मोदी, मुसलमान और मतदान

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अमर आनंद,वरिष्ठ टीवी पत्रकार


यह नरेंद्र मोदी का नया चुनावी अवतार है, जो मुसलमानों का तलबगार है। जे पी नड्डा के लिए भगवान विष्णु के ग्यारहवें अवतार, खुद के लिए गंगा पुत्र और समर्थकों के लिए हर हर मोदी यानी भारत के पर्यायवाची बनते जा रहे नरेंद्र दामोदर दास मोदी राम मंदिर निर्माण का श्रेय लेकर बंपर वोटों की उम्मीद करते हुए चार सौ पार का संकल्प लेकर तीसरी बार की तैयारी कर आगे बढ़ रहे हैं लेकिन उनकी राह में विपक्ष और जनता के मुद्दे कांटों की तरह नजर आने लगे हैं।

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यही वजह है कि प्रधानमंत्री के चुनावी भाषण में मंगल सूत्र, विपक्ष राम मंदिर में बाबरी का ताला लगा देगा, दो में से एक भैंस मुस्लिमो को दे दी जाएगी, ऐसे शब्द और बांटने वाला लहजा नजर आने लगा जाहिर तौर पर रोजी – रोटी मंहगाई जैसे मुद्दों का ये जवाब तो नहीं हो सकता इसलिए नरेंद्र मोदी पर सवाल उठते चले गए हर बढ़ते चरण में घटने के एहसास के साथ मोदी एक चैनल को दिए इंटरव्यू में सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास अपना ही नारा फिर से याद आ गया।

कभी खुद को पठान का बच्चा कह चुके मोदी अब कह रहे है कि मुसलमान उनके जिगर और जान की तरह रहे है। ऐसे माहौल में उनकी परवरिश हुई है जहां उनमें और मुसलमान में कोई दूरियां नहीं थीं। गुजरात के 2002 के दंगों में उनकी छवि ऐसी बनाई गई कि उन्हें मुस्लिम विरोधी कहा जाने लगा। कांग्रेस पार्टी का इसमें काफी योगदान था।

सोनिया गांधी की तरफ से मौत का सौदागर कहे जाने और आरोपों का सामना करते रहने के बावजूद किसी अदालत या जांच आयोग ने मोदी को अब तक दंगों के लिए दोषी नहीं ठहराया, यह बात मोदी की भी ताकत और बीजेपी की भी। पाकिस्तान छोड़कर तमाम मुस्लिम देशों में लोकप्रिय मोदी भारतीय मुसलमानों को थोड़ा कम भाते है और कुछ हद तक मुसलमान उनसे नफरत भी करते हैं और उनके विरोध में विरोधी पार्टियों को मतदान भी कर रहे हैं।

यह बीजेपी के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है खास तौर से तब जब कुछ सर्वे में महज दो सौ सीटें आने की बार भी कही जा रही है। हो सकता है सीटें 220 तक पहुंच जाए लेकिन पूर्ण बहुमत का तो खैर सवाल ही नहीं उठता। इस चुनावी दौर में सब कुछ देखने को मिल रहा है। यूपी के कन्नौज बीजेपी अपनी ही सरकार की पुलिस को कटघरे में खड़ा कर रही है। कुछ अन्य जगहों पर मुस्लिम बस्तियों में मुसलमान मतदाताओं को वोट देने से रोका जा रहा है और उसी यूपी के वाराणसी से पार्टी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी कह रहे है कि अगर मैं हिंदू मुसलमान करूं तो मेरे पीएम जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे होने का कोई मतलब नहीं।

हिंदू युक्त आत्मविश्वास से ओतप्रोत रहने वाले नरेंद्र मोदी को मुस्लिम मुक्त माना और देखा जाता रहा है मगर अब हालात बदले हुए हैं। मोदी चुनावी रण के बहुत बड़े योद्धा होकर भी ऐसा उस हालात में कह रहे हैं जब पार्टी के महारथियों की आपसी तकरार तीसरी बार मोदी सरकार के नारे पर पलीता लगाने के लिए तैयार है।

उनके सहयोगी अमित शाह ने चुनावी तरकश के सारे तीर निकाल कर इस्तेमाल कर लिए है और कुछ तीर तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर भी आजमाए गए हैं जिसका मौन रहकर मोदी के मुताबिक यूपी के लिए सबसे उपयोगी आदित्यनाथ ने अपने तरीके से मुकाबला किया है और अंदरखाने जवाब भी दिया है।

यूपी में बात ठाकुर आंदोलन और संगीत सोम से शुरू हुई थी और राजा भैया और बृजभूषण शरण सिंह तक पहुंच गई और धनंजय भी इसके किरदार बनाए गए। बृजभूषण जहां योगी को अपना नेता मानने से इंकार करते हैं वहीं योगी के खास रहे धनंजय शाह से मिलने के बाद बीजेपी की जय जयकार करते हैं। शाह की सियासत गजब की है एक तरफ धनंजय के दुश्मन एसपी विधायक अभय सिंह को अभय दान देते है तो दूसरी तरफ धनंजय को भी एक भी बच्चा छूटा तो सुरक्षा चक्र टूटा के अंदाज में साथ ले आते है।

बर्तनों की तरह टकराते, पास वाले दूर जाते और दूर वाले पास आते बीजेपी के नेताओं और घर से बाहर निकलने में कम दिलचस्पी दिखाते कार्यकर्ताओं ने यह बता दिया कि पार्टी के लिए मतदान कितना अहम है और बंटे हुए हिंदुओं के साथ मुसलमान भी अहम है।

मोदी वाराणसी में योगी के साथ रोड शो निकालते हैं। गंगा की धार के बीच उनके आंसुओं की धार निकलने को तैयार रहती है। वाराणसी में अच्छी खासी तादाद में मौजूद मुस्लिम वोटरों के साथ साथ देश भर के मुस्लिम मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश होती है हर हर मोदी के नारों से प्रफुल्लित होने वाले छप्पन इंच के मोदी मुस्लिम मित्र भी है और हां शत्रु तो बिल्कुल भी नहीं है जैसा विपक्ष की ओर से उन्हें बताया और दिखाया जाता है।

तो क्या या मुस्लिम मतदाताओं को यह मान लेना चाहिए कि नरेंद्र मोदी राम के राहियों और रमजान के राहियों को समान भाव से देखते और समझते हैं। सवाल यह भी है कि हिंदुओं को एक तरह से ललकार मतदान केंद्रों तक पहुंचाने वाले योगी का मोदी के ताजा मुस्लिम प्रेम से इत्तेफाक रख पाएंगे। शाह और बाद मोदी के इस संदेश को अपनाकर इसे पार्टी के लिए अमल में लाएंगे?

फिलहाल ऐसा नहीं लगता कि दुनिया के इस नंबर वन और विदेशी मुसलमानों की पसंद इस लोकप्रिय नेता पर भारत के मुसलमान आसानी से यकीन करेंगे, बल्कि ऐसे बयानों से तो मोदी के हिंदू वोटर भी छिटक जाएंगे। मोदी के हर बयान की काट तैयार कर रणनीति बना रहा विपक्ष भी अपने काम पर है उसका सिर्फ एक ही मकसद है मोदी को जीत से रोकना और इसके लिए वो पहले से ही मुसलमानों की हिमायत में मोदी की तुलना में कई कदम आगे है।