैसे बना है तो विष्णु ने बताने से इनकार कर दिया। उन लोगों ने विष्णु से कहा कि यह तो बढ़िया और दानेदार है। लेकिन क्या आपके पास पैक किये हुये सैंपल नहीं है, क्योंकि हमें पैकिंग भी देखनी है और वो ही सबसे जरूरी चीज है। इसपर विष्णु ने जवाब दिया कि वह पैकिंग की फोटो दिखा सकता है।

घी जैसा सिर्फ दिखता है…

विष्णु घी के नाम पर जो चीज बेच रहा है, वह घी जैसा दिखता जरूर है लेकिन घी नहीं है। हैरानी की बात है कि उसकी महक भी घी के जैसी है। लेकिन वह हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेल और रिफाइंड तेल का मिश्रण है, जिसमें देसी घी का एसेंस मिला दिया गया है। मीडिया टीम ने जब विष्णु को जोर देकर पूछा कि इसे कैसे बनाया जाता है, क्या मिलाते हैं तो उसने बताया कि रिफाइंड और डालडा।

नकली घी (Fake Ghee) के सौदागर विष्णु को काफी हद तक यह भरोसा हो गया था कि टीम को घी का सैंपल पसंद आ गया है। इसलिये अब नरमी दिखाते हुए राम अंदर से अमूल के नकली डिब्बे भी बाहर लाया, जिसमें इस घी को पैक करके बेचा जाता है। टीम ने पूछा कि क्या उसके पास और दूसरे फेमस ब्रांड भी हैं तो उसने कहा कि अभी तो नहीं हैं, लेकिन मिल जाएंगे। उसने दावा किया कि वह पारस और मधुसूदन के नकली डिब्बे का भी इंतजाम कर सकता है।

अब तक टीम ने की नकली घी की बात की और अब बारी थी पूजा वाले घी की। यह काम बेहद मुनाफे वाला है। कुछ कंपनियां पूजा के लिये अलग से घी तैयार करती हैं। इसे पूजा वाला घी कहते हैं। राम के बाद टीम हाथरस में पूजा वाले घी के निर्माता मेहुल खंडेलवाल के पास पहुंची।

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खंडेलवाल: बताइये आपको क्या चाहिए, अच्छी क्वालिटी का सामान या हल्का?

खंडेलवाल: क्या यह चलेगा?

रिपोर्टर: मधुसूदन

खंडेलवाल: नहीं माधवन मिल जाएगा। मैं कोई नकली सामान नहीं बेचता हूं। मैं कोई डुप्लिकेट आइटम बेचता नहीं हूं। यह हमारा अपना ब्रांड है।

खंडेलवाल: हम जो भी दिखाते हैं वह हमारा अपना होता है। हमारे पास 16-17 ब्रांड मिल जाएंगे।

खंडेलवाल: मैं आपको मीडियम क्वालिटी वाला प्रोडक्ट दिखाता हूं, जो न तो बहुत खराब है, न ही बहुत अच्छा।

रिपोर्टर: क्या आप बता सकते हैं कि पूजा के लिए किस तरह का घी का प्रयोग होता है।

खंडेलवाल: भाई, कई किस्में कई हैं

(खंडेलवाल ने घी की मशहूर कंपनी गोवर्धन के नाम से भी अपना एक घी प्रोडक्ट बना रखा है, बस इसकी स्पेशलिंग थोड़ी सी अलग है, जो लोगों को हैरान कर सकती है)

रिपोर्टर: यह अग्नि है, यह गोवर्धन है, और यह माधवन है। सबसे ज्यादा कौन सा बिकता है?

खंडेलवाल: गोवर्धन

रिपोर्टर: यह किस चीज से बना है? इसमें कुछ मात्रा में घी है या नहीं?

खंडेलवाल: इसमें सिर्फ डालडा और रिफाइंड (तेल) का इस्तेमाल हुआ है।. आप क्या पूछ रहे हैं, आप भी तो बेचते हैं।

रिपोर्टर: मैं तो सिर्फ जानने के लिए पूछ रहा था। मैंने सुना था कि इसमें कुछ मात्रा में देसी घी भी मिलाया जाता है।

खंडेलवाल: सब झूठ कहते हैं। 180 रुपए में आप उम्मीद करते हैं कि मैं असली घी डालकर बेचूं?

रिपोर्टर: लेकिन पैकेट पर कहीं भी घी लिखा नहीं है।

खंडेलवाल: मैं घी नहीं लिखूंगा। आप बच्चों की तरह बात कर रहे हैं। मैं घी क्यों लिखूंगा भाई?

रिपोर्टर: लेकिन ग्राहक घी खरीदेगा न?

खंडेलवाल: हम लिखते हैं कि यह हवन सामग्री है। मैं बिल्कुल भी घी नहीं बेच रहा। यह सिर्फ हवन सामग्री है।

(खंडेलवाल के शब्दों में उनके सभी 16-17 घी प्रोडक्ट पूजा सामग्री की श्रेणी में आते हैं। ग्राहक पूजा वाला घी मांगेगा। खंडेलवाल उसे पूजा सामग्री देंगे। वे घी शब्द का प्रयोग नहीं करते हैं। यानी इनके पास घी शब्द पर लोगों के भरोसे पर आधारित एक फायदेमंद बिजनेस मॉडल है।