Greater Noida

Greater Noida: प्लॉट पाने के लिए लोग लगा रहे अजीबोगरीब जुगाड़

ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा
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Greater Noida में प्लॉट पाने के लिए लोग कर रहे हैं बड़ा फर्जीवाड़ा, अब होगी जांच

Greater Noida: ग्रेटर नोएडा से हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में प्लॉट (Plot) पाने के लिए लोग क्या क्या कर रहे हैं यह जानकर आप हैरान रह जाएंगे। आपको बता दें कि तलाक (Divorce) एक ऐसा शब्द जिस सुनते ही मन में दर्द, अकेलापन और विषाद जैसी फीलिंग्स आने लगती हैं। समाज में यह शब्द हमें तभी सुनाई देता है जब पति-पत्नी के बीच रिश्ते की दरार बहुत ज्यादा बढ़ जाती है कि साथ रहना मुमकिन नहीं होता है। वहीं यीडा सिटी में प्लॉट लेने के लिए लोग अपनी दंपती एक दूसरे से दूरी बना रहे हैं।
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Pic Social media

यीडा सिटी (Yida City) में प्लॉट पाने वाले पति-पत्नी तलाक को फायदेमंद हथियार के रूप में उपयोग कर रहे हैं। पति-पत्नी में केवल एक को ही प्लॉट के आवंटन के नियम को लोग तलाक लेकर खत्म कर दे रहे हैं। यह सिर्फ इसलिए कि पति-पत्नी दोनों के नाम पर आवंटित हुआ प्लॉट उन दोनों को मिल जाए। इस प्लॉट को रीसेल कर दोनों काफी अच्छा मुनाफा कमा सकें।

यमुना अथॉरिटी (Yamuna Authority) में एक के बाद एक मामले सामने आए तो जांच कराई गई। जिसमें 2015 से लेकर अब तक इंडस्ट्रियल कैटिगरी में 47 ऐसे मामले आए, जिनमें पति और पत्नी ने तलाक से संबंधित दस्तावेज पेश कर अपने प्लॉट को बचाया है। वहीं नियम यह है कि आवासीय, इंडस्ट्रियल और अन्य प्लॉट स्कीम अगर ड्रॉ में पति और पत्नी दोनों का नाम आता है तो एक का प्लॉट स्वत: ही निरस्त हो जाएगा। मतलब दोनों में एक को ही प्लॉट का आवंटन होता है।

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10 परिवारों को मिले 32 प्लॉट

जांच में यह पता चला कि इन 47 मामलों में 32 प्लॉटों का आवंटन 10 परिवारों में हुआ है। कुछ सगे भाई हैं तो कुछ परिवार के रिश्तेदार हैं। 32 इंडस्ट्रियल प्लॉटों का एक ही परिवार या रिश्तेदारों को मिलना ड्रॉ की प्रक्रिया पर भी प्रश्न चिन्ह लगाता है। अधिकारियों के अनुसार जांच के बाद जब प्लॉट सरेंडर करने को अथॉरिटी ने संपर्क किया तो ज्यादातर ने तलाक के दस्तावेज या कंपनी, फर्म आदि अलग-अलग के दस्तावेज पेश किए, जिससे यह साबित हो सके कि वे दोनों अलग हैं। 12 लोगों ने तो सीधे तलाक के ही कागज पेश किए।

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कैंसिल होंगे प्लॉट

यमुना अथॉरिटी के सीईओ अरुणवीर सिंह के अनुसार 47 प्लॉटों में ज्यादातक का आवंटन 2015 में निकाली गई इंडस्ट्रियल प्लॉट स्कीम में हुआ है। कुछ ही प्लॉट इसके बाद के हैं। उन्होंने जानकारी दी कि इस मामले को आगामी बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद जांच की जाएगी। इनमें जो भी फर्जी तलाक के मामले होंगे, उनका प्लॉट आवंटन कैंसिल किया जाएगा। इसके साथ ही अब आवासीय स्कीम में आवंटित हुए प्लॉटों की भी जांच कराई जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि आवासीय प्लॉट स्कीम में यह फर्जीवाड़ा और भी बड़ा हो सकता है।