Bihar में नीतीश कुमार के साथ अनंत सिंह, विपक्षियों की फिर बढ़ गई टेंशन
Bihar News: बिहार की सियासत एक बार फिर से हलचल देखने को मिल रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से जुड़ी बड़ी खबरें सामने आ रही है। आपको बता दें कि अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) की सुगबुगाहट आने लगी है। इसी क्रम में 25 अगस्त 2024 को बिहार के बाहुबली अनंत सिंह (Bahubali Anant Singh) जेल से निकलने के 10 दिन बाद सीएम हाउस पहुंचे। सीएम नीतीश कुमार से मिलने के बाद उन्होंने कहा कि वे सीएम नीतीश कुमार से मिलने आए थे। इसके साथ ही उन्होंने 2025 में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया।
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आपको बता दें कि 18 अगस्त 2024 को बाहुबली नेता और तरारी से 4 बार के विधायक रहे, सुनील पांडे ने बीजेपी में शामलि हो गए। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि तरारी विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी उनके बेटे विशाल प्रशांत को मैदान में उतार सकती है। तीसरी तारीख 21 जुलाई 2024। बाहुबली नेता शंकर सिंह रुपौली से निर्दलीय चुनाव जीत कर सीएम हाउस पहुंचे। बाहर आकर कहा, सीएम नीतीश कुमार का आशीर्वाद लेने आए थे। हम विकास के साथ है।
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ये तीनों तारीखें ये बताने के लिए काफी हैं कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में किस तरह एक बार फिर से बाहुबली अपना रुतबा दिखाने वाले हैं। 2005 के बाद बिहार की सियासत से करीब करीब किनारे कर दिए गए बाहुबली एक बार फिर से अपना दमखम दिखाने के लिए तैयार हैं। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मंच और माहौल दोनों सजने लगे हैं। सूबे की सभी पार्टियों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से बाहुबलियों पर दांव लगाना भी शुरू कर दिया है। कोर्ट की रिहाई के बाद कुछ सीधे चुनावी मैदान में होंगे तो कुछ के सामने नियमों का तकाजा होगा। वे अपने परिवार के सहारे अपनी सियासत ताकत दिखाएंगे।
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इस खबर में हम आपको ऐसे बाहुबलियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो 2025 विधानसभा चुनाव का समीकरण तय करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
आनंद मोहन – राजपूतों को जदयू से जोड़ेंगे की जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आनंद मोहन की मित्रता अब सियासत में किसी से भी छिपी हुई नहीं है। आनंद मोहन चुनावी चौसर के कितने माहिर खिलाड़ी हैं, जेल से निकलते ही उन्होंने यह एक बार फिर सबको बता दिया है। लोकसभा चुनाव में उन्होंने न केवल बीजेपी की विनिंग सीट शिवहर को गठबंधन के तहत जदयू के हिस्से लाने में सफल रहे, बल्कि लगातार चुनाव हार रही अपनी पत्नी लवली आनंद को जीत भी दिलवाई।
लोकसभा के बाद अब विधानसभा चुनाव में आनंद मोहन जदयू में बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। फिलहाल, उनके बड़े बेटे चेतन आनंद शिवहर से विधायक हैं। ऐसे में उनका एक बार फिर से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। बेटे को चुनाव जिताने के साथ-साथ पार्टी से नाराज राजपूत समाज को भी जोड़ने की जिम्मेदारी आनंद मोहन पर ही होगी। कोसी को आनंद मोहन का गढ़ माना जाता है, इस स्थिति में ये बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
अनंत सिंह – भूमिहार की नाराजगी करेंगे खत्म
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले अनंत सिंह पर चल रहे तमाम मुकदमे खत्म हो गए हैं। जिस एके-47 और बुलेट प्रुफ जैकेट रखने के आरोप में उन्हें निचली अदालत ने सजा सुनाई थी, उस केस में हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद उन्होंने 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है।
इस चुनाव में अनंत सिंह नीतीश कुमार के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं। आपको बता दें कि बीते कुछ सालों से अनंत सिंह और नीतीश कुमार के रिश्ते को लेकर तमाम बातें हो रही थी। अब अनंत सिंह आजाद हैं तो ना केवल मोकामा की सीट, बल्कि मगध के साथ-साथ अन्य इलाकों के भूमिहारों की नाराजगी दूर करने के जिम्मेदारी अनंत सिंह अपने कंधे पर उठा सकते हैं।
सुनील पांडेय
शाहबाद में बाहुबली सुनील पांडे एक बड़ा नाम हैं। कभी बालू के कारोबार से लेकर क्राइम की दुनिया में सुनील पांडेय की तूती बोलती थी। लेकिन 2000 के बाद इन्होंने राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाई। नीतीश के साथ समता पार्टी से 2000 में विधायक बने। इसके बाद 2005 में हुए लगातार दो चुनाव में जीत दर्ज की। 2010 के बाद से सदन से दूर हैं। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में इन्होंने अपनी पत्नी को तरारी से लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़वाया, लेकिन हार गई।
अब हरा और नीला झंडे से बाहर निकल कर सुनील पांडेय भगवाधारी हो गए हैं। अपने साथ उन्होंने अपने बेटे को भी बीजेपी की सदस्यता दिलाई है। माना जा रहा है कि तरारी विधानसभा उपचुनाव में बेटे को टिकट मिल सकता है। 2025 से पहले यही इनका लिटसम टेस्ट भी होगा।
ये बाहुबली भी बिहार चुनाव से कर सकते हैं वापसी
इन सबके साथ ही कई बाहुबली हैं, जो पिछले कुछ सालों से चुनावी ग्राउंड से दूर हैं। वे विधानसभा चुनाव में वापसी कर सकते हैं। इनमें सबसे ऊपर बाहुबली सूरजभान सिंह का नाम शामिल है। लोजपा में बंटवारे के बाद लगभग वे मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स से दूर हैं। अब इस बात की चर्चा तेज है कि वे भी अपने बेटे के साथ बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। इनके अलावा बाहुबली राजन तिवारी के भाई राजू तिवारी लोजपा(आर) के प्रदेश अध्यक्ष है, लेकिन फिलहाल किसी सदन के सदस्य नहीं है। इस बार विधानसभा चुनाव में वे भी अपनी किस्मत आजमा सकते हैं।