सूर्यांश सिंह, ख़बरीमीडिया
China Mystery Disease: चीन में रहस्यमयी बीमारी को लेकर दुनिया भर में चिंता दिखाई दे रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इस मामले में चीन से जानकारी मांग चुका है। लेकिन चीन का कहना है कि यह बीमारी (Disease) बहुत गंभीर नहीं है। वहीं भारतीय डॉक्टर (Doctor) इस बीमारी को लेकर चेतावनी दे रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने चीन से देश के बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारियों और निमोनिया (Pneumonia) में वृद्धि पर विस्तृत जानकारी का अनुरोध किया है।
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चीन में बच्चों में एन9एन2 (H9N2) के मामलों तेजी से फैल रहे हैं। चीन की इस बीमारी पर भारत के डॉक्टर्स की भी करीब से नजर है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. अजय शुक्ला (Dr. Ajay Shukla) ने लोगों को सावधान रहने, साफ-सफाई करते रहने की सलाह दी है। इस तरह की बीमारियों से निपटने के एक्सपर्ट डॉक्टर ने कहा है कि यदि कोई सांस से संबंधित बीमारी से पीड़ित है तो उससे सावधान रहें और उचित दूरी बनाए रखें।
डॉक्टर बोले दूसरों से दूरी बनाए
डॉक्टर शुक्ला ने बताया है कि मैं बस लोगों को सावधान रहने की सलाह दूंगा। साफ-सफाई (Clean Up) की नियमित प्रथाओं का पालन करें और यदि आपको लगता है कि कोई है। जिसे यह श्वसन संबंधी बीमारी या संक्रमण है। क्योंकि इनमें से बहुत से मामले वायरल हैं और वे दूसरे इसकी चपेट (Vulnerable) में आ सकते हैं। तो दूसरों से दूरी बनाए रखने का प्रयास करें।
एन95 और एन99 मास्क का उपयोग करें
दिल्ली के डॉक्टर द्वारा यह सलाह तब दी गई है। जब चीन में अनिर्धारित निमोनिया (Pneumonia) का प्रकोप बच्चों पर भारी पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कई स्थानों पर बच्चों के अस्पतालों में भीड़ होने की जानकारी दी जा रही है। क्योंकि अगर आप बाहर जा रहे हैं, तो हमें पॉल्यूशन का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बेहतर होगा कि आपको एन95 और एन99 मास्क का उपयोग करना चाहिए। साथ ही समय-समय पर अपने हाथ धोएं और सुरक्षित, स्वस्थ व्यवहार बनाए रखें।
लक्षण दिखने पर बच्चे को स्कूल न भेजें
बच्चों में सावधानी बरतने के बारे में बात करते हुए डॉ. शुक्ला ने बताया कि अगर बच्चे स्कूल जा रहे हैं। तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उन्हें खांसी, जुकाम, बुखार या अन्य कोई लक्षण तो नहीं है? उनसे बात करें और पूछें कि क्या उनकी कक्षा में कोई बच्चा इस बीमारी से पीड़ित है? बीमार है। और यदि ऐसा होता है, तो स्कूल शिक्षक को इसके बारे में सूचित करें और यदि आपका बच्चा बीमार है तो उसे स्कूल न भेजें।
डब्ल्यूएचओ भी इसे लेकर परेशान
डॉ. शुक्ला ने बताया है कि सांस की बीमारियों के साथ अस्पतालों (Hospitals) में जाने वाले छोटे बच्चों की संख्या में वृद्धि ने चीन में स्थिति को अस्त-व्यस्त कर दिया है। यह बहुत जल्दी है, मैं कहूंगा कि हम जिस मात्रा में जानकारी तक पहुंच पा रहे हैं, वो बहुत कम है। डब्ल्यूएचओ (WHO) निश्चित रूप से इसके बारे में बहुत चिंतित है। और वह चीन में अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है। जिससे अधिकतम जानकारी प्राप्त की जा सके। लेकिन अब तक जो तस्वीर सामने आ रही है, वो यह है कि सांस की बीमारियों के साथ अस्पतालों में जाने वाले छोटे बच्चों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, और कुछ केंद्रों में उन्होंने लगभग 1200 बच्चों की वृद्धि की सूचना दी है। कई स्कूलों ने बच्चों को स्कूल के अंदर अपनी कक्षाओं में नहीं आने के लिए कहा है। इसलिए स्थिति निश्चित रूप से परेशानी बढ़ रही है।
जानिए क्या वजह है जो बच्चे चपेट में आ रहे
कोविड और कड़े लॉकडाउन (Lockdown) के कारण सामान्य आबादी और बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हुई है। जिसके परिणामस्वरूप मामलों में फिर से बढ़ोतरी हुई है। कुछ विशेषज्ञों ने बच्चों में संक्रमण (Infection) में वृद्धि के बारे में जानकारी दी है। कोविड के कारण चीन में हमने जो बहुत कड़े लॉकडाउन देखे हैं, उनके कारण बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है। इससे सामान्य आबादी और वहां के बच्चे बहुत प्रभावित हुए हैं और कम प्रतिरक्षा के कारण मामलों में यह उछाल देखा जा रहा है।
अभी तक भारत में कोई मामला नहीं
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन से देश के बच्चों में श्वसन संबंधी (Respiratory) बीमारियों और निमोनिया में वृद्धि पर विस्तृत जानकारी का अनुरोध किया है। जिसमें 5 जनवरी 2020 के समान हालात का जिक्र किया गया है। जो कि COVID-19 के संबंध में महामारी से पहले था। भारत में इस बीमारी को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि देश में अभी तक इसके लक्षण नहीं देखे गए हैं। आरएमएल अस्पताल के निदेशक ने कहा कि पहले अस्पताल में प्रतिदिन 20 से 30 बच्चे आते थे। लेकिन अब इनकी संख्या कम है क्योंकि 10 से 15 बच्चे अस्पताल आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सांस की बीमारियों से पीड़ित बच्चों की संख्या ज्यादा नहीं है और फिलहाल उनके अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित कोई मरीज नहीं है।
बता दे कि डॉ. शुक्ला ने लोगों से कहा कि घबराएं नहीं और इस नए इन्फ्लूएंजा (Influenza) के बारे में जो सीमित जानकारी है। उसके आधार पर महामारी जैसी स्थिति नहीं बनेगी। आरएमएल अस्पताल के निदेशक ने कहा कि आमतौर पर हर साल सर्दियों से पहले इन्फ्लूएंजा के मामलों की संख्या बढ़ जाती है और यह मामलों में असामान्य वृद्धि का संकेत नहीं देता है।