हार चुका हूं मैं …
लेकिन मुझे अभी लड़ने दो
ज़ख्म जरा हरे हैं…
इन्हें थोड़ा भरने दो
अलादीन का चिराग है हौसला मेरा …
इन्हें ज़रा रगड़ने दो
लड़ जाऊंगा
गिर जाऊंगा
और इसी बीच
एक ऩई ईबारत रच जाऊंगा
मेरी हार ही मेरी जीत है ..
मुझे जरा सा अड़ने दो
वरिष्ठ पत्रकार एंव लेखक अनुरंजन झा के फेसबुक वॉल से
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