3 दिनों में 1000 से ज्यादा बुकिंग। इन दिनों नोएडा में ई-साइकिल का जबरदस्त क्रेज देखने को मिल रहा है। तीन दिन पहले नोएडा में 10 डॉक स्टेशन पर 110 ई साइकिल चलाई गई। इस दौरान शाम छह बजे तक 82 लोगों ने ई साइकिल बुक कराई और गंतव्य तक गए। कल 10 डॉक स्टेशन और शुरू किए जाएंगे। वहां से 110 ई साइकिल और चलाई जाएंगी। ई साइकिल चलाने के लिए टर्बन मोबिलिटी एप को डाउनलोड करना होगा। इसके बाद आप ई साइकिल बुक करा सकते है।
पहले दिन डॉक स्टेशन सेक्टर-21, गंगा शॉपिंग कंप्लैक्स, सेक्टर-77, सेक्टर-78, सेक्टर-39 और सेक्टर-50 में बने डॉक स्टेशन से ई साइकिल बुक कराई गई। वहीं एमिटी डॉक स्टेशन से सारी साइकिल बुक हुई। नोएडा में कुल 62 डॉक स्टेशन से ई साइकिल चलनी है। जिनमें बिजली मीटर कनेक्शन देने का काम किया जा रहा है।
ई साइकिल चलाने के लिए 30 मिनट के लिए 15 रुपए , 30 मिनट के बाद एक रुपए प्रति मिनट और पॉश चार्ज 0.50 पैसे प्रति मिनट लिया जाएगा। साइकिल की बुकिंग एप से होगी। एप डाउनलोड करने के बाद 299 रुपए सिक्योरिटी के रूप में जमा करने होंगे। इसके बाद ही साइकिल बुक की जा सकेगी। पहले दिन आपरेट करने में कुछ लोगों को थोड़ी दिक्कत हुई। इसके लिए डॉक स्टेशनों पर मौजूद लोगों ने उनकी मदद की।
इनका पेमेंट भी डिजिटल फारमेट में ही करना होगा। इन साइकिल से सालाना 1125 टन कार्बन रेडिएशन से बचाव होगा। प्रत्येक डॉक स्टेशन से 10 ई साइकिल मिलेंगी। ये योजना पीपीपी मॉडल पर चलेगी। खर्चा निकलने के लिए कंपनी डॉक स्टेशन पर 50 वर्ग फीट में अपना विज्ञापन कर सकती है।
कुछ ऐसी होंगी ई साइकिल
- ई साइकिल यूनी सेक्शुअल है। इसकी सीट को ऊंचा या नीचा किया जा सकेगा।
- अच्छी गुणवत्ता के टायर, ब्रेक, साइड हुक, मड गार्ड, चेन लॉक, स्टैंड और लाइटिंग सिस्टम के साथ बास्केट भी लगा होगा।
- इसका प्रयोग पैडिल और बिना पैडल दोनों तरीके से किया जा सकेगा।
- कंपनी डॉक स्टेशनों पर इन्हें चार्ज कर सकेगी।
- एक बार चार्ज होने पर 50 किमी का सफर तय सकती है।
- जीपीएस सिस्टम से होगी ट्रैक। ऐसे में चोरी नहीं की जा सकती है
रोजाना एक साइकिल का कम से कम तीन बार होगा प्रयोग
- यूएन की स्टडी के मुताबिक एक ई-साइकिल कम से कम दिन में तीन बार प्रयोग में लाई जाएगी। 500 साइकिल प्रतिदिन 1500 चक्कर लगाएंगी। इस स्थिति में प्रतिवर्ष 1125 टन कार्बन उत्सर्जन को बचाया जा सकेगा। यदि इतनी ही पेट्रोल व डीजल वाहन सड़क पर चले तो इससे कई गुना अधिक कार्बन का उत्सर्जन करेंगे। ऐसे में पर्यावरण को नुकसान होगा साथ ही यातायात कंजक्शन में बढ़ोतरी होगी।