24 घंटे में कैसे हो गया खेला..पढ़िए बिहार के पॉलिटिकल ड्रामे की इनसाइड स्टोरी

बिहार राजनीति
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Bihar News: बिहार में पिछले कुछ दिनों से चल रहे पॉलिटिकल ड्रामे पर अब नई सरकार की गठन के साथ पूर्ण विराम लग गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने 28 जनवरी को सुबह 11 बजे पहले गवर्नर को इस्तीफा दिया फिर शाम ढ़लते-ढ़लते 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली।
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावां बीजेपी (BJP) की तरफ से 2 डिप्टी सीएम बनाये गए जिसमें बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा शामिल हैं। इनके अलावा जदयू से विजय कुमार चौधरी और विजेंद्र यादव, श्रवण कुमार, सुमित कुमार सिंह तो बीजेपी के नेता प्रेम कुमार और HAM के नेता जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने मंत्री पद की शपथ ली।

बिहार (Bihar) में नई सरकार के शपथ के बाद देश के प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने ‘X’ पर नीतीश कुमार को बधाई देते हुए कहा कि बिहार में बनी एनडीए सरकार राज्य के विकास और यहां के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री और सम्राट चौधरी एवं विजय सिन्हा को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर मेरी बहुत-बहुत बधाई। मुझे विश्वास है कि यह टीम पूरे समर्पण भाव से राज्य के मेरे परिवारजनों की सेवा करेगी।

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कब-कब राजद और बीजेपी के साथ आये नीतीश कुमार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2014 से लेकर अभी तक कुल 4 बार पलटी मार चुके हैं जिसमे 2 बार राजद के साथ जाकर सरकार बनाये हैं तो 2 बार बीजेपी के साथ सरकार में शामिल हुए हैं।

आईये बताते हैं नीतीश कुमार की बीजेपी के साथ बेवफाई कब से शुरू हुई। दरअसल नीतीश कुमार जाने अनजाने में कभी भी नरेंद्र मोदी को खुलकर पसंद नहीं किये और इसी का कारण है कि जब 2014 के लिए एनडीए के तरफ से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया गया तो जून 2013 को एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने ने 17 साल पुराना बीजेपी के साथ गठबंधन खत्म करने की घोषणा की।

2014 में भाजपा के प्रचंड बहुमत से चुनाव जीतने के बाद नीतीश ने जेडीयू की हार की जिम्मेदारी ली और जीतम राम मांझी को सीएम नियुक्त करते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। मई 2014 में लालू यादव की पार्टी राजद और कांग्रेस ने जदयू का समर्थन किया और विधानसभा में बहुमत परीक्षण में सफल रहे। इस तरह से जदयू, कांग्रेस और राजद ने महागठबंधन का गठन किया और 2015 का विधानसभा चुनाव साथ मे लड़ा। 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में राज्य में महागठबंधन के तहत राजद ने 80 सीटों पर, जदयू ने 71 सीटों पर और कांग्रेस ने 27 सीटों पर जीत दर्ज की। उधर भाजपा महज 53 सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी। इसके साथ नीतीश कुमार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने और तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री चुना गया।

गठबंधन में राजद के महत्व से असंतुष्ट नीतीश 2016 में फिर से सुर्खियों में आये। एक बार फिर उनका झुकाव भाजपा की नोटबंदी और जीएसटी संबंधी नीतियों की ओर हुआ और नीतीश कुमार ने 2017 में तेजस्वी यादव से इस्तीफा मांगा लिया। जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने 20 महीने पुराने महागठबंधन वाली सरकार को समाप्त करते हुए, बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपना इस्तीफा दे दिया। 27 जुलाई 2017 को उन्होंने फिर से भाजपा के समर्थन से बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

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2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा जदयू ने एक साथ चुनाव लड़ा। इस चुनाव में भाजपा ने 74 सीटों पर और जदयू ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की। इसके साथ ही जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के साथ मिलकर सरकार बनी जिसके मुखिया नीतीश कुमार बने। वहीं, भाजपा की तरफ से तारकिशोर प्रसाद और रेणू देवी के रूप में दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए। कई मतभेदों के बाद 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने घोषणा की कि बिहार विधानसभा में भाजपा के साथ जदयू का गठबंधन खत्म हो गया है। उन्होंने दावा किया कि बिहार में नई सरकार, राजद और कांग्रेस सहित नौ पार्टियों का गठबंधन महागठगंधन 2.0 होगी। जदयू भाजपा से नाता तोड़कर राजद के साथ मिल गई और नीतीश फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। इसके साथ ही राजद से तेजस्वी यादव राज्य के उप मुख्यमंत्री बने और अब एक बार फिर नीतीश ने तेजस्वी यादव का साथ छोडकर बीजेपी का दामन थाम लिया।

2024 में नीतीश के अलग होने की कहानी

दरअसल नीतीश कुमार जब 2022 में बीजेपी से अलग होकर राजद के साथ सरकार में गए तो उनका एक ही मकसद था केंद्र से नरेंद्र मोदी के सरकार को हटाना जिसके लिए उन्होंने ने सभी विपक्षी दलों के साथ मिलकर ‘इंडिया’ गठबंधन बनाया। लेकिन जैसे जैसे इंडिया गठबंधन का दौर बढ़ता गया नीतीश का कद उसमे कम होता गया जो नीतीश कुमार को बिल्कुल पंसद नहीं आया और जब चारों तरफ ये नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की चर्चा चल रही थी तब कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे को संयोजक बना दिया गया और नीतीश कुमार को साइड लाइन कर दिया गया जिसके बाद से ही नीतीश कुमार का रवैया बदल गया और कयास लगने शुरू हो गए और अंत में नीतीश कुमार ने वहीं किया जिसकी हर किसी को उम्मीद थी।