बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एस्सेल समूह के चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा और जी एंटरटेनमेंट इंटरप्राइजेज लि. (ZEEL) के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ पुनीत गोयनका पर किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद (केएमपी) पर रहने पर रोक लगा दी है। दोनों के खिलाफ अपने निजी लाभ के लिए सूचीबद्ध इकाई से धन निकालने के लिए यह कार्रवाई की गई है। सेबी ने इस संबंध में 12 जून को नोटिस जारी किया था।
नोटिस में कहा गया है कि दोनों (चंद्रा और गोयनका) अगले आदेश तक किसी भी सूचीबद्ध कंपनी या उसकी सहायक कंपनियों में निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद पर नहीं रहेंगे। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने लिस्टेड कंपनी जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (ZEEL) और एस्सेल ग्रुप की दूसरी लिस्टेड कंपनियों से अपने फायदे के लिए फंड्स की हेराफेरी की। नोटिस में कहा गया कि धन की हेराफेरी एक सुनियोजित योजना प्रतीत होती है, क्योंकि कुछ मामलों में, निजी लाभ के लिए ZEEL के फंड को महज दो दिन में ही 13 कंपनियों में लगाया गया था।
चंद्रा और गोयनका आदेश की प्राप्ति की तारीख से 21 दिनों के भीतर अपना जवाब/आपत्तियां दाखिल कर सकते हैं। नोटिस में कहा गया है कि यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा और अगले आदेश तक लागू रहेगा।
सेबी की जांच के मुताबिक, ZEEL/Essel Group के तत्कालीन चेयरमैन चंद्रा ने 4 सितंबर 2018 को यस बैंक को समूह की कुछ कंपनियों द्वारा प्राप्त की गई क्रेडिट सुविधाओं के लिए ‘लेटर ऑफ कम्फर्ट’ (LoC) प्रदान किया था। ये एस्सेल ग्रुप की अन्य कंपनियों की तरफ से यस बैंक से लिए गए लोन की गारंटी के तौर पर जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि एस्सेल ग्रीन मोबिलिटी पर जो 200 करोड़ रुपए का लोन है, उसके बदले ग्रुप की किसी कंपनी की तरफ से यस बैंक में 200 करोड़ रुपए का फिक्स्ड डिपॉजिट रखा जाएगा। डिफॉल्ट की स्थिति में यस बैंक इस एफडी को लोन के बदले एडजस्ट कर सकता है। सेबी के आदेश में कहा गया है कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि LoC प्रबंधन में केवल कुछ लोगों को ही इस बारे में पता था और यहां तक कि ZEEL के बोर्ड को भी पत्र के बारे में पता नहीं था।(सौ. समाचार4मीडिया)
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