Bihar: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फणीश्वर नाथ रेणु ‘100 साल बाद’ पुस्तक जो बिहार विधान परिषद ‘साक्ष्य’ द्वारा संपादित है का विमोचन किया।
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इस अवसर पर बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, उपसभापति राम वचन राय, बिहार विधान परिषद के सदस्य संजय कुमार सिंह उर्फ गांधी जी एवं ललन सर्राफ उपस्थित थे।
कौन थे फणीश्वर नाथ रेणु?
फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ का नाम सुनते ही ‘मैला आंचल’ और ‘परती परिकथा’ जैसी कालजयी कृतियां सामने आने लगती हैं। फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ का जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना नामक गांव में हुआ था। उस समय यह गांव पूर्णिया जिले में था। पर अब यह गांव अररिया जिले में पड़ता है। 11 अप्रैल 1977 के दिन फणीश्वरनाथ रेणु जी हिंदी साहित्य को सदा के लिए सूना करके पंचतत्व में विलीन हो गए।
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फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ की शिक्षा भारत और नेपाल में हुई थी। 1942 में वे स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में कूद पड़े। रेणु के पिता शिलानाथ मंडल एक संपन्न व्यक्ति थे। भारत के स्वाधीनता संघर्ष में उन्होंने भाग लिया था। रेणु के पिता कांग्रेसी थे। फणीश्वर नाथ का बचपन आजादी की लड़ाई को देखते और समझते ही बीता था। फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ ने स्वंय लिखा है कि पिताजी किसान थे। इलाके के स्वराज-आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ता थे। वे खादी पहनते थे और हमारे घर में चरखा चलाते थे।