Krishna Chhathi : ग्रेटर नोएडा वेस्ट (Greater Noida West) की सोसायटी सुपरटेक इकोविलेज-1 (Supertech ecovillage-1) में धूमधाम से श्रीकृष्ण छठी मनाई गई। जन्माष्टमी के छह दिन बाद कान्हा जी की छठी का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में जन्माष्टमी की तरह लड्डू गोपाल की छठी का बहुत महत्व है.।
इकोविलेज़-1, शिव मन्दिर प्राँगण में आयोजित श्री कृष्ण जी की छठी के अवसर पर कढ़ी-चावल भण्डारा कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। इकोविलेज़ सोयायटी निवासियों ने मन्दिर पर आयोजित भंडारे में बढ़ चढ़के हिस्सा लिया और भंडारा प्रसाद ग्रहण किया।
श्रीकृष्ण छठी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण का जन्म कंस के कारागार में हुआ था. कंस ने भगवान कृष्ण के माता-पिता देवकी और वासुदेव को बंदी बना रखा था, ताकि वो उनकी सभी संतानों का वध कर सकें. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की आधी रात को तेज बारिश हो रही थी. मोह माया के प्रताप से कारागार के सभी पहरेदार सो गए और वासुदेव ने कान्हा जी को रातों रात गोकुल में नंद के घर पहुंचा दिया. कंस जब कारागार में आया तो उसको बताया गया कि लड़की का जन्म हुआ है. कंस ने उसको मारने की कोशिश की लेकिन लेकिन तुरंत ही वो कन्या आकाश में उड़ गई. इसी के साथ एक आकाशवाणी हुई कि तुझे मारने वाला तो जन्म ले चुका है.
कंस ने पूतना को दिया आदेश
कंस ने पूतना को आदेश दिया कि जितने भी छह दिन के बच्चे हैं, उनको मार दिया जाए. पूतना जब गोकुल पहुंची तो यशोदा ने बालकृष्ण को छिपा दिया. बालकृष्ण को छह दिन हो गए थे. लेकिन उनकी छठी नहीं हुई. न नामकरण हुआ. कृष्ण के छह दिन पूरे हो जाने के बाद जब यशोदा ने 6 दिन के बच्चों के मरने की सूचना सुनी तो वह घबरा गईं.