उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Amrapali Dream Valley Incident: नोएडा के आम्रपाली ड्रीम वैली में हुए दर्दनाक हादसे में अब तक आठ लोगों ने अपनी जान गंवा चुके हैं। जान गवाने वालों की कहानी सुनकर आपके भी आंखों में आंसू आ जाएंगे। कोई अपनी फीस भरने के लिए काम कर रहा था, तो कोई अपने पिता का बोझ हल्का करने के लिए काम कर रहा था। आइए हम आपको हादसे में दुनिया छोड़ कर जाने वालों की दर्दनाक कहानी बताते हैं।
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हादसे में जान गंवाने वाले 8 लोगों में एक अमरोहा के रहने वाले आरिस खान (18) भी शामिल हैं। तीन महीने पहले ही आरिस यहां काम करने आए थे। 400-500 रुपये की मजदूरी पर नौकरी मिली थी। आरिस के सपने बड़े थे और उसने अपने रिक्शा चालक पिता से रिटायर होने के लिए कहा था। ये भी कहा था कि उन्हें परेशान होने की जरुरत नहीं है..उसे नौकरी मिल गई है। लेकिन किसे पता था कि ये आरिस की जिंदगी की आखिरी नौकरी होगी
मेरा बेटा सात दिन पहले मेरे साथ था
मीडिया एजेंसी से बातचीत में आरिस के पिता ने कहा कि मेरा बेटा सात दिन पहले मेरे साथ था। वह अपनी बहन की शादी में थिरक रहा था। पिछले हफ्ते ही अपने चचेरे भाई अरबाज अली के साथ आरिस काम पर लौटा था। दोनों ही अपने जीवन में अच्छा करना चाहते थे। अब आरिस हमेशा के लिए हम सब को छोड़कर चला गया और अरबाज अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है।
रिश्तेदार से हादसे के बारे में जानकारी हुई
आरिस के पिता शाकिर ने बताया कि सुबह साढ़े दस बजे के करीब एक रिश्तेदार ने दुर्घटना के बारे में बताया। इसके बाद हम लोग अपने सियाली गांव से चार घंटे की यात्रा करके नोएडा पहुंचे थे। ये हमारे जीवन का सबसे कठिन समय था। उन्होंने बताया कि आरिस तीन बेटों में सबसे छोटा और बहुत ही समझदार था। वह अपनी मां के सबसे करीब था। रोते हुए आरिस के पिता ने कहा कि मैं उसे सफेद चादर में लपेटकर घर कैसे ले जा पाऊंगा।
कुछ ही हफ्तों में सबकुछ बदल गया
शाकिर के साथ अस्पताल पहुंचे अरबाज के पिता मोहम्मद आसिफ खान ने कहा कि कुछ ही हफ्तों में चीजें कितनी बदल गई हैं। उन्होंने नोएडा जिला अस्पताल के आईसीयू के बाहर अपने बेटे के लिए प्रार्थना की। आईसीयू के बाहर मोहम्मद आसिफ बेचैन बैठे हैं। उनका कहना है कि बेटे के बारे में जब डॉक्टरों से पूछते हैं तो हर बार टाल दे रहे हैं। वहीं, घर से मेरी पत्नी हर पांच मिनट पर फोन करके बेटे अरबाज के बारे में मुझसे पूछ रही है। मैं उसे क्या जवाब दूं। रोते हुए आसिफ ने कहा कि मुझे वह दिन याद है, जब अरबाज मेरे पास आया था और कहा था कि अब्बा अब घर मैं संभालूंगा और परिवार की देखभाल करूंगा।
कॉलेज की फीस के लिए करने लगा था काम
यूपी के गजरौला के रहने वाले आसिफ ने कहा कि उनका बेटा एक साल से नोएडा में वेल्डिंग का काम कर रहा है और 10-12 दिन पहले ही ड्रीम वैली प्रोजेक्ट साइट पर शामिल हुआ था। अली एक अच्छा लड़का है। वह पढ़ना चाहता है, लेकिन अपनी कॉलेज की फीस का बोझ मुझ पर नहीं डालना चाहता था। उसने मुझसे कहा था कि जब वे आएंगे तो वह परीक्षा देगा और परिवार का सपोर्ट करने के लिए निर्माण स्थलों पर नौकरी भी करेगा।
अस्पताल पहुंचे तो पता चला आईसीयू में भर्ती हैं
हादसे में घायल एक अन्य मजूदर कुलदीप पाल छिबरामऊ का रहने वाला है और उसके पास कोई नहीं है। वह अकेला ही आईसीयू में लेटा हुआ है। उससे मिलने आया एक रिश्तेदार चौंक गया, जब उसको पता चला कि कुलदीप आईसीयू में है। उसने कुलदीप के परिवार को सूचना दी। इसके बाद कुलदीप के घरवाले नोएडा के लिए निकल चुके थे। परिवार का भरण पोषण करने के लिए कुलदीप कई सालों से नोएडा पर काम कर रहा है।
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