Jyoti Shinde,Editor,Khabrimedia.com
अपनी मांगों को लेकर ग्रेटर नोएडा में शुरू हुआ किसानों का आंदोलन समय के साथ उग्र होता जा रहा है। किसान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के गेट के सामने पिछले 43 दिनों से धरने पर बैठें हैं। लेकिन किसानों के मुताबिक अभी तक उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
आन्दोलनरत किसानों व ज़िला प्रशासन के बीच वार्ता विफल होने के बाद किसान सभा के हजारों कार्यकर्ता मंगलवार को 12 बजे प्राधिकरण गोल चक्कर पर इकट्ठा हुए। पीड़ित किसान वहां से जुलूस के रूप में आगे बढ़े और प्राधिकरण के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। इस दौरान हजारों की संख्या में इकट्ठा हुए किसानों ने जुलूस निकालकर प्राधिकरण के दोनों गेट बंद कर दिए।
इस दौरान पुलिस व किसानों के बीच झड़प हो गई। हालांकि शाम पांच बजे किसानों ने एक गेट को खोल दिया। साथ ही ये ऐलान भी किया कि अगर किसानों की समस्याएं एक सप्ताह (13 जून तक) तक खत्म नहीं हुई तो प्राधिकरण को पूरी तरह से जाम कर दिया जाएगा।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान ?
10% आबादी प्लाट, सर्कल रेट का 4 गुना मुआवजा, आबादियों की लीज बैक, 40 वर्ग मीटर का प्लाट, रोजगार की नीति एवं अन्य मुद्दों पर सभी किसान एकजुट हैं। आंदोलन को मुद्दों के हल होने तक क्षेत्र के किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान सभा के प्रवक्ता डॉ. रूपेश वर्मा ने कहा कि विभिन्न गांवों के किसान 43 दिनों से धरने पर बैठे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उनका कहना है कि अबकी बार किसान किसी आासन अथवा लिखित आासन के लिए नहीं आया है, बल्कि ठोस नतीजे प्राप्त करने आए हैं। उनका कहना है कि जब तक किसानों की समस्याएं हल नहीं होती डेरा डालो घेरा डालो के तहत सैकड़ों किसान प्राधिकरण पर ही घर बनाकर आज से रहना शुरू कर धरना प्रदर्शन में किसान सभा के जिलाध्यक्ष नरेंद्र भाटी, सूबेदार ब्रह्मपाल, वीर सिंह नागर, सपा नेता गजराज सिंह, सपा जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी, इंदर प्रधान, किसान यूनियन अंबावता के कृष्ण, बृजेश, किसान परिषद के नेता सुखवीर खलीफा, सुनील फौजी सहित बड़ी संख्या में किसान संगठनों के पदाधिकारी शामिल हुए
‘किसानों के साथ अन्याय क्यों?’
किसान नेता रुपेश वर्मा ने प्राधिकरण अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि डेढ़ लाख से ज्यादा की आबादी भूमि अधिग्रहण से प्रभावित है। प्राधिकरण और शहर का अस्तित्व किसानों की जमीन पर निर्भर है। किसानों को रोजगार में, शिक्षा में, चिकित्सा में और तो और उनकी जमीन के बदले मिलने वाले हक हैं, उन से भी वंचित किया जाना उनके साथ में न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि घोर अन्याय भी है।